प्रधानमंत्री की 60 सूत्रीय कार्ययोजना | 20 Oct 2021

प्रिलिम्स के लिये:

डिजिटल डिवाइड,  ई-कोर्ट, स्टार्टअप, मिशन कर्मयोगी 

मेन्स के लिये:

प्रधानमंत्री की 60 सूत्रीय कार्ययोजना की मुख्य विशेषताएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने एक व्यापक 60 सूत्रीय कार्ययोजना तैयार की है।

  • यह कार्ययोजना विशिष्ट मंत्रालयों और विभागों पर केंद्रित है, लेकिन एक गहन विश्लेषण से पता चलता है कि इसमें सामान्यत: तीन श्रेणियाँ- शासन के लिये आईटी और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना, व्यावसायिक वातावरण में सुधार और सिविल सेवाओं का उन्नयन शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

  • शासन के लिये आईटी और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना:
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के लिये छात्रवृत्ति के वितरण को सुव्यवस्थित करने से लेकर वंचित छात्रों हेतु स्वदेशी टैबलेट और लैपटॉप विकसित करके डिजिटल डिवाइड के अंतराल को भरने के लिये कई कुशल कार्रवाइयाँ शामिल हैं।
    • 'मातृभूमि' नामक केंद्रीय डेटाबेस के तहत वर्ष 2023 तक सभी भूमि अभिलेखों को डिजिटाइज़ करना तथा ई-कोर्ट सिस्टम के साथ एकीकरण के विषय/अधिकार से संबंधित मुद्दों पर पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
    • प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिकता को जन्म प्रमाणपत्र से जोड़ा जा सकता है और इसे मुख्यधारा में लाया जा सकता है।
  • व्यावसायिक वातावरण में सुधार:
    • इसमें कुछ अनुमतियों को पूर्ण रूप से समाप्त करना, 10 क्षेत्रों में व्यवसाय शुरू करने की लागत को कम करना और इसे वियतनाम एवं इंडोनेशिया के समतुल्य बनाना तथा सभी सरकारी सेवाओं के लिये मंज़ूरी की स्वचालित अधिसूचना हेतु सिंगल प्वाइंट एक्सेस को शामिल किया गया है।
    • समय पर भूमि अधिग्रहण और वन मंज़ूरी के लिये राज्यों को प्रोत्साहन देना, एक व्यापक पर्यावरण प्रबंधन अधिनियम जो इस क्षेत्र में विभिन्न कानूनों को समाहित करता है, उभरते क्षेत्रों के लिये स्टार्टअप और कौशल कार्यक्रमों हेतु एक परामर्श मंच प्रदान करता है।
    • देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को बढ़ाने के लिये निर्णयन हेतु भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) मानचित्रण का उपयोग करना।
    • व्यापार समझौतों पर बातचीत और नौकरियों पर बल देना।
  • सिविल सेवाओं का उन्नयन:
    • क्षमता निर्माण (मिशन कर्मयोगी)- केंद्र और राज्यों दोनों में बुनियादी ढाँचे के विभिन्न पहलुओं पर अधिकारियों का प्रशिक्षण, विशेषज्ञता का संचार और उच्च सिविल सेवाओं के लिये नवीनतम तकनीकों के माध्यम से क्षमता निर्माण करना है।
    • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की तरह ही मंत्रालयों और विभागों के लिये प्रदर्शन आधारित कार्य, स्पष्ट और विशिष्ट लक्ष्य, राज्यों के मुद्दों का समाधान करने हेतु संस्थागत तंत्र तथा उनकी सीमित क्षमता को देखते हुए प्रत्येक 10 वर्ष में सरकारी प्रक्रिया री-इंजीनियरिंग (GPR) के माध्यम से विभागों का पुनर्गठन करना।
      • सेवाओं की समग्र गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से संगठन या उसके सदस्यों की 'समस्याओं' या 'ज़रूरतों' का समाधान करने के लिये GPR को लागू करना।
    • मुख्य सूचना अधिकारियों (CIO) और मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारियों (CTO) की नियुक्ति में डेटा का कुशलतापूर्वक उपयोग नहीं किया जा रहा है। सभी सरकारी आँकड़ों को सभी मंत्रालयों के लिये सुलभ बनाया जाना चाहिये।
  • अन्य एजेंडा:
    • नीति आयोग को भी पाँच वर्ष के अंदर गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित करने को कहा गया है।
    • आवास और शहरी कार्य मंत्रालय को मलिन बस्तियों के प्रसार को रोकने के लिये निर्माण में लगे सेवा कर्मचारियों हेतु आवासीय सुविधाओं की योजना शुरू करने की आवश्यकता है।
    • विभिन्न मंत्रालयों की लाभार्थी उन्मुख योजनाओं को एक साथ लाने के लिये आधार (Aadhaar) का उपयोग करने के साथ ही सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा एक 'पारिवारिक डेटाबेस डिज़ाइन' विकसित किया गया है जिसे आधार की तरह प्रोत्साहित किया जा सकता है।
    • यह संस्कृति और पर्यटन मंत्रालयों को 100-200 प्रतिष्ठित/आइकॉनिक संरचनाओं और स्थलों की पहचान करने और विकसित करने का निर्देश देता है।
    • सिंगापुर में स्थापित ऐसे केंद्रों से प्रेरणा लेते हुए सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में ‘उत्कृष्टता केंद्र’ स्थापित किये जा सकते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस