तेज़ी से गर्म होते महासागर | 12 Jan 2019

चर्चा में क्यों?


हाल ही में अमेरिकी जर्नल ‘साइंस’ के निष्कर्ष में शोधकर्त्ताओं ने यह खुलासा किया है कि दुनिया के महासागर तेज़ी से गर्म हो रहे हैं। इन निष्कर्षों ने उन पिछली रिपोर्टों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि हाल के वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग में एक तथाकथित ठहराव आया है।

प्रमुख बिंदु

  • यह रिपोर्ट चीनी विज्ञान अकादमी के नेतृत्व में अमेरिकी जर्नल ‘साइंस’ में प्रकाशित की गई है।
  • यह नवीनतम रिपोर्ट 2014 और 2017 के बीच प्रकाशित चार अध्ययनों पर आधारित है, जिसमें समुद्र के पूर्व के तापमानों के बारे में अधिक सटीक अनुमान दिये गए हैं। इन अनुमानों से वैज्ञानिकों को भविष्य में शोध तथा अन्य पूर्वानुमानों की सुविधा प्राप्त होगी।
  • महासागर के तापमान में वृद्धि जलवायु परिवर्तन का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण संकेतक है और विभिन्न अध्ययनों की बदौलत आज हमारे पास इस बात के पुख्ता सबूत उपलब्ध हैं कि महासागर बहुत तेज़ी से गर्म हो रहे हैं।
  • जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न होने वाली अतिरिक्त ऊष्मा (जो ग्रीनहाउस गैसों द्वारा पृथ्वी पर ही रोक ली जाती है) का लगभग 93% हिस्सा दुनिया के महासागरों में जमा होता है और इनके तापमान को बढ़ा देता है।
  • एक नए विश्लेषण से यह भी पता चला है कि महासागरों के तापमान की वृद्धि के साथ-साथ वायु के तापमान में भी वृद्धि हो रही है।
  • ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र के जल-स्तर में कम वृद्धि होगी, जबकि महासागर का तापमान बढ़ने से जल-स्तर में तेज़ी से वृद्धि होगी क्योंकि गर्म होने पर जल का आयतन भी बढ़ता है।
  • इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि यदि ग्रीनहाउस गैसों को नहीं रोका गया तो महासागरों में उपरी जल-स्तर (2,000 मीटर की गहराई तक) का तापमान सदी के अंत तक 0.78 डिग्री सेल्सियस और बढ़ जाएगा।

रिपोर्ट की खास बातें

  • इस रिपोर्ट की सटीकता हासिल करने में प्रमुख योगदान महासागरीय निगरानी बेड़ों का है जिन्हें अर्गो कहा जाता है। इसमें लगभग 4000 फ्लोटिंग रोबोट शामिल हैं जो दुनिया भर के महासागरों में बहते रहते हैं और कुछ दिनों के अंतराल पर 2000
  • मीटर की गहराई तक गोताखोरी करते हैं तथा समुद्र के तापमान, pH (अम्लीयता या क्षारीयता), लवणता को मापते हैं।
  • अर्गो, फ्लोटिंग रोबोटों ने वर्ष 2000 के मध्य से समुद्र के तामपान पर लगातार और व्यापक आँकडें प्रदान किये हैं। इन्हीं आँकड़ो की बदौलत इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है।

आगे की राह

  • ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकने के लिये ऊर्जा, भूमि, शहरी अवसंरचना (परिवहन और भवनों सहित) तथा औद्योगिक प्रणालियों में तीव्र एवं दूरगामी नज़रिये से बदलाव लाने की आवश्यकता है।
  • विकासशील देशों को बड़े पैमाने पर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से बचना चाहिये, जबकि विकसित देशों को अपने देश में ऐसी खपत पर रोक लगानी चाहिये, जो ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को बढ़ावा देती हो।
  • विज्ञान समय-समय पर अपना फैसला सुनाता रहता है। महासागरीय तापमान वृद्धि के मद्देनज़र अब दुनिया भर के नीति निर्माताओं की ज़िम्मेदारी बनती है कि मानव जाति और पृथ्वी का अस्तित्त्व लंबे समय तक बनाए रखने हेतु ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकने के लिये आवश्यक कार्रवाई करें।