एंटीबायोटिक दवाओं के कारण प्रदूषित होती नदियाँ | 28 May 2019

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिकों के अनुसार वैश्विक स्तर पर एंटीबायोटिक  (Antibiotic) दवाओं के कारण नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं, न केवल प्रदूषित हो रही हैं बल्कि कहीं-कहीं तो प्रदूषण के खतरनाक स्तर को पार कर चुकी हैं। कुछ जलमार्गों (Waterways) में एंटीबायोटिक्स की सांद्रता निर्धारित सीमा, जिसे सुरक्षित सीमा माना जाता है, से लगभग 300 गुना अधिक हो चुकी हैं।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • टेम्स/थेम्स नदी में पाँच एंटीबायोटिक दवाओं के प्रदूषण का प्रमाण मिला है जिसमें सिप्रोफ्लोक्सासिन (Ciprofloxacin) भी शामिल थी, इस दवाई का उपयोग त्वचा और  Urinary Tract के संक्रमण के इलाज के लिये किया जाता है।
  • 711 नदी स्थलों के परीक्षण में लगभग 307 में सबसे आम एंटीबायोटिक ट्राइमेथोप्रिम (Trimethoprim) का अंश पाया गया। बांग्लादेश, केन्या, घाना, पाकिस्तान और नाइजीरिया में सबसे अधिक दूषित नदियों के प्रमाण मिले हैं।
  • एशिया और अफ्रीका में नदियाँ प्रदूषण की खतरनाक सीमा रेखा को पार कर चुकी हैं। हालाँकि यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के कुछ स्थलों पर भी प्रदूषण के उच्च स्तर के प्रमाण मिले थे जो इस बात का प्रमाण है एंटीबायोटिक प्रदूषण एक "वैश्विक समस्या" है।
  • नदियों में एंटीबायोटिक का यह प्रदूषण उन दवाइयों के माध्यम से पहुँच रहा है जो मानव और पशुओं द्वारा उत्सर्जित अपशिष्ट के रूप में नदियों में बहा दिया जाता है, साथ ही अपशिष्ट जल उपचार (Wastewater Treatmet) और औषधि निर्माण (Drug Manufacturing) के दौरान होने वाला रिसाव भी इस प्रदूषण का एक अहम कारण है।

चिंता के कारण

  • संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि एंटीबायोटिक की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि वर्ष 2050 तक 10 मिलियन लोगों की मृत्यु का कारण बन सकती है।
  • पर्यावरणीय जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न ऐसे बहुत-से जीन (gene) के विषय में आए दिन जानकारी मिलती है जो मानव रोगजनकों में प्रतिरोधक क्षमता रखते हैं।
  • रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial resistance) तब उत्पन्न होता है जब बैक्टीरिया और कवक जैसे रोगाणुओं को मारने हेतु निर्मित दवाईयों के विरुद्ध बैक्टीरिया एवं कवक अपनी प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि कर लेते हैं।
  • ऐसे सूक्ष्मजीव, जो इन एंटीबायोटिक दवाईयों के विरुद्ध अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा लेते हैं, उन्हें कभी-कभी "सुपरबग्स" भी कहा जाता है। इन सुपरबग्स के परिणामस्वरूप, दवाएँ निष्प्रभावी हो जाती हैं और संक्रमण शरीर में बने रहता हैं, जिससे दूसरों व्यक्तियों में यह संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
  • पिछले कुछ समय से प्रतिरोधक दवाओं का नया तंत्र उभर कर सामने आया हैं ज्सिका प्रसार वैश्विक स्तर पर हो रहा हैं। इससे आम संक्रामक बीमारियों से लड़ने की हमारी नैसैर्गिक क्षमता को खतरा बनता जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप लंबी बीमारी, विकलांगता और मृत्यु तक हो सकती है।
  • संक्रमण की रोकथाम और उपचार के लिये प्रभावी रोगाणुरोधी के बिना चिकित्सा प्रक्रियाएँ जैसे- अंग प्रत्यारोपण, कैंसर के उपचार (कीमोथेरेपी), मधुमेह प्रबंधन और प्रमुख सर्जरी (उदाहरण के लिये, सीज़ेरियन सेक्शन या हिप रिप्लेसमेंट) बहुत अधिक जोखिम हो जाती हैं।

इस समस्या का समाधान ढूँढना एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है अपशिष्ट के निपटान, दूषित जल उपचार, अव्यवस्थित विनियमन प्रणाली और पहले से दूषित स्थलों की सफाई हेतु एक मज़बूत बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता है। इसके लिये न केवल निवेश में वृद्धि करने पर ध्यान दिया जाना चाहिये बल्कि जन सामान्य के बीच जागरूकता का प्रसार भी किया जाना चाहिये। बेहतर विनियमन एवं प्रबंधन के लिये सरकार को कुछ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भावी पीढ़ी को एक बेहतर भविष्य दिया जा सकें।