‘एक जनपद एक उत्पाद समिट’ | 11 Aug 2018

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने 'एक जनपद एक उत्पाद' शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु

  • ‘एक जनपद एक उत्पाद’ योजना द्वारा पाँच वर्षों में पचीस हज़ार करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता के ज़रिये पचीस लाख लोगों को रोज़गार दिलाने का लक्ष्य है।
  • इस योजना से युवाओं के लिये बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसरों के सृजन के साथ ही, राज्य के समग्र और संतुलित विकास को भी बल मिलेगा।
  • इस समिट में ‘ई-मार्केटिंग’, ‘ज़ीरो डिफ़ेक्ट–ज़ीरो इफ़ेक्ट’ और पूंजी निवेश में सहायता के लिये यहाँ उपस्थित संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ जो समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं, उनसे ज़िला  स्तर पर उत्पादकों के लिये नए अवसर प्राप्त होंगे। 
  • ‘थिंक-ग्लोबल, एक्ट-लोकल’ की सोच के अनुसार, स्थानीय कौशल को प्रोत्साहन देकर जनपदों के कई ऐसे उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के लायक बनाया जा सकता है।
  • उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों के उत्पादों की मांग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है। लेकिन ऐसे बहुत से ज़िले और उत्पाद हैं जिन्हें, इस योजना द्वारा समुचित प्रोत्साहन देकर उनकी क्षमता का व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है तथा कई नए ब्रांड विकसित किए जा सकते हैं।
  • ब्रांडिंग पर विशेष ध्यान देकर, उत्पादों की विभिन्न बाज़ारों में पहुँच बढ़ाई जा सकती है।
  • इस योजना में सभी उत्पादों से जुड़ी पूरी ‘प्रोसेस-चेन’ और ‘वैल्यू-चेन’ पर ध्यान दिया गया है।
  • इन प्रयासों के द्वारा उत्पादकों और ग्राहकों के बीच सीधा संपर्क और भी सुगम हो सकेगा।
  • केंद्र सरकार की स्किल इंडिया मिशन, स्टैंड-अप इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, रोज़गार प्रोत्साहन योजना तथा ‘मुद्रा’ योजनाओं से इस योजना के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • इस योजना में वह क्षमता है, जिसके द्वारा अंतिम पंक्ति के लोगों को कौशल-विकास एवं रोज़गार के अवसर प्रदान करके, जमीनी स्तर पर व्यापक बदलाव लाया जा सकता है।
  • विकास और कल्याण के मानदंडों पर पीछे रह गए देश के 117 आकांक्षी ज़िलों में उत्तर प्रदेश के 8 ज़िले शामिल हैं।
  • उल्लेखनीय है कि इनमे से दो ज़िले क्रमशः बलरामपुर में फूड प्रोसेसिंग और फ़तेहपुर में बेड-शीट बनाने का काम होता है।
  • यह योजना इन आकांक्षी ज़िलों में स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कौशल विकास तथा वित्तीय समावेश के मापदण्डों में सुधार लाने में भी सहायक होगी।