संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण मंच में प्लास्टिक पर चर्चा | 12 Mar 2019

चर्चा में क्यों?

पृथ्वी के पर्यावरणीय संकट पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण मंच की पाँच दिवसीय वार्षिक बैठक का आयोजन नैरोबी में किया जा रहा है जिसमें दुनिया भर के देशों से हज़ारों प्रतिनिधि, व्यापारी, नेता और प्रचारक भाग ले रहे हैं।

प्रमुख बिंदु

  • इस बैठक में दुनिया भर के देशों ने प्लास्टिक कचरे, दीर्घकालिक प्रदूषण के स्रोत और महासागर की खाद्य श्रृंखला को हानि पहुँचाने के खिलाफ प्रदूषण को रोकने के लिये अपनी प्रतिबद्धता तय की।
  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अलग-अलग देशों को अपने निर्धारित लक्ष्य के अनुसार प्लास्टिक के उत्पादन को महत्त्वपूर्ण रूप से कम करना है, जिसमें 2015 के पेरिस समझौते से प्रेरित एक लक्ष्य के अंतर्गत वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन की स्वैच्छिक कटौती करना है।
  • इस बैठक में पहली बार संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता एवं सहमति बनाने का प्रयास किया जा रहा है जिसके तहत बड़े पैमाने पर प्लास्टिक और रासायनिक कचरे से पारिस्थितिक तंत्र को होने वाले खतरे की चेतावनी के रूप में शामिल किया जा सकता है।
  • वर्तमान में दुनिया भर में प्रतिवर्ष  300 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन होता है तथा महासागरों में कम-से-कम पाँच ट्रिलियन प्लास्टिक के टुकड़े तैर रहे हैं।
  • माइक्रोप्लास्टिक्स सबसे गहरी समुद्री खाइयों से लेकर पृथ्वी की सबसे ऊँची चोटियों तक पाया जाते हैं, साथ ही प्लास्टिक की खपत साल-दर-साल बढ़ रही है।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

  • रिपोर्ट के अनुसार, प्लास्टिक टिकाऊ, लचीला और हल्का होता है, इसका निपटान करने के बजाय यथासंभव लंबे समय के लिये इसे सर्वश्रेष्ठ बनाकर सकारात्मक रूप में उपयोग करना चाहिये।
  • इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिकूल रिपोर्ट आई है, जिसमें स्पष्ट रूप से मानव जाति द्वारा लापरवाही से किये जाने वाले उपयोग के कारण मानव जाति को ही नुकसान पहुँचाने को संदर्भित किया गया है।
  • हालाँकि जलवायु, पर्यावरण, अपशिष्ट ये सभी चीजें परस्पर एक-दुसरे से जुड़ी हुई हैं।
  • एक अध्ययन के अनुसार, 1995 के बाद से कृषि, वनों की कटाई और प्रदूषण के माध्यम से पारिस्थितिक तंत्र के नुकसान की लागत $ 20 ट्रिलियन से कहीं ज़्यादा पाई गई।

स्रोत - द हिंदू