विद्युतघरों हेतु पॉवर पैकेज की जाँच | 03 Sep 2019

चर्चा में क्यों?

विद्युत मंत्रालय (Power Ministry) कोयला संचालित विद्युतघरों (Power Stations) को राहत देने हेतु जारी किये गए पैकेज के संभावित दुरुपयोग की जाँच कर रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • उल्लेखनीय है कि विद्युत मंत्रालय द्वारा कोयले पर निर्भर तनावग्रस्त विद्युतघरों ( लगभग 40,000 मेगावाट की क्षमता वाले) को कोयले की आपूर्ति हेतु यह राहत पैकेज उपलब्ध कराया गया था।
    • ऐसा करने का प्राथमिक उद्देश्य विद्युत उत्पादन कंपनियों को अन्य विद्युत वितरण समझौतों (Power Purchase Agreements-PPAs) की तलाश के लिये पर्याप्त समय देना था।
    • दो वर्ष की अवधि के पश्चात् यदि उत्पादन कंपनियाँ किसी भी PPA की तलाश करने में असफल रहती हैं तो यह राहत पैकेज समाप्त कर दिया जाएगा।

PPA दो पक्षों के मध्य एक अनुबंध होता है, जिसमें एक पक्ष विद्युत का उत्पादन करता है और दूसरा पक्ष विद्युत खरीदता है।

  • मंत्रिमंडल सचिव पी. के. मिश्र की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार 40,000 से अधिक मेगावाट क्षमता वाली कुल 34 परियोजनाओं को तनावग्रस्त के रूप में चिह्नित किया गया था।
  • विद्युत वितरण कंपनियों का बकाया देश के सबसे प्रमुख मुद्दों में से एक है।
    • इसी समस्या से निपटने व भुगतान सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये सरकार ने 1 अगस्त, 2019 से PPA में राज्य वितरण कंपनियों के लिये उधार-पत्र (Letters of Credit-LC) को पेश करना अनिवार्य कर दिया है।

उधार-पत्र एक दस्तावेज़ है जो विक्रेताओं को खरीदार के भुगतान की गारंटी देता है।

  • राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और राज्य लोड डिस्पैच केंद्रों (Load Dispatch Centres) को सख्त हिदायत दी गई है कि जब तक वितरण कंपनियों द्वारा यह विश्वास न दिलाया जाए कि उधार-पत्र को तैयार कर उसकी प्रतियाँ संबंधित उत्पादन कंपनी को भेज दी गई हैं तब तक विद्युत की आपूर्ति न की जाए।
  • विद्युत वितरण समझौतों में दी गई 45 या 60 दिनों की रियायत अवधि (Grace Period) के बाद भी यदि वितरण कंपनियाँ, विद्युत उत्पादक कंपनियों का भुगतान नहीं करती हैं तो विद्युत उत्पादक कंपनियों को उधार-पत्र लागू करने का पूर्ण अधिकार होगा।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया