प्रीलिम्स फैक्ट्स : 26 दिसंबर, 2018 | 26 Dec 2018

सदैव अटल (Sadaiv Atal)


‘सदैव अटल’ भारत रत्‍न भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का समाधि स्थल है। 25 दिसंबर, 2018 को इसे राष्‍ट्र को समर्पित किया गया ।

  • यह समाधि एक कवि, मानवतावादी राजनेता और एक महान नेता के रूप में उनके व्‍यक्तित्‍व को दर्शाती है।
  • इस समाधि को विकसित करने की पहल अटल स्‍मृति न्‍यास सोसायटी ने की थी।
  • यह सोसायटी प्रख्‍यात व्‍यक्तियों द्वारा गठित की गई है तथा 1860 के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत है। समाधि के निर्माण का पूरा खर्च ‘अटल स्‍मृति न्‍यास सोसाइटी’ ने उठाया है।
  • समाधि के लिये सरकार ने राजघाट के पास भूमि उपलब्‍ध करवाई गई है। समाधि के लिये निर्धारित यह भूमि सरकार की ही रहेगी।
  • समाधि के निर्माण में देश के विभिन्‍न हिस्‍सों से लाए गए पत्‍थरों का उपयोग किया गया है।
  • मुख्‍य समाधि का पत्‍थर खम्‍मम, तेलंगाना की सबसे अच्‍छी खदानों से प्राप्‍त मोनोलिथिक जेड ब्‍लैक पत्‍थर है।
  • परिक्रमा क्षेत्र में सफेद मिश्रित टाइलें लगाई गई हैं, जो धूप में गर्म नहीं होती हैं।
  • समाधि के केंद्र में बनाया गया दीया, खम्‍मम से प्राप्‍त लैदर फिनिश काले ग्रेनाइट पत्‍थर से बना है। दीये की लौ क्रिस्‍टल में बनाई गई हैं जिसमें LED लाइटें लगी हैं।
  • इस समाधि का निर्माण कार्य केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) ने 10.51 करोड़ रुपए की लागत से पूरा किया है।

बदल सकता है अंडमान-निकोबार के तीन द्वीपों का नाम


केंद्र सरकार ने अंडमान और निकोबार में तीन द्वीपों का नाम बदलने का फैसला किया है।

  • केंद्र सरकार द्वारा किये गए नवीनतम फैसले के अनुसार, रॉस द्वीप (Ross Island) को नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, नील द्वीप (Neil Island) को शहीद द्वीप और हैवलॉक द्वीप (Havelock Island) स्वराज द्वीप किया जा सकता है।
  • प्रधानमंत्री 30 दिसंबर को पोर्ट ब्लेयर का दौरा करने के दौरान नाम परिवर्तन की घोषणा कर सकते हैं।
  • उल्लेखनीय है कि नवंबर 2018 में यह मांग की गई थी कि सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि के रूप में अंडमान और निकोबार द्वीप का नाम बदलकर 'शहीद और स्वराज द्वीप' किया जाए।