पंचायत विकास सूचकांक रिपोर्ट | 03 Jul 2023

हाल ही में केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के राज्य मंत्री ने नई दिल्ली में पंचायत विकास सूचकांक पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में पंचायत विकास सूचकांक (PDI) पर रिपोर्ट जारी की।

पंचायत विकास सूचकांक: 

  • परिचय: 
    • PDI एक समग्र सूचकांक है जो सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के स्थानीयकरण को प्राप्त करने में पंचायतों के प्रदर्शन को मापता है।
    • यह पंचायतों की विकास स्थिति का समग्र और साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन प्रदान करता है तथा उनकी शक्ति एवं कमज़ोरियों को उजागर करता है। 
  • उद्देश्य:  
    • PDI का उद्देश्य पंचायतों और हितधारकों के बीच उनके महत्त्व के विषय में जागरूकता बढ़ाकर SDG के स्थानीयकरण को बढ़ावा देना है।
    • यह सतत् विकास लक्ष्य (SDG) हासिल करने में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिये पंचायतों को सर्वोत्तम प्रथाओं और नवाचारों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करता है।
  • रैंकिंग और वर्गीकरण:
    • पंचायत विकास सूचकांक, ज़िला, ब्लॉक और गाँव सहित विभिन्न स्तरों पर पंचायतों को  उनके कुल स्कोर के आधार पर रैंकिंग प्रदान करता है।
    • पंचायतों को चार ग्रेडों में वर्गीकृत किया गया है: D (स्कोर 40% से कम), C (40-60%), B (60-75%), A(75-90%) और A+ (90% से ऊपर)।
  • विषय और केंद्रीय बिंदु:
    • पंचायत विकास सूचकांक नौ विषयों पर विचार करता है, जिनमें गरीबी मुक्त और उन्नत आजीविका, स्वस्थ गाँव, बाल-सुलभ गाँव, जल-पर्याप्त गाँव, स्वच्छ और हरित गाँव, आत्मनिर्भर बुनियादी ढाँचा, सामाजिक रूप से न्यायसंगत एवं सुरक्षित गाँव, सुशासन तथा महिला-अनुकूल गाँव शामिल हैं।
  • पंचायत विकास सूचकांक के अनुप्रयोग और लाभ:
    • पंचायत विकास सूचकांक का उपयोग राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा पंचायती राज पुरस्कारों और विकास के लिये डेटा-संचालित एवं साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण पर बल देने हेतु किया जा सकता है।
    • यह SDG के साथ संबद्ध पंचायतों तथा अन्य संस्थाओं द्वारा कार्यान्वित योजनाओं के निर्माण, निगरानी और मूल्यांकन करने के लिये एक उपकरण के रूप में कार्य करता है।
    • PDI सफल मॉडलों एवं हस्तक्षेपों को सीखने तथा उनकी प्रतिकृति बनाने के लिये पंचायतों, हितधारकों के बीच ज्ञान के साथ अनुभवों को साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।

PDI रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:

  • पायलट प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के चार ज़िलों पुणे, सांगली, सतारा तथा सोलापुर में चलाया गया था।
  • पायलट प्रोजेक्ट से एकत्र किये गए डेटा का उपयोग पंचायत विकास सूचकांक समिति की रिपोर्ट संकलित करने के लिये किया गया था।
  • पायलट अध्ययन से जानकारी प्राप्त हुई कि महाराष्ट्र के चार ज़िलों में 70% पंचायतें श्रेणी C में आती हैं, जबकि 27% पंचायतें श्रेणी B में हैं।
  • यह रिपोर्ट साक्ष्य-आधारित योजना निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है, जिसके तहत समग्र विकास के लिये आवश्यक स्थानों पर संसाधनों का प्रबंधन किया जाना चाहिये। 

पंचायती राज संस्थान:

  • पंचायती राज संस्थान (Panchayati Raj Institution- PRI) भारत में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन (Rural Local Self-government) की एक प्रणाली है।
  • स्थानीय स्वशासन स्थानीय लोगों द्वारा चुने गए स्थानीय निकायों द्वारा स्थानीय मामलों का प्रबंधन है।
  • स्थानीय स्तर पर लोकतंत्र की स्थापना के लिये 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थान (Panchayati Raj Institution) को संवैधानिक स्थिति प्रदान की गई और उन्हें देश में ग्रामीण विकास का कार्य सौंपा गया।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य क्या सुनिश्चित करना है? (2015) 

  1. विकास में जन-भागीदारी
  2. राजनीतिक जवाबदेही
  3. लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण
  4. वित्तीय संग्रहण

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (c) 

व्याख्या: 

  • पंचायती राज व्यवस्था का सबसे बुनियादी उद्देश्य विकास एवं लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करना है। 
  • पंचायती राज संस्थाओं की स्थापना से स्वतः ही राजनीतिक जवाबदेही सिद्ध नहीं होती है।
  • वित्तपोषण पंचायती राज का मूल उद्देश्य नहीं है। हालाँकि यह ज़मीनी स्तर पर सरकार को वित्त एवं संसाधन हस्तांतरित करना चाहता है।

स्रोत: पी.आई.बी.