सेबी को फोन टैप करने का अधिकार देने की सिफारिश | 10 Aug 2018

चर्चा में क्यों?

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की ओर से गठित समिति ने बाज़ार नियामक निकाय सेबी के कामकाज को और अधिक गति देने के लिये उसे टेलीफोन तथा अन्य संचार माध्यमों को टैप करने का अधिकार देने की सिफारिश की है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में सेबी के पास कॉल डेटा रिकॉर्ड मांगने का अधिकार तो है लेकिन बातचीत सुनने का अधिकार उसके पास नहीं है।

समिति की सिफारिशें

  • पूर्व विधि सचिव तथा लोकसभा के पूर्व महासचिव टी के विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली समिति ने बाज़ार धोखाधड़ी, भेदिया कारोबार, निगरानी तथा जाँच से जुड़े नियमों में कई बदलाव सुझाए हैं।
  • समिति की सिफारिशों के अनुसार, सेबी को कॉल टैप करने का अधिकार मांगना चाहिये लेकिन इसके दुरुपयोग को रोकने के लिये संबंधित कानूनों में आवश्यक संशोधन भी किये जाने चाहिये।
  • सूचीबद्ध कंपनियों में व्हीसल ब्लोअर नीति (आंतरिक भेदी नीति) को अनिवार्य करने की भी सिफारिश की गई है।
  • समिति ने कंपनी से जुड़ी संवेदशील सूचनाएँ रखने वाले अधिकारियों/ कर्मचारियों के साथ एक ही पते पर रहने वाले नज़दीकी संबंधियों तथा वित्तीय साझेदारों की सूची रखने का सुझाव दिया है।
  • समिति का गठन अगस्त 2017 में बाज़ार के बढ़ते दुरुपयोग को राकने तथा प्रतिभूति बाज़ार में निष्पक्ष लेन-देन सुनिश्चित करने के लिये किया गया।

भेदिया कारोबार पर अंकुश लगाने के लिये आचार संहिता

  • समिति ने भेदिया कारोबार पर अंकुश लगाने के संदर्भ में कई सुझाव दिये हैं। इन सुझावों में दो अलग आचार संहिताएँ बनाना शामिल है। 
  • इनमें से एक आचार संहिता सूचीबद्घ कंपनियों के लिये तथा दूसरी मध्यवर्ती संस्थाओं और संवेदनशील जानकारी को संभालने वाले लोगों के लिये मानक तय करेगी।

छोटी तथा बड़ी कंपनियों की जाँच के तरीके अलग-अलग होने चाहिये

  • विश्वनाथन समिति द्वारा की गई सिफारिशों में यह सुझाव भी शामिल है कि बड़ी और छोटी कंपनियों की जाँच अलग-अलग तरीके से की जानी चाहिये। 
  • समिति का मानना है कि बड़ी कंपनियों में होने वाली गड़बड़ियों की जाँच करने के लिये सेबी में अलग अधिकारी होने चाहिये जिनके पास इन्हीं कंपनियों की जाँच की ज़िम्मेदारी रहे।
  • बड़ी कंपनियों के मामलों की जाँच-पड़ताल फास्ट ट्रैक आधार पर होनी चाहिये।
  • छोटी कंपनियों के मामलों की जाँच के लिये दूसरे अधिकारी नियुक्त होने चाहिये। छोटी कंपनियों में किसी भी गड़बड़ी की जाँच सामान्य तरीके से भी की जा सकती है।

इनसाइडर ट्रेंडिंग के लिये आचार संहिता

  • समिति का कहना है कि हर कंपनी इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के लिये आचार संहिता बनाए और उसको अमल में लाना सुनिश्चित करे। 
  • अगर कोई कंपनी या व्यक्ति अपनी घोषित संपत्ति से ज़्यादा की ट्रेडिंग करता है तो उसे फ्रॉड माना जाना चाहिये, खासकर उन मामलों में जहाँ गलत तरीके से शेयर भाव घटाने-बढ़ाने की बात हो। 
  • समिति ने लेखा परीक्षक, एकाउंटेंट, विश्लेषक और सलाहकारों के लिये अलग आचार संहिता बनाने की सिफारिश की है।