प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना | 25 Nov 2022

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), ज़ीरो प्रीमियम, सब्सिडी, फसल बीमा।

मेन्स के लिये:

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने कहा कि वह हाल के जलवायु संकट और तेज़ी से तकनीकी विकास के जवाब में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में किसान-समर्थक परिवर्तन करने के लिये तैयार है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY):

  • परिचय:
    • PMFBY को वर्ष 2016 में लॉन्च किया गया तथा इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जा रहा है।
    • इसने राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (MNAIS) को परिवर्तित कर दिया।
  • पात्रता:
    • अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगाने वाले पट्टेदार/जोतदार किसानों सहित सभी किसान कवरेज के लिये पात्र हैं।
  • उद्देश्य:
    • प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और रोगों या किसी भी तरह से फसल के खराब होने की स्थिति में एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करना ताकि किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिल सके।
    • खेती में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिये किसानों की आय को स्थिर करना।
    • किसानों को नवीन और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना।
    • कृषि क्षेत्र के लिये ऋण का प्रवाह सुनिश्चित करना।
  • बीमा किस्त:
    • इस योजना के तहत किसानों द्वारा दी जाने वाली निर्धारित बीमा किस्त/प्रीमियम- खरीफ की सभी फसलों के लिये 2% और सभी रबी फसलों के लिये 1.5% है।
    • वार्षिक वाणिज्यिक तथा बागवानी फसलों के मामले में बीमा किस्त 5% है।
    • उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को छोड़कर जहाँ यह 90:10 है, इन सीमाओं से अधिक प्रीमियम केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 50:50 के आधार पर साझा किया जाता है।
    • सरकारी सब्सिडी की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। यहाँ तक कि अगर शेष प्रीमियम 90% है, तो यह सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
      • इससे पहले प्रीमियम दर को सीमित करने का प्रावधान था, जिसके परिणामस्वरूप किसानों को कम दावों के आधार पर भुगतान किया जाता था।
      • यह ऊपरी सीमा अब हटा दी गई है और किसानों को बिना किसी कटौती के पूरी बीमा राशि का दावा प्राप्त होगा।
  • दायरा:
    • पीएमएफबीवाई वर्तमान में किसान नामांकन के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी तथा औसतन 5.5 करोड़ आवेदन एवं प्राप्त प्रीमियम के मामले में यह तीसरी सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है।
    • मौसम से प्रभावित वर्ष 2017, 2018 और 2019 के खराब मौसम के दौरान यह योजना किसानों की आजीविका को सुरक्षित करने में एक निर्णायक कारक साबित हुई, जिसमें कई राज्यों में दावों का भुगतान अनुपात (Claims Paid Ratio) एकत्र सकल प्रीमियम के मुकाबले 100% से अधिक रहा।

PMFBY

हाल ही के परिवर्तन:

  • यह योजना कभी ऋणी किसानों के लिये अनिवार्य थी, लेकिन वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने इसमें बदलाव कर इसे सभी किसानों के लिये वैकल्पिक बना दिया।
  • केंद्र ने फरवरी 2020 में अपनी प्रीमियम सब्सिडी को असिंचित क्षेत्रों के लिये 30% और सिंचित क्षेत्रों के लिये 25% (मौजूदा असीमित से) तक सीमित करने का फैसला किया। इससे पहले केंद्रीय सब्सिडी की कोई ऊपरी सीमा नहीं थी।
  • हाल ही में शुरू की गई मौसम सूचना और नेटवर्क डेटा सिस्टम (WINDS) प्रौद्योगिकी पर आधारित उपज अनुमान प्रणाली (YES-Tech) वास्तविक समय अवलोकनों और फसलों की तस्वीरों का संग्रह (CROPIC) अधिक दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिये इस योजना के तहत उठाए गए कुछ प्रमुख कदम हैं।

योजना से संबंधित मुद्दे:

  • राज्यों की वित्तीय बाधाएँ: राज्य सरकारों की वित्तीय बाधाएँ और सामान्य मौसम के दौरान कम दावा अनुपात इन राज्यों द्वारा योजना के गैर-कार्यान्वयन के प्रमुख कारण हैं।
    • राज्य ऐसी स्थिति से निपटने में असमर्थ हैं जहाँ बीमा कंपनियाँ किसानों को उनके द्वारा और केंद्र से एकत्र किये गए प्रीमियम से कम मुआवज़ा देती हैं।
    • राज्य सरकारें समय पर धन जारी करने में विफल रहीं जिससे बीमा मुआवज़ा जारी करने में देरी हुई।
    • यह योजना के मूल उद्देश्य, जो कि कृषक समुदाय को समय पर वित्तीय सहायता प्रदान करना है, को विफल करता है।
  • दावा निपटान मुद्दे: कई किसान मुआवज़े के स्तर और निपटान में देरी दोनों से असंतुष्ट हैं।
    • बीमा कंपनियों की भूमिका और शक्ति महत्त्वपूर्ण है। कई मामलों में इसने स्थानीय आपदा के कारण हुए नुकसान की जाँच नहीं की और इसलिये दावों का भुगतान नहीं किया गया।
  • कार्यान्वयन के मुद्दे: बीमा कंपनियों ने उन समूहों के लिये बोली लगाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है जो फसल के नुकसान से ग्रस्त हैं।
    • इसके अलावा यह बीमा व्यवसाय की प्रकृति में है कि जब फसल की विफलता कम होती है और इसके विपरीत होती है तो संस्थाएँ पैसा कमाती हैं।

आगे की राह:

  • कृषि-प्रौद्योगिकी और ग्रामीण बीमा संघ वित्तीय समावेशन और इस योजना की विश्वसनीयता में वृद्धि के लिये काफी प्रभावी फॉर्मूला हो सकता है।
  • विश्व आर्थिक मंच द्वारा वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2022 अगले 10 वर्षों की अवधि में चरम मौसम जोखिम को दूसरे सबसे बड़े जोखिम के रूप में वर्गीकृत करती है। इसलिये किसानों को उनकी वित्तीय स्थिति की रक्षा करने तथा उन्हें खेती जारी रखने एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु एक सुरक्षा जाल प्रदान करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
  • इस योजना से जुड़े सभी लंबित मुद्दों को हल करने के लिये राज्यों और केंद्र सरकारों के बीच व्यापक पुनर्विचार किये जाने की आवश्यकता है ताकि किसानों को इस योजना का लाभ मिल सके।
  • इसके अलावा इस योजना के तहत सब्सिडी का भुगतान करने के बजाय राज्य सरकार को उस पैसे को एक नए बीमा मॉडल में निवेश करना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016))

  1. इस योजना के तहत किसानों को वर्ष के किसी भी मौसम में खेती की जाने वाली किसी भी फसल के लिये दो प्रतिशत का एक समान प्रीमियम का भुगतान करना होगा।
  2. इस योजना में चक्रवातों और बेमौसम बारिश तथा फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को शामिल किया गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

स्रोत: द हिंदू