प्रीलिम्स फैक्ट्स: 10 जुलाई, 2018 | 10 Jul 2018

‘सदमृदंगम’ ('Sadmridangam’) को प्राप्त हुआ पेटेंट

  • पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क के नियंत्रक जनरल ने ‘सदमृदंगम’ को 'ड्रम' श्रेणी के तहत पेटेंट प्रदान किया है।
  • दक्षिण भारतीय पर्क्यूशन उपकरण 'सदमृदंगम’ का हल्का संस्करण कुज्लहलममनम रामकृष्णन (Kuzhalmannam Ramakrishnan) द्वारा विकसित किया गया था।

प्रमुख तथ्य

  • पेटेंट एक वैधानिक अधिकार है, जो सरकार द्वारा सीमित अवधि के लिये आविष्कारक को उसके आविष्कार हेतु प्रदान किया जाता है ।
  • पेटेंट संरक्षण एक क्षेत्रीय अधिकार है और यही कारण है कि यह इसके सीमा क्षेत्र में ही कार्य करता है।
  • पेटेंट का दावा न केवल मौलिक प्रयासों के संबंध में किया जा सकता है, बल्कि नए आविष्कारों, शोध-पत्रों(जिनका वर्तमान के साथ-साथ भविष्य के लिये भी महत्त्व है) के संबंध में भी किया जा सकता है।
  • भारत में पेटेंट प्रणाली पेटेंट अधिनियम, 1970(1970 का नंबर 39)के अधीन कार्य करती है,जो पेटेंट(संशोधन)अधिनियम, 2005 और पेटेंट नियम 2003 में संशोधन करता है।
  • इस संसोधित उपकरण में 'मृदंगम' की सभी सुविधाएँ मौजूद हैं और यह कलाकारों के लिये अधिक गतिशीलता भी सुनिश्चित करता है।

अमेज़न के जंगलों में सात नई ततैया प्रजातियों की खोज की गई

  • शोधकर्त्ताओं ने पेरू, वेनेज़ुएला और कोलंबिया से क्लिस्टोपीगा (Clistopyga) जीनस से संबंधित सात नई वाष्प प्रजातियों की खोज की है।
  • उनमें से सबसे उल्लेखनीय क्लिस्टोप्यागा क्रैसिकाडाटा (Clistopyga crassicaudata) है, जिसका नाम इनमें पाए गए मोटे ओविपोजिटर (Ovipositor) के आधार पर रखा गया है।
  • ओविपोज़िटर, एक ट्यूब की संरचना  सदृश्य अंग है जो कई कीड़ों में मौजूद होता है।
  • यह अंग अंडे देने के साथ ही जहर को इंजेक्ट करने में भी मदद करता है।
  • अन्य नई प्रजातियों में सी. कलकीमा (C.Kalkima), सी.पंचाई (C.panchei) और सी. टेरोने (C.Taironae) शामिल हैं, ये नाम कोलंबो के स्वदेशी जनजाति समूह (कालिमा, पंच और टोरानास) के नाम पर रखा गया है।
  • एक और प्रजाति का नाम सी. निग्रिवेन्ट्री (C.Nigriventri) रखा गया था, जो इसके बहुआयामी काले शरीर को इंगित करता है और दूसरी प्रजाति का नाम इसके बहुआयामी शारीरिक रंग के कारण सी. स्प्लेंडीडल (C.Splendidal) रखा गया है।
  • सी.इसाये (C.Isayae) नाम की सातवीं प्रजाति का शरीर सफेद और भूरे रंग का है।

ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में 50 वर्षों में पहले क्लोल्स

  • ऑस्ट्रेलियाई मुख्य भूमि के जंगलों में 50 वर्षों में पहली बार पूर्वी क्लोल्स पैदा हुए हैं।
  • इसने मर्सपियल की प्रजातियों के पुनरुत्थान की आशा जताई है, जो लोमड़ी के कारण तबाह हो गए थे।