दूरसंचार क्षेत्र के लिये पीएलआई योजना | 10 Mar 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा दूरसंचार क्षेत्र के लिये उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (Production Linked Incentive Scheme-PLI) को मंज़ूरी दी गई है। साथ ही इस योजना पर पाँच वर्षों के लिये 12,195 करोड़ रुपए के परिव्यय की घोषणा की गई है।

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प्रमुख बिंदु: 

उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना:

  • घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात बिल में कटौती करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा मार्च 2020 में इस योजना को प्रस्तुत किया गया था, इसका उद्देश्य घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों के परिणामस्वरूप बढ़ती बिक्री पर कंपनियों को प्रोत्साहन देना है।
  • विदेशी कंपनियों को भारत में अपनी इकाई स्थापित करने हेतु आमंत्रित करने के अलावा इस योजना का उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को नई विनिर्माण इकाइयों को स्थापित करने या मौजूदा विनिर्माण इकाइयों का विस्तार करने के लिये प्रोत्साहित करना है।
  • इस  योजना को  इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों, आईटी हार्डवेयर, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल आदि सहित कई अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के लिये भी मंज़ूरी दी गई है।

दूरसंचार क्षेत्र के लिये पीएलआई योजना:

  • परिचय: 
    • यह योजना दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों जैसे- स्विच, राउटर, 4जी/5जी रेडियो एक्सेस नेटवर्क, वायरलेस उपकरण और अन्य इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) एक्सेस डिवाइस के घरेलू विनिर्माण के लिये लक्षित है।
    • इस योजना का संचालन 1 अप्रैल, 2021 से शुरू होगा।
  • योजना के लिये पात्रता:
    • इस योजना के लिये कंपनियों की पात्रता विनिर्मित वस्तुओं के संचयी वृद्धिशील निवेश और वृद्धिशील बिक्री की न्यूनतम सीमा को प्राप्त करने के अधीन है।
    • कुल संचयी निवेश एकमुश्त किया जा सकता है, बशर्ते वह चार वर्ष की अवधि के लिये निर्धारित संचय सीमा को पूरा करता हो।
    • शुद्ध करों के सापेक्ष विनिर्मित वस्तुओं की संचयी वृद्धिशील बिक्री  की गणना के लिये वित्तीय वर्ष 2019-20 को आधार वर्ष के रूप में माना जाएगा।
  • प्रोत्साहन:
    • इस योजना के लिये अर्हता प्राप्त निवेशक को न्यूनतम निवेश सीमा से 20 गुना तक प्रोत्साहन दिया जाएगा, जिससे वे अपनी अप्रयुक्त क्षमता का उपयोग कर सकेंगे।
  • MSMEs को उच्च प्रोत्साहन:
    • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिये न्यूनतम निवेश सीमा 10 करोड़ रुपए है, जबकि अन्य के लिये यह 100 करोड़ रुपए निर्धारित की गई है। 
    • MSMEs के लिये पहले तीन वर्षों में 1% अधिक प्रोत्साहन भी प्रस्तावित किया गया है।

महत्त्व :

  • इस योजना के परिणामस्वरूप अगले पाँच वर्षों में लगभग 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निर्यात के साथ लगभग 2.4 लाख करोड़ रुपए के वृद्धिशील उत्पादन और 3,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश प्राप्त होने का अनुमान है।
  • इस योजना से 40,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर सृजित होने के साथ ही दूरसंचार उपकरण विनिर्माण से 17,000 करोड़ रुपए का कर राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है।
  • इस योजना के माध्यम से भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा। गौरतलब है कि वर्तमान में भारत अपनी आवश्यकता के लगभग 80% से अधिक दूरसंचार और वायरलेस नेटवर्किंग उपकरणों का आयात करता है।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस