पीएम-केयर फॉर चिल्ड्रन | 03 Jun 2021

प्रिलिम्स के लिये 

पीएम-केयर फॉर चिल्ड्रन, ‘बाल स्वराज’ पोर्टल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग

मेन्स के लिये

कोरोना महामारी के दौरान बाल तस्करी की समस्या और इससे संबंधित उपाय

चर्चा में क्यों?

सरकार ने कोविड-19 के कारण अनाथ हुए सभी बच्चों के लिये एक विशेष ‘पीएम-केयर फॉर चिल्ड्रन’ योजना की घोषणा की है।

  • साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने ज़िला अधिकारियों को ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ (NCPCR) द्वारा निर्मित ‘बाल स्वराज’ पोर्टल पर ऐसे बच्चों का विवरण प्रदान करने का आदेश दिया है, जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है।

Timely-support

प्रमुख बिंदु

‘पीएम-केयर फॉर चिल्ड्रन’ योजना

  • योग्यता
    • जिन बच्चों ने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता या कानूनी अभिभावक या दत्तक माता-पिता को खो दिया है, वे इस योजना के लिये पात्र होंगे।
      • देश भर में कुल 577 कोविड-19 अनाथ बच्चों की पहचान की गई है। साथ ही बाल तस्करी के मामले भी बढ़ रहे हैं।
  • योजना की विशेषताएँ
    • 10 लाख रुपए का कोष
      • इनमें से प्रत्येक बच्चे को पीएम केयर फंड से 10 लाख रुपए का कोष आवंटित किया जाएगा।
      • इस कोष का उपयोग 18 वर्ष की आयु के बाद अगले पाँच वर्षों तक उच्च शिक्षा की अवधि के दौरान बच्चों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये मासिक वित्तीय सहायता/छात्रवृत्ति हेतु उपयोग किया जाएगा और 23 वर्ष की आयु पूरी करने पर, व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक उपयोग के लिये उसे एकमुश्त के रूप में कोष की राशि मिलेगी।
    • बच्चों की शिक्षा
      • छोटे बच्चों की शिक्षा का खर्च केंद्रीय विद्यालयों और निजी स्कूलों में उच्चतर माध्यमिक स्तर तक प्रवेश के माध्यम से वहन किया जाएगा।
      • इन बच्चों को उनकी उच्च शिक्षा के दौरान ट्यूशन फीस या शैक्षिक ऋण के बराबर छात्रवृत्ति या आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएगी, जहाँ ऋण पर ब्याज का भुगतान पीएम-केयर्स फंड द्वारा किया जाएगा।
    • स्वास्थ्य बीमा
      • आयुष्मान भारत योजना के तहत ऐसे सभी बच्चों को एक लाभार्थी के रूप में नामांकित किया जाएगा, जिसमें 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा कवर शामिल होगा। 
      • ऐसे बच्चों के 18 वर्ष के होने तक प्रीमियम राशि का भुगतान पीएम-केयर्स फंड द्वारा किया जाएगा।

पीएम-केयर्स फंड 

  • सरकार ने कोविड-19 महामारी द्वारा उत्पन्न किसी भी प्रकार की आपातकालीन या संकटपूर्ण स्थिति से निपटने हेतु ‘आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष’ (PM CARES) की स्थापना की है।
  • पीएम-केयर्स फंड एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट है, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं। अन्य सदस्यों के रूप में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री शामिल हैं। 
  • यह कोष सूक्ष्म-दान को सक्षम बनाता है यानी इसमें राशि की सीमा निर्धारित नहीं की गई है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग योगदान करने में सक्षम होते हैं।
  • यह कोष आपदा प्रबंधन क्षमताओं को मज़बूत करने एवं नागरिकों की सुरक्षा हेतु अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगा।
  • पीएम-केयर्स फंड में किया गया योगदान ‘कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी’ (CSR) के रूप में योग्य है।

बाल स्वराज कोविड-केयर

  • ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ ने देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान करने के लिये एक ऑनलाइन ट्रैकिंग पोर्टल ‘बाल स्वराज’ (कोविड-केयर) पोर्टल तैयार किया है।
  • यह उन बच्चों की ऑनलाइन ट्रैकिंग और डिजिटल रियल टाइम मॉनीटरिंग के उद्देश्य से बनाया गया है, जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)

  • यह बाल अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005 के तहत मार्च 2007 में स्थापित एक सांविधिक निकाय है।
  • यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
  • आयोग का प्राथमिक कार्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी देशों में बन रहे सभी कानून, नीतियाँ, कार्यक्रम और प्रशासनिक तंत्र, बाल अधिकारों के परिप्रेक्ष्य में भारतीय संविधान एवं बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुरूप हों।
  • यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत एक बच्चे के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से संबंधित शिकायतों की जाँच करता है।
  • यह यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।

स्रोत: द हिंदू