ओज़ोन परत में सुधार (ozone layer is recovering) | 06 Nov 2018

संदर्भ

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा किये गए एक अध्ययन में पता चला है कि क्षतिग्रस्त ओज़ोन परत में प्रति दशक 1 से 3 प्रतिशत की दर से सुधार हो रहा है। गौरतलब है कि कैंसर पैदा करने वाली खतरनाक सौर किरणों से ओज़ोन परत रक्षा करती है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की चार-वर्षीय समीक्षा के दौरान ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले पदार्थों में कमी तथा परिणामस्वरूप ओज़ोन परत में सुधार पाया गया।
  • अंटार्कटिक ओज़ोन होल की घटना अब भी जारी है परंतु इसमें लगातार सुधार भी हो रहा है।
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को अपनाए जाने के परिणामस्वरूप ही हम वर्तमान में ओज़ोन परत क्षरण की भयावहता से बचने में सफल हो पाए हैं।

अंटार्कटिक ओज़ोन होल

  • यह उम्मीद की जाती रही है कि 2060 तक अंटार्कटिक ओज़ोन होल में पूर्ण सुधार हो जाएगा।
  • अध्ययनकर्त्ताओं द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के अनुसार, वर्ष 2000 के बाद से क्षतिग्रस्त ओज़ोन परत में प्रति दशक 1 से 3 प्रतिशत की दर से सुधार हो रहा है।
  • उक्त अनुमानित दर से उत्तरी गोलार्द्ध और मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में 2030 तक, दक्षिणी गोलार्द्ध क्षेत्रों में 2050 तक और ध्रुवीय क्षेत्रों में 2060 तक ओज़ोन परत में पूर्ण सुधार हो जाएगा।
  • पूरे विश्व में मीटरडोज़ इनहेलर (MDI) को छोड़कर बाकी सभी प्रकार के उत्पादों में क्लोरोफ्लोरो कार्बन (जिसका रेफ्रीजरेटर में उपयोग होता था), कार्बन टेट्रा क्लोराइड, हैलोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • इसके बाद से ही अंटार्कटिक ओज़ोन होल, आकार तथा गहराई दोनों में कम हो रहा है।
  • हालाँकि ओज़ोन परत को क्षति पहुँचाने वाले सभी प्रकार के पदार्थों को प्रतिबंधित कर दिया गया है लेकिन फिर भी समय-समय पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के उलंघन की खबरें आती रहती हैं जिसमें पूर्वी एशिया में CFC-11 के उत्पादन तथा उत्सर्जन की खबरें भी शामिल हैं।

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल

ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले विभिन्न पदार्थों के उत्पादन तथा उपभोग पर नियंत्रण के उद्देश्य के साथ विश्व के कई देशों ने 16 सितंबर, 1987 को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये थे। जिसे आज विश्व का सबसे सफल प्रोटोकॉल माना जाता है। गौरतलब है कि इस प्रोटोकॉल पर विश्व के 197 पक्षकारों ने हस्ताक्षर किये हैं। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत तीन पैनल आते हैं-

  1. वैज्ञानिक आकलन पैनल।
  2. प्रौद्योगिकी और आर्थिक आकलन पैनल।
  3. पर्यावरणीय प्रभाव आकलन पैनल।