वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिये साझेदारी | 29 Jun 2022

प्रिलिम्स के लिये:

बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (B3W), PGII, BRI, चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC), सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट, क्लाइमेट सस्टेनेबिलिटी फंड, श्रीलंका में हंबनटोटा पोर्ट

मेन्स के लिये:

PGII के स्तंभ, PGII से भारत को लाभ, बेल्ट रोड इनिशिएटिव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 48वें G-7 शिखर सम्मेलन में G7 सहयोगियों के साथ अमेरिका ने वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिये साझेदारी (PGII) का अनावरण किया।

पृष्ठभूमि:

  • अमेरिका ने अपने सहयोगियों के साथ विकासशील दुनिया में 40 ट्रिलियन डॉलर के बुनियादी ढाँचे के अंतर को कम करने के उद्देश्य से 2021 में बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (B3W) के शुभारंभ की घोषणा की थी।
    • इसलिये ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर और निवेश के लिये साझेदारी B3W योजना का पुन: लॉन्च किया गया है।
  • PGII को एशिया, यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में कनेक्टिविटी, इंफ्रास्ट्रक्चर व व्यापार परियोजनाओं के निर्माण के लिये चीन के मल्टी ट्रिलियन डॉलर के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) हेतु G-7 के विरोधी के रूप में देखा जा रहा है।

वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिये साझेदारी:

  • परिचय:
    • PGII एक "मूल्य-संचालित, उच्च-प्रभाव और पारदर्शी बुनियादी ढाँचा साझेदारी है जो निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों की विशाल बुनियादी ढाँचे की ज़रूरतों को पूरा करती है।
      • संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों के आर्थिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा हितों का समर्थन करते हैं।
    • PGII के तहत G-7 विकासशील और मध्यम आय वाले देशों को "गेम-चेंजिंग" और "पारदर्शी" बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये 2027 तक 600 बिलियन डॉलर जुटाएगा
    • अमेरिकी राष्ट्रपति ने PGII के लिये अगले पाँच वर्षों में अनुदान, सार्वजनिक वित्तपोषण और निजी पूंजी के तहत 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर देने की घोषणा की।
    • यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ने इसी अवधि में इस साझेदारी के लिये 300 अरब यूरो जुटाने की यूरोप की प्रतिबद्धता की घोषणा की।
  • पीजीआईआई (PGII) के स्तंभ:
    • पहला: G-7 समूह का उद्देश्य जलवायु संकट से निपटना और स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति शृंखलाओं के माध्यम से वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
    • दूसरा: यह परियोजनाओं का डिजिटल सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) नेटवर्क को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगी जो 5 जी और 6 जी इंटरनेट कनेक्टिविटी तथा साइबर सुरक्षा जैसी तकनीकों को सुविधाजनक बनाती है।
    • तीसरा: परियोजनाओं का उद्देश्य लैंगिक समानता और समानता को बढ़ाना है।
      • लैंगिक समानता: इसके लिये सामाजिक रूप से मूल्यवान वस्तुओं, अवसरों, संसाधनों और पुरस्कारों द्वारा महिलाओं व पुरुषों दोनों को समान अवसर प्रदान करने की आवश्यकता होती है।
      • लिंग समानता: इसके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की अलग-अलग परिस्थितियांँ होती हैं तथा यह समान परिणाम तक पहुंँचने के लिये आवश्यक सटीक संसाधनों और अवसरों को आवंटित करता है।
    • चौथा: परियोजना वैश्विक स्वास्थ्य बुनियादी ढांँचे के उन्नयन पर ज़ोर देती है।
      • यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (DFC), G-7 राष्ट्रों और EU के साथ सेनेगल में वैक्सीन सुविधा उपलब्ध करने हेतु 3.3 मिलियन अमेरिकी डाॅलर की तकनीकी सहायता अनुदान वितरित कर रहा है।
      • यूरोपीय आयोग की ग्लोबल गेटवे पहल भी PGII का समर्थन करने वाली परियोजनाओं को संचालित करती है- जैसे लैटिन अमेरिका में एमआरएनए वैक्सीन संयंत्र
  • भारत को लाभ:
    • यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (Development Finance Corporation-DFC) ओमनिवोर एग्रीटेक और क्लाइमेट सस्टेनेबिलिटी फंड में 30 मिलियन अमेरीकी डॅालर तक का निवेश करेगा।
      • क्लाइमेट सस्टेनेबिलिटी फंड: यह एक इम्पैक्ट वेंचर कैपिटल फंड है जो भारत में कृषि, खाद्य प्रणाली, जलवायु और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निर्माण को बढ़ावा देने वाले उद्यमों में निवेश करता है।
      • फंड उन कंपनियों में निवेश करता है जो भारत में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देती हैं और जलवायु लचीलापन तथा अनुकूलन दोनों को बढ़ावा देती हैं तथा यह छोटे जोत वाले खेतों की लाभप्रदता व कृषि उत्पादकता में भी सुधार करेगी।
    • आम्निवोर एग्रीटेक: यह एक प्रौद्योगिकी संचालित कृषि पद्धति है जो कृषि समृद्धि को बढ़ाएगी और कृषि को अधिक लचीला और टिकाऊ बनाने के लिये खाद्य प्रणालियों को बदल देगी।
      • इसमें किसान मंच, सुस्पष्ट सटीक कृषि, कृषि-बायोटेक आदि शामिल हैं।

PGII का मुकाबला चीन की BRI से:

  • परियोजना:
    • PGII ने जलवायु कार्रवाई और स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया है, जबकि चीन ने सौर, पनबिज़ली और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के साथ-साथ BRI के तहत कोयले से चलने वाले बड़े संयंत्र बनाए हैं।
  • वित्तपोषण:
    • PGII का लक्ष्य अनुदान और निवेश के माध्यम से परियोजनाओं का निर्माण करना है। चीन उन देशों को बड़े कम ब्याज़ वाले ऋण देकर BRI की परियोजनाओं का निर्माण करता है जिन्हें आमतौर पर 10 वर्षों में भुगतान करना पड़ता है।
    • जबकि G-7 ने 2027 तक 600 बिलियन अमेरिकी डाॅलर का वादा किया है, यह अनुमान लगाया गया है कि उस समय तक BRI के लिये चीन का कुल वित्तपोषण 1.2 अमेरिकी डाॅलर से 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डाॅलर तक पहुँच सकता था, जबकि वास्तविक वित्तपोषण अधिक था। PGII के तहत निजी पूंजी भी जुटाई जाएगी, जबकि चीन का BRI प्रमुख रूप से राज्य द्वारा वित्तपोषित है।
  • पारदर्शिता:
    • G-7 नेताओं ने PGII परियोजनाओं की आधारशिला के रूप में 'पारदर्शिता' पर ज़ोर दिया, BRI को बड़े पैमाने पर ऋण देने के लिये देशों को गोपनीय निविदाओं पर हस्ताक्षर करने हेतु आलोचना का सामना करना पड़ा है, जिससे देश चीन के ऋणी हो गए।
      • उदाहरण के लिये BRI के प्रमुख 62 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के बाद पाकिस्तान पर अपने विदेशी ऋण का एक बड़ा हिस्सा बीजिंग का बकाया है।
      • PGII का लक्ष्य अनुदान और निवेश के माध्यम से परियोजनाओं का निर्माण करना है।

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI):

  • परिचय:
    • बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है जो एशिया, अफ्रीका और यूरोप के महाद्वीपों में फैले कई देशों के बीच संपर्क व सहयोग पर केंद्रित है। BRI करीब 150 देशों (चीन का दावा) में फैला है।
      • प्रारंभ में वर्ष 2013 में घोषित इस परियोजना में रोडवेज़, रेलवे, समुद्री बंदरगाहों, पावर ग्रिड, तेल और गैस पाइपलाइनों तथा संबंधित बुनियादी ढांँचा परियोजनाओं के नेटवर्क का निर्माण शामिल है।
    • परियोजना में दो भाग शामिल:
      • सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट: यह भूमि आधारित है और चीन को मध्य एशिया, पूर्वी यूरोप और पश्चिमी यूरोप से जोड़ने की उम्मीद है।
      • 21वीं सदी का समुद्री रेशम मार्ग: यह समुद्र आधारित है और चीन के दक्षिणी तट को भूमध्यसागरीय, अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य एशिया से जोड़ने की उम्मीद है।
  • चीन के लिये BRI का महत्त्व:
    • बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) वैश्विक, राजनीतिक और रणनीतिक प्रभाव के लिये अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के रूप में चीन की आर्थिक व औद्योगिक ताकत का द्योतक है।
    • जैसे-जैसे घरेलू अवसंरचना पर खर्च कम टिकाऊ होता गया, चीन ने घरेलू व्यवसायों की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया।
      • कम विकसित और विकासशील देशों में बड़े बुनियादी ढाँचे के निवेश ने चीन को दुनिया भर में अपने प्रभाव का लाभ उठाने में सक्षम बनाया है, संभावित रूप से वैश्विक व्यवस्था के स्थापित नियमों को बदल दिया है और पश्चिमी शक्तियों को चुनौती दी है।
    • बीआरआई यूरेशियन क्षेत्र में चीन की उपस्थिति को मज़बूत करेगा और इसे एशिया के हृदय क्षेत्र पर एक कमांडिंग स्थिति में रखेगा।
  • आलोचना:
    • पश्चिमी आलोचकों ने इस पहल को नव उपनिवेशवाद या 21वीं सदी के लिये मार्शल योजना के रूप में वर्णित किया है।
    • बीआरआई को चीन की ऋण जाल नीति के एक भाग के रूप में भी देखा जा रहा है, जिसमें चीन जान-बूझकर कर्जदार देश से आर्थिक या राजनीतिक रियायतें प्राप्त करने के इरादे से दूसरे देश को अत्यधिक ऋण देता है।

भारत के BRI में शामिल न होने का कारण:

  • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) BRI की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है, जिसे भारत अपनी संप्रभुता के उल्लंघन के रूप में देखता है।
    • सीपीईसी कश्मीर विवाद में पाकिस्तान की वैधता में मदद कर सकता है।
  • चीन गिलगित-बाल्टिस्तान के विवादित क्षेत्र में सड़कों और बुनियादी ढाँचे का निर्माण कर रहा है, जो पाकिस्तान के नियंत्रण में है लेकिन भारत जम्मू-कश्मीर का हिस्सा होने का दावा करता है।
  • यदि सीपीईसी परियोजना सफलतापूर्वक लागू हो जाती है, तो इससे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों में बाधा आएगी। यह भारत को घेरने की बीजिंग की रणनीतिक महत्त्वाकांक्षा को पूरा करेगा।
    • दक्षिण एशियाई क्षेत्र में चीन के बढ़ता प्रभाव भारत की रणनीतिक पकड़ के लिये हानिकारक हैं, उदाहरण के लिये श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह के निर्माण ने चीन को हिंद महासागर में एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक स्थान प्रदान किया है।

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स्रोत: द हिंदू