पगड़ी संभाल आंदोलन | 25 Feb 2021

चर्चा में क्यों?

वर्ष 1907 में पगड़ी संभाल आंदोलन शुरू करने वाले सरदार अजीत सिंह की स्मृति में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने 23 फरवरी, 2021 को पगड़ी संभाल दिवस के रूप में मनाया।

  • उल्लेखनीय है दिल्ली में चल रहे विरोध प्रदर्शन के भाग के रूप में किसान संगठनों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि संसद द्वारा पारित कृषि कानून किसानों को अपनी ज़मीन कॉरपोरेट्स को बेचने के लिये मजबूर करेंगे। किसान संगठनों की यह शिकायत वर्ष 1907 में किसान संगठनों द्वारा की गई शिकायत के समान है जिसके परिणामस्वरूप पगड़ी संभाल आंदोलन की शुरुआत हुई थी।

प्रमुख बिंदु

  • पगड़ी संभाल आंदोलन:
    • आंदोलन के विषय में:
      • यह एक सफल किसान आंदोलन था जिसने वर्ष 1907 में ब्रिटिश सरकार को कृषि से संबंधित तीन कानूनों को रद्द करने के लिये विवश किया। ये तीन कानून थे-
      • पंजाब भूमि अलगाव अधिनियम (Punjab Land Alienation Act) 1900, पंजाब भूमि उपनिवेशीकरण अधिनियम (Punjab Land Colonisation Act) 1906 और दोआब बारी अधिनियम (Doab Bari Act) 1907।
      • इन अधिनियमों के चलते किसान भूमि के मालिक न रहकर भूमि के ठेकेदार/अनुबंधक बन जाते और यदि किसान अनुमति लिये बिना अपने खेत में एक पौधा भी छू लेता तो ब्रिटिश सरकार उस किसान को आवंटित भूमि वापस ले सकती थी
    • आंदोलन का नारा:
      • पगड़ी संभाल जट्टा’ का नारा तथा आंदोलन का नाम जंग स्याल (Jang Sayal) अखबार के संपादक बांके लाल के गीत से प्रेरित था।
    • विरोध:
      • यह विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था और आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों, डाकघरों, बैंकों आदि में लूटपाट की तथा टेलीफोन के खंभों को गिरा दिया।
    • आंदोलन के नेतृत्वकर्त्ता:
      • इस आंदोलन के प्रमुख नेतृत्वकर्त्ता भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह थे जिन्होंने कृषि कानूनों से नाराज़ किसानों को संगठित करने का कार्य किया।
      • भगत सिंह के पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह ने अपने क्रांतिकारी मित्र घसीटा राम के साथ मिलकर भारत माता सोसाइटी (Bharat Mata Society) का गठन किया। इस सोसाइटी का उद्देश्य किसानों में व्याप्त नाराज़गी को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक आंदोलन का रूप देना था।
        • सूफी अम्बा प्रसाद, जिया-उल-हक, लाल चंद फलक, दीन दयाल बांके, किशन सिंह और लाला राम शरण दास जैसे कई युवा क्रांतिकारी भारत माता सोसाइटी के सदस्य थे।

  • सरदार अजीत सिंह: 
    • जन्म:
      • इनका जन्म 23 फरवरी, 1881 को हुआ था। वह भारत में ब्रिटिश शासन के समय एक क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी थे।
      • वह भारतीय क्रांतिकारियों और अपने भतीजे भगत सिंह के प्रेरणास्रोत थे।
    • कार्य:
      • वह पंजाब के शुरुआती प्रदर्शनकारियों में से थे, उन्होंने औपनिवेशिक सरकार की खुलेआम आलोचना की।
      • अपने भाई किशन सिंह के साथ उन्होंने बरार (मध्य प्रदेश) और अहमदाबाद जैसे अकाल प्रभावित क्षेत्रों तथा वर्ष 1905 में श्रीनगर एवं कंगला के बाढ़ और भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के लिये काम किया।
      • उन्होंने भारत माता पुस्तक एजेंसी (भारत माता सोसाइटी का हिस्सा) की शुरुआत की जिसने स्पष्ट रूप से सरकार विरोधी प्रकाशनों के कारण ब्रिटिश सरकार का ध्यान आकर्षित किया।
      • उन्होंने उन लोगों के साथ एकजुटता हेतु एक नेटवर्क बनाया, जो यूरोप के विभिन्न हिस्सों में भारत की आज़ादी के लिये संघर्ष कर रहे थे। इस अवधि में उन्होंने भारतीय क्रांतिकारी संघ (Indian Revolutionary Association) की भी स्थापना की।
    • निर्वासन:
      • मई 1907 में लाला लाजपत राय के साथ सरदार अजीत सिंह को बर्मा के मांडले में निर्वासित कर दिया गया।
      • हालाँकि अत्यधिक सार्वजनिक दबाव और भारतीय सेना में अशांति बढ़ने के कारण के कारण अक्तूबर 1907 में दोनों को रिहा कर दिया गया था।
    • ईरान पलायन:
      • 1909 में सरदार अजीत सिंह सूफी अम्बा प्रसाद के साथ ईरान भाग गए और वहाँ 38 वर्षों तक आत्मरोपित निर्वासन में रहे।
    • मृत्यु:
      • मार्च 1947 में वह भारत वापस लौटे तथा 15 अगस्त, 1947 को डलहौज़ी, पंजाब में उनकी मृत्यु हो गई।

नोट:

  • मध्यकालीन युग के दौरान केवल कुलीन वर्ग के लोगों को पगड़ी पहनने की अनुमति थी परंतु 17वीं शताब्दी में सिख क्रांति के दौरान गुरु गोबिंद सिंह ने इसे अवज्ञा का प्रतीक घोषित किया।
  • उन्होंने पगड़ी से जुड़े भेदभाव को समाप्त करते हुए आम आदमी के लिये अपने आत्मसम्मान का दावा करने और उसे प्राप्त करने का मार्ग प्रसस्त किया।
  • पगड़ी आम आदमी की गरिमा का प्रतिनिधित्व करती है।
  • वर्ष 1907 में 'पगड़ी संभाल जट्टा' अपनी पगड़ी को न गिरने देने (वस्तुत: और लाक्षणिक रूप से) का आह्वान था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस