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पीएम प्रणाम (PM PRANAM) योजना | 19 Sep 2022 | भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रिलिम्स के लिये:

पीएम प्रणाम (कृषि प्रबंधन के लिये वैकल्पिक पोषक तत्त्वों को प्रोत्साहन योज़ना), IFMS (एकीकृत उर्वरक प्रबंधन प्रणाली), यूरिया, DAP (डाय-अमोनियम फॉस्फेट), MOP (पोटाश का म्यूरेट), NPKS (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम), यूरिया की नीम कोटिंग, नई यूरिया नीति (NUP) 2015

मेन्स के लिये:

उर्वरकों पर सब्सिडी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिये सरकार पीएम प्रणाम यानी कृषि प्रबंधन हेतु वैकल्पिक पोषक तत्त्वों का संवर्द्धन (Promotion of Alternate Nutrients for Agriculture Management Yojana- PM PRANAM) योजना शुरू करने की योजना बना रही है।

योजना के बारे में:

योजना की आवश्यकता:

भारत में उर्वरक उपयोग की वर्तमान स्थिति:

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सरकार द्वारा शुरू की गई अन्य संबंधित पहलें क्या हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:  

प्रश्न: भारत सरकार कृषि में 'नीम-लेपित यूरिया (नीम कोटेड यूरिया)' के उपयोग को क्यों बढ़ावा देती है? (2016)

(a) मृदा में नीम के तेल के प्रयोग से मृदा के सूक्ष्मजीवों द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण बढ़ जाता है।
(b) नीम कोटिंग मिट्टी में यूरिया के विघटन की दर को धीमा कर देती है।
(c) नाइट्रस ऑक्साइड जो एक ग्रीनहाउस गैस है, फसल के खेतों द्वारा वातावरण में बिल्कुल भी नहीं छोड़ा जाता है।
(d) यह विशेष फसलों के लिये खरपतवार और उर्वरक का संयोजन है।

उत्तर: b

व्याख्या:

  • साधारण यूरिया: यह एक उर्वरक है जो मृदा को नाइट्रोजन प्रदान करने के लिये प्रयोग किया जाता है, जो पौधों के विकास के लिये आवश्यक है। यूरिया में मौजूद नाइट्रोजन का केवल 30-40% ही फसलों द्वारा उपयोग किया जाता है। बाकी व्यर्थ हो जाता है। साधारण यूरिया अमोनियम कार्बामेट में परिवर्तित हो जाता है। इसमें से कुछ अमोनिया वाष्पीकरण नामक प्रक्रिया में अमोनिया गैस में परिवर्तित हो जाता है, जबकि शेष अमोनियम कार्बामेट एक रासायनिक परिवर्तन से गुजरता है और नाइट्रेट बनते हैं। इनमें से कुछ पौधों द्वारा अवशोषित कर लिये जाते हैं। शेष को या तो भूमिगत जल में निक्षालित किया जाता है या अवायवीय परिस्थितियों (ऑक्सीजन की अनुपस्थिति) के तहत गैसीय नाइट्रोजन और नाइट्रस ऑक्साइड में परिवर्तित कर दिया जाता है।
  • नीम कोटेड यूरिया: नीम में ऐसे गुण होते हैं जो प्रत्येक चरण में नाइट्रोजन की कमी को रोकते हैं। यह नाइट्रेट बनने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है और इसलिये अनाइट्रीकरण के लिये अतिरिक्त नाइट्रेट उपलब्ध नहीं होता है। इस प्रकार यह मृदा में यूरिया के विघटन की दर को धीमा करके मृदा और भूमिगत जल के क्षरण और किसी भी बाद के वायु प्रदूषण का मुकाबला करने में मदद करता है।

अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस