प्रीलिम्स फैक्ट्स : 19 जून, 2018 | 19 Jun 2018

शरद कुमार नए सर्तकता आयुक्त

श्री शरद कुमार (भारतीय पुलिस सेवा, सेवानिवृत्त, 1979) को केंद्रीय सर्तकता आयोग, नई दिल्ली में सर्तकता आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया। उनकी नियुक्ति, जिस दिन वह कार्यभार ग्रहण करेंगे, उससे चार वर्षों की अवधि, या 65 वर्ष जो भी पहले हो, तक प्रभावी रहेगी।

केंद्रीय सतर्कता आयोग

  • केंद्रीय सतर्कता आयोग केंद्र सरकार में भ्रष्टाचार निरोध हेतु एक प्रमुख संस्था है, जिसका गठन वर्ष 1964 में संथानम समिति के प्रतिवेदन के आधार पर किया गया था। 2003 में इसे सांविधिक दर्जा प्रदान किया जाना, इसके महत्त्व को दर्शाता है।
  • केंद्रीय सतर्कता आयोग का अपना स्वंय का सचिवालय, मुख्य तकनीकी परीक्षक खंड (Chief Technical Examiners' Wing -CTE) तथा विभागीय जाँच आयुक्त खंड (Commissioners for Departmental Inquiries -CDI) होते हैं।

कार्यप्रणाली

  • केंद्रीय सतर्कता आयोग का चरित्र न्यायिक है तथा इसे अपनी कार्यवाहियों के क्रियान्वयन हेतु दीवानी न्यायालय की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं।
  • भ्रष्टाचार की आशंका पर यह केंद्र सरकार या इससे संबंधित प्रधिकरणों से किसी भी प्रकार की जानकारी मांग सकता है।
  • भ्रष्टाचार का आरोप होने पर यह अपने निर्देश पर किसी जाँच एजेंसी द्वारा की गई जाँच की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार या इससे संबंधित प्राधिकरण को कार्यवाही करने की सलाह देता है।
  • केंद्र सरकार आयोग की सलाह पर अपेक्षित कदम उठाती है। यदि केंद्र सरकार आयोग की किसी सलाह को मानने से इनकार करती है तो उसे लिखित रुप में इसके कारणों को केंद्रीय सतर्कता आयोग को बताना होता है।
  • आयोग अपने वार्षिक कार्यकलापों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है जिसे राष्ट्रपति संसद के प्रत्येक सदन में प्रस्तुत करते हैं।

राउरकेला इस्‍पात संयंत्र की पुनर्निर्मित ब्‍लास्‍ट फर्नेस-1 राष्‍ट्र को समर्पित

केंद्रीय इस्‍पात मंत्री चौधरी बीरेन्‍द्र सिंह ने सेल, राउरकेला इस्‍पात संयंत्र (Rourkela Steel Plant-RSP) की पुनर्निर्मित ब्‍लास्‍ट फर्नेस-1 ‘पार्वती’ राष्‍ट्र को समर्पित की। ‘पार्वती’ सेल की पहली ब्‍लास्‍ट फर्नेस (Blast Furnace of SAIL) है, जिसे देश के पहले राष्‍ट्रपति डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद ने 3 फरवरी, 1959 को राष्‍ट्र को समर्पित किया था।

  • ब्‍लास्‍ट फर्नेस के पुनर्निर्माण के लिये इसे 6 अगस्‍त, 2013 को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। हालाँकि पुरानी नींव पर खड़ी की गई बेहतर प्रौद्योगिकी से लैस पुनर्निर्मित फर्नेस की उच्‍च उत्‍पादन क्षमता है। इस नई फर्नेस की वार्षिक उत्‍पादन क्षमता 0.438 मिलियन टन (Million tonnes -MT) से बढ़कर 1.015 एमटी हो गई है।
  • इस अवसर पर इस्‍पात जनरल अस्‍पताल के सुपर स्‍पेशियलिटी ब्‍लॉक के बर्न्‍स और प्‍लास्टिक सर्जरी विभाग (Burns and Plastic Surgery Department of Super Specialty) की आधारशिला भी रखी गई। इस क्षेत्र में यह एकमात्र बर्न्‍स और प्‍लास्टिक सर्जरी इकाई है तथा इससे न केवल राउरकेला बल्कि आसपास के ज़िलों और राज्‍यों के लोगों की भी ज़रूरतें पूरी होंगी।

राउरकेला स्टील प्लांट

  • राउरकेला स्टील प्लांट (ओडिशा) भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का पहला एकीकृत इस्पात संयंत्र है, इसे 1 मिलियन टन की स्थापित क्षमता के साथ जर्मनी के सहयोग से स्थापित किया गया था।
  • इसके बाद इसकी क्षमता बढ़ाकर 2 मिलियन टन हॉट मेटल (Hot Metal), 1.9 मिलियन टन कच्चा स्टील (Crude Steel) और 1.67 मिलियन टन बिक्री योग्य स्टील (Saleable Steel) कर दी गई
  • बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण के बाद राउरकेला स्टील प्लांट द्वारा अपनी क्षमता को बढ़ाकर 4.5 मिलियन टन हॉट मेटल और 4.2 मिलियन टन कच्चा स्टील कर दिया गया है।

प्रोजेक्ट कश्‍मीर सुपर 50
(Project Kashmir Super 50)

  • कश्‍मीर सुपर 50 कार्यक्रम भारतीय सेना, सेंटर फॉर सोशल रिस्‍पॉन्सिबिलिटी एंड लीडरशिप (Center for Social Responsibility and Leadership -CSRL) और पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड (PETRONET LNG Limited -PLL) की एक संयुक्‍त पहल है। कश्‍मीर क्षेत्र में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के बच्‍चों की शैक्षणिक स्थिति में बदलाव करने के उद्देश्‍य से इस कार्यक्रम को 22 मार्च, 2013 को शुरू किया गया था।
  • इसके तहत जेईई, जेकेसीईटी व अन्‍य इंजीनियरिंग परीक्षाओं के लिये छात्रों को आवास सुविधा के साथ कोचिंग की सुविधा दी जाती है। इस कार्यक्रम की अवधि 11 महीने है।
  • कश्‍मीर सुपर 50 भारतीय सेना के सबसे सफल कार्यक्रमों में से एक है। इसने जम्‍मू-कश्‍मीर के युवाओं के जीवन को प्रभावित किया है। युवाओं को सही मार्गदर्शन उपलब्‍ध कराया गया है और उन्‍हें अपना भविष्‍य बनाने का अवसर प्राप्‍त हुआ है।
  • इस कार्यक्रम ने इन युवाओं के परिवारों को समृद्ध बनाया है। घाटी में सामान्‍य हालात बनाने की दिशा में यह एक महत्त्‍वपूर्ण कदम है।
  • हाल ही में कश्‍मीर सुपर 50 के अनुरूप भारतीय सेना ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (National Eligibility-cum-Entrance Test-NEET) के लिये हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Hindustan Petroleum Corporation Limited - HPCL) और एनआईईडीओ (National Integrity Educational Development Organisation - NIEDO) के साथ समझौता किया है। 

‘अटसनमोबाइल' एप
(Utsonmobile app)

डिजिटलीकरण और नकदी रहित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हुए भारतीय रेल मंत्रालय द्वारा एक नई पहल शुरू की गई है। रेल सूचना प्रणाली केंद्र (Centre for Railway Information System - CRIS) ने मोबाइल आधारित एप्लीकेशन 'अटसनमोबाइल' विकसित किया है।

विशेषताएँ

  • 'अटसनमोबाइल' एप्लीकेशन अनारक्षित टिकटों की बुकिंग करने, उन्हें रद्द करने, प्लेटफॉर्म टिकटों के नवीनीकरण, आर-वॉलेट की बकाया राशि की जाँच और लोड करने आदि में सक्षम है। यह उपयोगकर्त्ता का वि‍वरण और बुकिंग की जानकारी कायम रखने में सहायक है।
  • नि:शुल्‍क 'अटसनमोबाइल' एप्लीकेशन एंड्रॉइड और विंडोज स्मार्टफोन पर उपलब्ध है। इसके अंतर्गत यात्री अपना मोबाइल नंबर, नाम, शहर, रेल की डिफ़ॉल्ट बुकिंग, श्रेणी, टिकट का प्रकार, यात्रियों की संख्या और बार-बार यात्रा करने के मार्गों का विवरण देकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं।
  • पंजीकरण कराने पर यात्री का ज़ीरो बैलेंस का रेल वॉलेट (आर-वॉलेट) स्‍वत: ही बन जाएगा। आर-वॉलेट बनाने के लिये कोई अतिरिक्त शुल्‍क नहीं देना होगा। इस वॉलेट को किसी भी यूटीएस काउंटर पर या इससे संबंधित वेबसाइट पर उपलब्ध विकल्प के माध्यम से रिचार्ज किया जा सकता है।
  • इस एप के इस्तेमाल के लिये मोबाइल में इंटरनेट कनेक्शन होना आवश्यक है। इसके तहत अग्रिम टिकट बुकिंग की अनुमति नहीं है।
  • यात्री टिकट का प्रिंट लिये बगैर (हार्डकॉपी) भी यात्रा कर सकते हैं। इस प्रकार के पेपरलेस टिकटों को रद्द करने की अनुमति नहीं होगी। पेपरलेस टिकट बुक करने के एक घंटे के अंदर यात्रा करना अनिवार्य होगा।
  • सावधिक टिकट को मोबाइल एप्लीकेशन से जारी/नवीनीकृत किया जा सकता है और यह टिकट बुकिंग के अगले दिन से मान्य होगा। इस मोबाइल एप्लीकेशन से प्लेटफॉर्म टिकट भी बुक किया जा सकता है। गौर करने वाली बात यह है कि अगर यात्री मोबाइल पर टिकट दिखाने में सक्षम नहीं है तो उसे टिकट रहित यात्री माना जाएगा।
  • इस मोबाइल एप के माध्यम से यात्री पेपर टिकट भी बुक कर सकता है। टिकट बुक करने पर यात्री को टिकट के अन्य विवरणों के साथ बुकिंग आईडी प्रदान की जाएगी। बुकिंग आईडी एसएमएस के माध्यम से भी बताई जाएगी।
  • पेपर टिकट बुक करने के बाद, यात्रा शुरू करते समय स्टेशन पर लगे एटीवीएम से यात्री अपना पंजीकृत मोबाइल नंबर और बुकिंग आईडी दर्ज करके टिकट का प्रिंट ले सकता है। यह यात्रा केवल प्रिंटेड टिकट के साथ मान्य होगी।
  • पेपर टिकट को या तो प्रिंट करने के बाद काउंटर से या फिर प्रिंट करने से पहले एप के ज़रिये रद्द किया जा सकेगा। हालाँकि, इन दोनों स्थितियों में रद्द करने पर शुल्क भी लगेगा।
  • कियोस्क मशीन से पेपर टिकट प्रिंट करने के एक घंटे के भीतर यात्रा शुरू हो जानी चाहिये।