ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स | 25 Jun 2022

प्रीलिम्स के लिये:

ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स, यूपीआई, ई-कॉमर्स से संबंधित पहल। 

मेन्स के लिये:

डिजिटल कॉमर्स के लिये ओपन नेटवर्क का महत्त्व। 

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में सरकार ने देश के तेज़ी से बढ़ते डिजिटल ई-कॉमर्स स्पेस को "लोकतांत्रिक" करने के उद्देश्य से ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स ( Open Network for Digital Commerce- ONDC) का पायलट चरण शुरू किया है, जिसमें वर्तमान में दो अमेरिकी मुख्यालय वाली फर्मों - अमेज़ॅन और वॉलमार्ट का वर्चस्व है। 

ONDC के बारे में: 

  • परिचय: 
    • ONDC वैश्विक स्तर पर अपनी तरह की पहली पहल है जिसका उद्देश्य डिजिटल कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण करना है और इसे एक प्लेटफॉर्म-केंद्रित मॉडल से एक खुले नेटवर्क की ओर ले जाना है। 
      • ONDC के तहत, यह परिकल्पना की गई है कि एक भाग लेने वाली ई-कॉमर्स साइट (उदाहरण के लिये-अमेज़ॅन) पर पंजीकृत खरीदार किसी अन्य प्रतिभागी ई-कॉमर्स साइट (उदाहरण के लिये, फ्लिपकार्ट) पर विक्रेता से सामान खरीद सकता है। 
      • वर्तमान में, खरीदारों और विक्रेताओं को एक ही प्लेटफॉर्म के माध्यम से होने वाले लेनदेन के लिये एक ही ऐप पर होना चाहिये। उदाहरण के लिये, किसी खरीदार को अमेज़ॅन पर किसी विक्रेता से उत्पाद खरीदने के लिये अमेज़ॅन पर जाना होगा। 
    • यह एक गैर-लाभकारी संगठन है जो उद्योगों में स्थानीय डिजिटल कॉमर्स स्टोर को किसी भी नेटवर्क-सक्षम एप्लीकेशन द्वारा खोजने और संलग्न करने में सक्षम बनाने के लिये एक नेटवर्क की पेशकश करेगा। 
      • खुले नेटवर्क की अवधारणा खुदरा क्षेत्र से परे, थोक, गतिशीलता, खाद्य वितरण, रसद, यात्रा, शहरी सेवाओं आदि सहित किसी भी डिजिटल वाणिज्य डोमेन तक फैली हुई है। 
    • यह न तो एक एग्रीगेटर एप्लीकेशन है और न ही एक होस्टिंग प्लेटफॉर्म है, और सभी मौजूदा डिजिटल कॉमर्स एप्लिकेशन और प्लेटफ़ॉर्म स्वेच्छा से अपनाने और ONDC नेटवर्क का हिस्सा बनने का विकल्प चुन सकते हैं। 
    • ONDC का उद्देश्य किसी भी विशिष्ट प्लेटफॉर्म पर स्वतंत्र, खुले विनिर्देशों और खुले नेटवर्क प्रोटोकॉल का उपयोग करके, ओपन-सोर्स पद्धति पर विकसित नेटवर्क को बढ़ावा देना है। 
    • ONDC का कार्यान्वयन, जिसके एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) की तर्ज पर होने की उम्मीद है, ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों द्वारा रखे गए विभिन्न परिचालन पहलुओं को एक ही स्तर पर ला सकता है। 
    • ओपन-सोर्स तकनीक पर आधारित नेटवर्क के माध्यम से ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को एकीकृत करने की परियोजना को भारतीय गुणवत्ता परिषद को सौंपा गया है।  
      • ओपन सोर्स एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम या प्लेटफॉर्म को संदर्भित करता है जिसमें सोर्स कोड होता है जो आसानी से सुलभ होता है और जिसे किसी के द्वारा संशोधित या बढ़ाया जा सकता है। ओपन सोर्स एक्सेस किसी एप्लीकेशन के उपयोगकर्त्ताओं को टूटे हुए लिंक को ठीक करने, डिज़ाइन को बढ़ाने या मूल कोड में सुधार करने की अनुमति देता है। 
  • लाभ: 
    • ONDC कैटलॉगिंग, इन्वेंट्री प्रबंधन, ऑर्डर प्रबंधन और ऑर्डर पूर्ति जैसे कार्यों का मानकीकरण करेगा, जिससे छोटे व्यवसायों के लिये नेटवर्क पर खोजे जाने योग्य और व्यवसाय का संचालन करना सरल और आसान हो जाएगा। 
  • संभावित मुद्दे: 
    • विशेषज्ञों ने ग्राहक सेवा और भुगतान एकीकरण से संबंधित मुद्दों के साथ-साथ साइन अप करने के लिये पर्याप्त संख्या में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म प्राप्त करने जैसे संभावित संभावित मुद्दों की ओर इशारा किया है। 

UPI-Models

महत्त्व: 

  • ONDC पर खरीदार और विक्रेता इस तथ्य के बावजूद लेनदेन कर सकते हैं कि वे एक विशिष्ट ई-कॉमर्स पोर्टल से जुड़े हुए हैं। 
  • यह छोटे ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं और नए प्रवेशकों को प्रोत्साहित कर सकता है। 
    • हालांँकि यदि यह अनिवार्य किया जाता है तो यह बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिये समस्यायुक्त हो सकता है, क्योंकि बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों ने संचालन के इन क्षेत्रों हेतु अपनी प्रक्रियाएंँ और प्रौद्योगिकी स्थापित कर रखे हैं। 
  • ONDC से संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को डिजिटाइज़ करने, संचालन का मानकीकरण करने, आपूर्तिकर्ताओं के समावेशन को बढ़ावा देने, लॉजिस्टिक्स में दक्षता प्राप्त करने और उपभोक्ताओं के लिये मूल्य बढ़ाने की अपेक्षा है। 
  • यह मंच समान अवसर भागीदारी की परिकल्पना करता है और उपभोक्ताओं के लिये ई-कॉमर्स को अधिक समावेशी और सुलभ बनाने की अपेक्षा रखता है क्योंकि वे संभावित रूप से किसी भी संगत एप्लीकेशन/प्लेटफॉर्म का उपयोग करके किसी भी विक्रेता, उत्पाद या सेवा की खोज कर सकते हैं, जिससे उनकी पसंद की स्वतंत्रता बढ़ जाती है। 
  • यह किसी भी मूल्यवर्ग के लेनदेन को सक्षम करेगा, इस प्रकार ONDC को वास्तव में 'लोकतांत्रिक वाणिज्य हेतु खुला नेटवर्क' बना देगा। 
  • अगले पांँच वर्षों में ONDC नेटवर्क पर 90 करोड़ उपयोगकर्त्ताओ और 12 लाख विक्रेताओं को जोड़ने की अपेक्षा करता है, जिससे 730 करोड़ अतिरिक्त खरीदारी हो सकेगी। 

ONDC

स्रोत: द हिंदू 

ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स | 07 Jul 2021

प्रिलिम्स के लिये:

ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स, ई-कॉमर्स

मेन्स के लिये:

ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स का अर्थ और महत्त्व, भारत में ई-कॉमर्स संबंधी पहलें

चर्चा में क्यों?

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) ने ‘ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स’ (ONDC) परियोजना के लिये एक सलाहकार समिति नियुक्त करने के आदेश जारी किये हैं, जिसका उद्देश्य "डिज़िटल एकाधिकार" को रोकना है।

  • यह ई-कॉमर्स प्रक्रियाओं को ओपन सोर्स बनाने की दिशा में एक कदम है, इस प्रकार एक ऐसा मंच तैयार किया जा रहा है जिसका उपयोग सभी ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं द्वारा किया जा सकता है।
  • इससे पहले, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने उपभोक्ता संरक्षण के लिये ई-कॉमर्स नियमों का मसौदा जारी किया था, जिसमें ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस जैसे- अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट छोटे व्यवसायों द्वारा शिकायत (कि ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस बाज़ार के प्रभुत्व का दुरुपयोग करते हैं तथा एक अनुचित लाभ हासिल करने के लिये गहरी छूट देते हैं।) किये जाने के बाद कैसे काम करते हैं, में बदलाव लाने की कोशिश करते हैं।

प्रमुख बिंदु:

परिचय:

  • ONDC का उद्देश्य किसी विशिष्ट प्लेटफॉर्म पर स्वतंत्र, खुले विनिर्देशों और ओपन नेटवर्क प्रोटोकॉल का उपयोग करते हुए ओपन-सोर्स पद्धति पर विकसित ओपन नेटवर्क को बढ़ावा देना है।
  • ओपन-सोर्स तकनीक पर आधारित नेटवर्क के माध्यम से ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को एकीकृत करने की परियोजना को भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India) को सौंपा गया है।
  • ONDC जिसका कार्यान्वयन एकीकृत भुगतान प्रणाली (UPI) की तर्ज पर होने की उम्मीद है, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा किये गए विभिन्न परिचालन पहलुओं को समान स्तर पर ला सकता है।
    • विभिन्न परिचालन पहलुओं में विक्रेताओं की ऑनबोर्डिंग, विक्रेता की खोज, मूल्य की खोज और उत्पाद सूचीकरण आदि शामिल हैं।
  • ONDC पर खरीदार और विक्रेता इस तथ्य के बावजूद लेन-देन कर सकते हैं कि वे एक विशिष्ट ई-कॉमर्स पोर्टल से जुड़े हुए हैं।

महत्त्व:

  • यदि ‘ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स’ (ONDC) को अनिवार्य रूप से लागू किया जाता है, तो इसका अर्थ यह होगा कि सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को समान प्रक्रियाओं (जैसे एंड्रॉइड आधारित मोबाइल डिवाइस आदि) का उपयोग करना होगा।
  • यह छोटे ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं और नए प्रवेशकों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है।
    • हालाँकि यदि इसे अनिवार्य किया जाता है तो यह बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिये समस्यायुक्त हो सकता है, जिनके पास ई-कॉमर्स क्षेत्र में संचालन के लिये पहले से ही प्रक्रियाएँ और तकनीक मौजूद हैं।
  • ‘ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स’ के माध्यम से संपूर्ण मूल्य शृंखला को डिजिटाइज़ करने, संचालन का मानकीकरण करने, आपूर्तिकर्त्ताओं के समावेश को बढ़ावा देने, रसद में दक्षता प्राप्त करने और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करने में मदद मिलेगी।

ओपन-सोर्स का अर्थ

  • एक सॉफ्टवेयर या एक प्रक्रिया के ओपन-सोर्स होने का अर्थ है कि उसके कोड या उस प्रक्रिया के चरणों को दूसरों के उपयोग, पुनर्वितरण और संशोधन के लिये स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराया जाता है।
    • उदाहरण के लिये ‘एप्पल’ कंपनी के ‘iPhones’ (iOS) का ऑपरेटिंग सिस्टम ‘क्लोज़्ड सोर्स’ है, जिसका अर्थ है कि इसे कानूनी रूप से संशोधित या परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
    • वहीं दूसरी ओर गूगल का एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम ‘ओपन-सोर्स’ है और इसलिये सैमसंग, श्याओमी, वनप्लस जैसे स्मार्टफोन निर्माताओं द्वारा इसे कुछ विशिष्ट संशोधनों के साथ प्रयोग किया जाता है।

भारत में ई-कॉमर्स संबंधी सरकारी पहल:

ई-कॉमर्स

  • इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स या ई-कॉमर्स एक व्यवसाय मॉडल है जो फर्मों और व्यक्तियों को इंटरनेट के माध्यम से चीजें खरीदने एवं बेचने की सुविधा देता है।
  • स्मार्टफोन की बढ़ती पहुँच 4जी नेटवर्क के लॉन्च और बढ़ती उपभोक्ता संपत्ति से प्रेरित भारतीय ई-कॉमर्स बाज़ार के वर्ष 2026 तक 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है जो कि वर्ष 2017 में 38.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।
  • भारतीय ई-कॉमर्स उद्योग तेज़ी से विकास के पथ पर अग्रसर है और यह आशा व्यक्त की जा रही है वर्ष 2034 तक भारत, अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ई-कॉमर्स बाज़ार बन जाएगा।

E-Commerce

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस