ग्रामीण स्थानीय निकायों का वित्तपोषण | 26 Jun 2020

प्रीलिम्स के लिये: 

ग्रामीण स्थानीय निकाय, पंचायती राज संस्थान, 15वाँ वित्त आयोग 

मेन्स के लिये:

ग्रामीण स्थानीय निकाय तथा इनके वित्तपोषण की आवश्यकता, ग्रामीण स्थानीय निकायों के विकास में वित्त आयोग की भूमिका 

चर्चा में क्यों?

25 जून 2020 को पंचायती राज मंत्रालय (Ministry of Panchayati Raj) ने वर्ष 2020-21 से लेकर वर्ष 2025-26 तक के लिये अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने के लिये 15वें वित्‍त आयोग (15th Finance Commission) के साथ एक विस्तृत बैठक की। इस बैठक में मंत्रालय द्वारा ग्रामीण स्थानीय निकायों (Rural Local Bodies- RLB) के वित्तपोषण में वृद्धि की सिफारिश की गई।

प्रमुख बिंदु:

  • मंत्रालय ने 15वें वित्त आयोग से वर्ष 2020-21 से वर्ष 2025-26 तक की अवधि के लिये पंचायती राज संस्थानों को 10 लाख करोड़ रुपए आवंटित करने की सिफारिश की है। 
    • 14वें वित्त आयोग के तहत पंचायती राज संस्थानों (Panchayati Raj Institution- PRI) को 2 लाख करोड़ रुपए आवंटित किये गए थे। उल्लेखनीय है कि 13वें से 14वें वित्त आयोग के बीच आवंटन की राशि तीन गुना थी, जबकि इस बार यह राशि पिछले वित्त आयोग की तुलना में 5 गुना करने की सिफारिश की गई है।
  • समाचार पत्र द हिंदू के अनुसार, मंत्रालय द्वारा आयोग को प्रस्तुत एक मूल्यांकन अध्ययन में वर्ष 2015 और 2019 के बीच वित्त आयोग द्वारा दिये गए अनुदानों के उपयोग की दर 78% प्रदर्शित की गई है।
    • वित्त आयोग से प्राप्त अनुदानों से पूरी की जाने वाली प्रमुख परियोजनाओं में सड़क निर्माण और रखरखाव के साथ-साथ पीने के पानी की आपूर्ति शामिल है। 
    • संविधान की 11वीं अनुसूची के अनुसार, देश भर की 2.63 लाख पंचायतों के लिये 29 विषयों का प्रावधान किया गया है।

11वीं अनूसूची में शामिल विषय 

  1. कृषि (कृषि विस्तार शामिल)। 
  2. भूमि विकास, भूमि सुधार कार्यान्वयन, चकबंदी और भूमि संरक्षण। 
  3. लघु सिंचाई, जल प्रबंधन और जल-विभाजक क्षेत्र का विकास। 
  4. पशुपालन, डेयरी उद्योग और कुक्कुट पालन। 
  5. मत्स्य उद्योग। 
  6. सामाजिक वानिकी और फार्म वानिकी। 
  7. लघु वन उपज। 
  8. लघु उद्योग जिसके अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भी शामिल हैं। 
  9. खादी, ग्राम उद्योग एवं कुटीर उद्योग। 
  10. ग्रामीण आवासन। 
  11. पेयजल। 
  12. ईंधन और चारा। 
  13. सड़कें, पुलिया, पुल, फेरी, जलमार्ग और अन्य संचार साधन। 
  14. ग्रामीण विद्युतीकरण, जिसके अंतर्गत विद्युत का वितरण शामिल है। 
  15. अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत। 
  16. गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम। 
  17. शिक्षा, जिसके अंतर्गत प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय भी हैं। 
  18. तकनीकी प्रशिक्षण और व्यावसायिक शिक्षा। 
  19. प्रौढ़ और अनौपचारिक शिक्षा। 
  20. पुस्तकालय। 
  21. सांस्कृतिक क्रियाकलाप। 
  22. बाज़ार और मेले। 
  23. स्वास्थ्य और स्वच्छता (अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और औषधालय)। 
  24. परिवार कल्याण। 
  25. महिला और बाल विकास। 
  26. समाज कल्याण (दिव्यांग और मानसिक रूप से मंद व्यक्तियों का कल्याण)। 
  27. दुर्बल वर्गों का तथा विशिष्टतया अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का कल्याण।
  28. सार्वजनिक वितरण प्रणाली। 
  29. सामुदायिक आस्तियों का अनुरक्षण।
  • मंत्रालय ने यह स्वीकार किया कि महामारी और लॉकडाउन के दौरान एक बड़ी चुनौती यह थी कि अधिकांश पंचायतें अल्प सूचना पर पका हुआ भोजन उपलब्ध नहीं करा सकती थीं। इसलिये यह प्रस्तावित किया गया है कि प्रत्येक पंचायत में स्थानीय स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित होने वाली सामुदायिक रसोई स्थापित की जाए।

RLBs के संदर्भ में 15वें वित्‍त आयोग का उत्तरदायित्त्व 

  • 15वें वित्‍त आयोग के विचारार्थ विषयों में इसे ‘राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों और नगरपालिकाओं के संसाधनों के पूरक के तौर पर काम आने के लिये संबंधित राज्य के समेकित कोष को बढ़ाने के लिये आवश्यक उपायों’ की सिफारिश करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। 
    • आयोग ने इस पर विचार करते हुए वर्ष 2020-21 के लिये अपनी रिपोर्ट में स्थानीय निकायों के लिये अपनी सिफारिश प्रस्तुत की थी तथा इसके साथ ही अपनी शेष अनुदान अवधि के लिये एक व्यापक रोडमैप का संकेत भी दिया था। 
    • उल्लेखनीय है कि इस अवधि के लिये ग्रामीण स्थानीय निकायों को 60,750 करोड़ रुपए दो किस्‍तों में आवंटित किये गए थे: 
      1. 50% मूल अनुदान (Basic Grants) के रूप में
      2. 50% अंतिम अनुदान (Final Grants) के रूप में

पंचायती राज मंत्रालय की सिफारिशें:

  • पंचायती राज मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों के अनुसार, 15वां वित्‍त आयोग 2021-2026 की संशोधित अवधि के लिये पंचायती राज संस्‍थानों (PRI) के लिये अपने अनुदान को 10 लाख करोड़ रुपए के स्‍तर पर रखने पर विचार कर सकता है। मंत्रालय द्वारा सिफारिश की गई हैं  कि-
    • वर्ष 2020-21 के लिये 15वें वित्‍त आयोग की अंतरिम रिपोर्ट के प्रावधानों के अनुरूप अनुदान अवधि के प्रारंभिक 4 वर्षों अर्थात वर्ष 2021-25 के लिये PRI को अनुदान अंतरण की बुनियादी सेवाएँ सुनिश्चित करने के लिये 50% मुक्‍त राशि (Untied Fund) के रूप में और पेयजल आपूर्ति एवं स्वच्छता के लिये 50% सहबद्ध राशि (Tied Fund) के रूप में रखा जा सकता है। 
    • इसके बाद ग्रामीण निकायों में पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता में अनुमानित प्रगतिशील परिपूर्णता स्तरों को ध्‍यान में रखते हुए इसे वर्ष 2025-26 के लिये पेयजल आपूर्ति एवं स्वच्छता के लिये 25% सहबद्ध राशि के रूप में और 75% को मुक्‍त राशि के रूप में रखा जा सकता है। 
    • मुक्‍त अनुदानों में से PRI को आउटसोर्सिंग के विभिन्न तरीकों, अनुबंध या स्व-सहभागिता के माध्यम से बुनियादी सेवाएँ मुहैया कराने की अनुमति दी जा सकती है। 
    • वे विभिन्न राजस्व/आवर्ती व्यय (Revenue/Recurring expenditure) जैसे कि परिचालन, रखरखाव, पारिश्रमिक भुगतान, इंटरनेट एवं टेलीफोन व्यय, ईंधन खर्च, किराया, आपदाओं के दौरान आकस्मिक व्यय इत्‍यादि के लिये भी अनुदान का उपयोग कर सकते हैं। 
  • इसने पाँच वर्ष की अवधि 2021-26 के लिये 12,000 करोड़ रुपए के अनुदान की अतिरिक्त आवश्यकता को भी रेखांकित किया है, ताकि राज्‍यों को उन सभी ग्राम पंचायतों में समयबद्ध तरीके से ग्राम पंचायत भवन बनाने के लिये सक्षम बनाया जा सके जहाँ इस तरह के भवन नहीं हैं। 
  • इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास के लिये एक आवश्‍यक ग्रामीण अवसंरचना के रूप में सभी ग्राम पंचायतों में बहुउद्देश्यीय सामुदायिक हॉल/केंद्र बनाने की ज़रूरत को महसूस किया गया है।

आगे की राह:

  • पर्याप्त धन की कमी पंचायतों के लिये समस्या का एक विषय रही है ऐसे में वित्त आयोग द्वारा दिये जाने वाले अनुदान में वृद्धि इनके सशक्तीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
  • सामुदायिक, सरकारी और अन्य विकासात्मक एजेंसियों के माध्यम से प्रभावी संयोजन/सहलग्नता द्वारा सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य स्थिति में सुधार किया जा सकता है।
  • इसके अलावा स्थानीय सरकारों के पास वित्त के स्पष्ट एवं स्वतंत्र स्रोत होने चाहिये। 

स्रोत: द हिंदू एवं पी.आई.बी.