प्रीलिम्स फैक्ट्स : 20 जनवरी, 2018 | 20 Jan 2018

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रबंधन समूह
UN Environment Management Group

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रबंधन समूह (Environment Management Group - EMG) द्वारा 'नेक्सस डायलॉग्स' (Nexus Dialogues) की एक नई श्रृंखला आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है।

  • इसके तहत प्रबंधन समूह (Management Groups) बनाने और संयुक्त राष्ट्र में अपशिष्ट प्रबंधन के लिये एक अभियान शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।
  • संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों के बीच कचरे में कमी लाने और इसके प्रबंधन के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिये समूह द्वारा एक कचरा प्रबंधन अभियान भी शुरू किया जाएगा, जिसका नाम 'से यस टू लेस' (Say yes to less) रखा जाएगा।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रबंधन समूह क्या है?

  • ईएमजी पर्यावरण और मानव बस्तियों पर संयुक्त राष्ट्र का एक व्यापक समन्वय निकाय है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव के अनुसार, वर्ष 2001 में इसकी स्थापना की गई थी।
  • इसके सदस्यों में बहुपक्षीय पर्यावरण समझौतों (Multilateral Environmental Agreements - MEAs) के सचिवालयों और संयुक्त राष्ट्र की अन्य विशिष्ट एजेंसियों, कार्यक्रमों तथा अंगों को शामिल किया गया हैं।
  • इसके अतिरिक्त इसके अंतर्गत अंतर-सरकारी निकायों के प्रतिनिधियों (Representatives of intergovernmental bodies), नागरिक समाज और अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों (international non-governmental organizations) को विभिन्न प्रकार के योगदान हेतु आमंत्रित किया जा सकता है।समूह की अध्यक्षता संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UN Environment Programme) के कार्यकारी निदेशक द्वारा की जाती है 
  • इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में है। 

आई-क्रिएट (iCreate)

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी और उनके इज़रायली समकक्ष बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा अहमदाबाद स्थित iCreate  सुविधा iCreate facility केंद्र को देश को समर्पित किया गया।

  • iCreate एक स्वतंत्र केंद्र है जिसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा, जल, कनेक्टिविटी, साइबर सुरक्षा, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा, जैव-चिकित्सकीय उपकरणों तथा तंत्रों जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करने हेतु रचनात्मकता, नवाचार, इंजीनियरिंग, उत्पाद डिज़ाइन और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के मिश्रण के माध्यम से उद्यमशीलता को सुविधाजनक बनाना है।

इसके अंतर्गत भारत में एक ऐसे माहौल को विकसित करने पर बल दिया जाता है जिसमें गुणवत्तायुक्त उद्यमियों को आधार प्रदान करने के साथ-साथ सशक्त बनाया जा सके।

राष्‍ट्रीय सीएसआर डेटा पोर्टल और कॉरपोरेट डेटा पोर्टल

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा राष्‍ट्रीय सीएसआर (Corporate social responsibility - CSR) डेटा पोर्टल और कॉरपोरेट डेटा पोर्टल को लॉन्च किया गया।

  • यह पहल भारत के कॉरपोरेट जगत में और ज़्यादा जवाबदेही एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इतना ही नहीं, इससे मज़बूत कॉरपोरेट गवर्नेंस सुनिश्चित करने के लिये आवश्‍यक साधनों के सृजन में भी मदद मिलेगी।
  • इन पोर्टलों पर आम जनता की पहुँच सुनिश्चित करके सरकार उ‍च्‍चस्‍तरीय अनुपालन का मार्ग प्रशस्‍त करेगी और इसके साथ ही सीएसआर गतिविधियों को संस्‍थागत स्‍वरूप प्रदान करने के साथ-साथ इन्‍हें सुदृढ़ अथवा समेकित भी करेगी।
  • ये दोनों ही पोर्टल स्‍मार्ट गवर्नेंस सुनिश्चित करने के लिये प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करने की सरकारी प्रतिबद्धता को परिलक्षित करते हैं।

उद्देश्‍य

  • कॉरपोरेट डेटा पोर्टल का उद्देश्‍य कंपनियों की समस्‍त वित्‍तीय एवं गैर-वित्‍तीय सूचनाएँ आम जनता को यूज़र अनुकूल प्रारूप में उपलब्‍ध कराना है। इसमें पूर्व-निर्धारित रिपोर्टों के साथ-साथ अनुकूलित रिपोर्टों को भी सृजित करने की सुविधा है।

विशेषताएँ

  • राष्‍ट्रीय सीएसआर डेटा पोर्टल के तहत पात्र कंपनियों द्वारा क्रियान्वित की गई सीएसआर संबंधी गतिविधियों से जुड़ी सूचनाओं को उनके द्वारा अपने-अपने वित्‍तीय वक्‍तव्‍यों के अंतर्गत एमसीए21 रजिस्‍ट्री में दर्ज किया जाता है।
  • दर्ज की गई सूचनाओं से कंपनियों द्वारा क्रियान्वित सीएसआर गतिविधियों का आशुचित्र (स्‍नैप शॉट) उपलब्‍ध होता है।
  • इस पोर्टल पर परियोजनाओं के बारे में आवश्‍यक टिप्पणियाँ करने या जानकारियाँ (फीडबैक) देने की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। डेटा तक खुली पहुँच सुलभ होने से अनुसंधानकर्त्ताओं को आवश्‍यक मदद मिलने की आशा है। 

इसके साथ ही कंपनियों द्वारा दर्ज किये जाने वाले डेटा की गुणवत्‍ता सुधारने में भी मदद मिलने की आशा है। इसी तरह अभीष्‍ट लाभार्थियों को इसकी मदद से कंपनियों को बहुमूल्‍य जानकारी (फीडबैक) देने में भी मदद मिलेगी। 

आपदा चेतावनी प्रणाली तंत्र

तटीय समुदाय तक आपदा चेतावनी को प्रसारित करने के लिये पूर्व-चेतावनी प्रसार प्रणाली (Early Warning Dissemination System -EWDS ) को मार्च 2018 तक शुरू कर दिया जाएगा।

  • ओडिशा पहला राज्य है जहाँ इसे स्थापित किया जाएगा। 
  • ईडब्ल्यूडीएस देश में अपनी तरह की पहली स्वचालित सार्वजनिक चेतावनी प्रणाली है,जिससे सूनामी या चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में राज्य के मुख्यालय से 122 स्थानों पर स्थापित टावरों के माध्यम से विशाल तटीय समुदाय को चेतावनी देने में मदद मिलेगी।
  • इस प्रणाली को विश्व बैंक की सहायता से विकसित किया जा रहा है। 
  • शुरुआत में इसे छह तटीय ज़िलों बालासोर, भद्रक, गजंम, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा और पुरी में स्थापित करने की योजना है।

Early Warning Dissemination System (EWDS)

  • EWDS में डिजिटल मोबाइल रेडियो (Digital Mobile Radio-DMR), सैटेलाइट-आधारित मोबाइल डाटा वॉयस टर्मिनल (Satellite-Based Mobile Data Voice Terminals-SBMDVT) जन संदेश प्रणाली (Mass Messaging System -MMS) और यूनिवर्सल कम्युनिकेशन इंटरफेस (Universal Communication Interface-UCI) जैसी कुछ युक्तियाँ हैं जो विभिन्न संचार तकनीकियों के बीच अंतर-संचालन (inter-operability) को संभव बनाती हैं।
  • जन संदेश प्रणाली आपदा से प्रभावित होने वाले किसी विशेष इलाके में सभी मोबाइल उपभोक्ताओं को SMS के माध्यम से चेतावनी संदेश भेजने की सुविधा प्रदान करती है।
  • सूनामी या चक्रवात या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा के आने की आंशका होते ही भुवनेश्वर में कंट्रोल रूम में स्थापित बटन से पूरे राज्य में चेतावनी का प्रसार किया जा सकेगा। 
  • इस पूर्व-चेतावनी प्रणाली से लोगो को सुरक्षित स्थानों पर जाने में मदद मिलेगी।
  • आपदाओं के लिये एक स्वचालित तटीय चेतावनी प्रणाली ओडिशा के लोगों के लिये बहुत मददगार होगी क्योंकि राज्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रति बहुत संवेदनशील है। अगर देश के सभी आपदा संभाव्य क्षेत्रों में ऐसे प्रणाली स्थापित की जा सके तो प्राकृतिक आपदाओं से जीवन और संपत्ति को होने वाले नुकसान में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है।