तेल तथा गैस के आयात पर निर्भरता कम करने की सिफारिश | 22 May 2019

संदर्भ

सार्वजनिक क्षेत्र के तेल और गैस उपक्रमों के बीच सामंजस्य पैदा करने के लिये कार्ययोजना तैयार करने से जुड़े मुद्दों की जाँच करने; कर मामलों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के तेल और गैस उपक्रमों द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (Goods And Services Tax-GST) से लाभ प्राप्त करने के तरीकों के संबंध में सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।

  • इस उच्चस्तरीय समिति में प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनिल काकोदकर (अध्यक्ष) और वित्तीय और कर मामलों के विशेषज्ञ सिद्धार्थ प्रधान शामिल थे।
  • समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र के तेल और गैस उपक्रमों तथा संयुक्त उद्यमों के विलय, अधिग्रहण एवं एकीकरण; तेल सेवाएँ प्रदान करने वाली नई कंपनी के गठन; और दुनिया भर में तेल तथा गैस क्षेत्र के लिये सक्षम मानवशक्ति उपलब्ध कराने की आवश्यकता एवं संभावना का अध्ययन किया।

भारत के लिये ऊर्जा संरक्षण का महत्त्व

  • भारत में ऊर्जा सुरक्षा एक प्रमुख रणनीतिक प्राथमिकता है। वर्ष 2018 के दौरान भारत ने  204.92 MMT(Million Metric Tons) पेट्रोलियम उत्पादों तथा 58.64 BCM (Billion Cubic Meters) प्राकृतिक गैस का उपभोग किया जबकि कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का घरेलू उत्पादन स्थिर रहा।
  • इस दौरान कच्चे तेल और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (Liquified Natural Gas-LNG) के आयात पर निर्भरता क्रमशः 82.59 प्रतिशत और 45.89 प्रतिशत थी जिसमें आने वाले दिनों में वृद्धि की संभावना है।

तरलीकृत प्राकृतिक गैस (Liquified Natural Gas-LNG)

  • LNG प्राकृतिक गैस का तरल रुप है जिसे आमतौर पर जहाज़ों के माध्यम से बड़ी मात्रा में उन देशों को भेजा जाता है जहाँ पाइप लाइन का विस्तार संभव नहीं है।
  • प्राकृतिक गैस को 160 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करके तरल अवस्था में लाया जाता है। प्राकृतिक गैस से तरलीकृत प्राकृतिक गैस बनाने की प्रक्रिया के दौरान बहुत सी अशुद्धियों को पृथक किया जाता है। इसलिये LNG को प्राकृतिक गैस का शुद्धतम रुप कहा जाता है।
  • वर्ष 2018 के दौरान पेट्रोलियम का आयात (7028.37 अरब रुपए) देश के कुल सकल आयात (30010.2 अरब रुपए) का 23.42 प्रतिशत था।
  • भारत की तेल की मांग में वर्ष 2016-2030 के दौरान चार प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate-CAGR) का अनुमान लगाया गया है जबकि विश्व का औसत केवल एक प्रतिशत है। हालाँकि भारत द्वारा तेल की अनुमानित मांग अमेरिका और चीन के मुकाबले काफी कम होगी।
  • अतः भारत काफी संकटपूर्ण स्थिति में है। भारत को अपनी ऊर्जा आवश्कताओं की निरंतर पूर्ति के लिये लीक से हटकर समाधान निकालने की आवश्यकता है। अनुसंधान और विकास इस प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

समिति की सिफारिश

  • उच्चस्तरीय दल ने तेल और गैस के विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अनुसंधान और विकास तथा प्रशिक्षण संस्थानों का दौरा किया और अंततः अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की जिन पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (Ministry of Petroleum & Natural Gas) द्वारा नीतियाँ तैयार करते समय विचार किया जाएगा। समिति की सिफारिशों के अनुसार तेल एवं गैस के आयात पर देश की निर्भरता को कम करने के लिये अल्पावधि, मध्यम अवधि और दीर्घ अवधि की रणनीतियाँ तैयार करने की आवश्यकता है।

स्रोत: पी.आई.बी