पोस्टल बैलट की सीमा का विस्तार | 07 Sep 2019

चर्चा में क्यों?

निर्वाचन आयोग (Election Commission-EC) ने केंद्रीय कानून मंत्रालय (Union Law Ministry) के समक्ष पोस्टल बैलट (Postal Ballots) की सीमा का विस्तार करने का प्रस्ताव किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • निर्वाचन आयोग के इस कदम से एविएशन सेक्टर, शिपिंग सेक्टर, रेलवे, अग्निशमन सेवाओं, चिकित्सा सेवाओं, यातायात सेवाओं आदि से जुड़े लोगों तथा दिव्यांगों एवं बुजुर्गों तक इस सेवा का लाभ पहुँचाया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त इसमें उन पत्रकारों को भी शामिल किया गया है जो चुनाव का कवरेज करेंगे।
  • EC के इस कदम में मुख्यतः उन लोगों को जोड़ने का विचार है जो अपने कार्य की प्रकृति के कारण चुनाव में भाग नहीं ले पाते हैं।
  • निर्वाचन आयोग ने इस कार्य के लिये कानून मंत्रालय से आग्रह किया है कि वह जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 (Representation of the People’s Act, 1951) तथा निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 (Conduct of Election Rules, 1961) में संशोधन करे।

जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951

(Representation of the People’s Act, 1951)

  • जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 को संसद द्वारा संविधान के अनुच्छेद 327 के तहत पारित किया गया था।
  • चुनावों का आयोजन कराने संबंधी सभी मामले जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के प्रावधानों के तहत आते हैं।
  • इस कानून की धारा 169 के तहत निर्वाचन आयोग के परामर्श से केंद्र सरकार ने निर्वाचक पंजीकरण नियम 1961 बनाया है।
  • इस कानून और नियम में सभी चरणों में चुनाव आयोजित कराने, चुनाव की अधिसूचना, नामांकन पत्र दाखिल करने, नामांकन पत्रों की जाँच, उम्मीदवार द्वारा नाम वापस लेना, चुनाव कराना, मतगणना और घोषित परिणाम के आधार पर सदनों के गठन के लिये विस्तृत प्रावधान किये गए हैं।

पोस्टल बैलट प्रणाली

किसी भी लोकतंत्र के लिये चुनाव सबसे महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया होती है और देश के प्रत्येक नागरिक का यह दायित्व होता है कि वह इस प्रक्रिया में भाग ले, परंतु कभी-कभी कुछ लोगों के लिये संभव नहीं होता कि वे प्रत्यक्ष रूप से इसमें भाग ले सकें। इस प्रकार की स्थिति में निर्वाचन आयोग इन लोगों को पोस्टल बैलट के माध्यम से मतदान की सुविधा प्रदान करता है।

इतिहास

  • भारत में पोस्टल बैलट की शुरुआत भारत सरकार द्वारा 21 अक्तूबर, 2016 को निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 23 में संशोधन करके की गई थी।

पोस्टल बैलट से निम्नलिखित लोगों को मतदान करने का अधिकार है:

  • चुनाव कार्यों में कार्यरत अधिकारी
  • सशस्त्र बलों के कर्मचारी
  • देश के बाहर कार्यरत सरकारी कर्मचारी
  • सेना अधिनियम, 1950 के तहत आने वाले सभी बल

पोस्टल बैलट से मतदान की प्रक्रिया

पोस्टल बैलट से मतदान की प्रक्रिया में सर्वप्रथम निर्वाचन आयोग द्वारा डाक मतपत्र को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मतदाता तक पहुँचाया जाता है। यदि मतदाता किसी ऐसे स्थान पर है जहाँ इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मतपत्र पहुँचाना संभव नहीं है तो उसके पास डाक के माध्यम से मतपत्र भेजा जाता है। मतपत्र प्राप्त करने के बाद मतदाता को अपने विवेकानुसार विकल्प का चुनाव कर डाक के माध्यम से मतपत्र वापस भेजना होता है।

आगे की राह

  • सरकार द्वारा हाल ही में पंजीकृत अनिवासी भारतीय (Non Resident Indian-NRI) मतदाताओं को प्रॉक्सी (Proxies) की नियुक्त करने की अनुमति दी गई थी, ताकि प्रॉक्सी उनकी ओर से वोट डाल सके। यह एक सराहनीय कदम है एवं इससे कई अन्य लोगों को भी देश की चुनाव प्रणाली से जोड़ा जा सका था।
  • यह सुनिश्चित करने के लिये कि पोस्टल बैलट जारी करने की प्रक्रिया नियंत्रित एवं सुव्यवस्थित हो, चुनाव आयोग ने इस प्रकार की सुविधा को किसी विशिष्ट केंद्र के माध्यम से किसी विशिष्ट दिन पर देने का विचार किया है, जिसका चुनाव अधिकारियों द्वारा पर्यवेक्षण भी किया जाएगा।
    • यह पोस्टल बैलट के माध्यम से मतदान में अनुचित प्रभाव और हस्तक्षेप की संभावना को खत्म करने में मदद करेगा।
  • दिव्यांगों एवं बुजुर्गों के लिये पोस्टल बैलट पेपर उन्ही के घर पर भेजा जा सकता है, जिसके बाद उसी वक्त उसे वहीं से वापस एकत्र किया जा सकता है।

एक सच्चे लोकतंत्र में उन सभी मार्गों का पता लगाना आवश्यक है जो सभी योग्य मतदाताओं को मताधिकार का उपयोग करने में सक्षम बना सकते हैं। अतः निर्वाचन आयोग द्वारा किया गया यह प्रस्ताव स्वागत योग्य है एवं कानून मंत्रालय को इसे जल्द-से-जल्द अमली जामा पहनाने का प्रयास करना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस