जम्मू-कश्मीर में भूमि खरीदने की इजाज़त | 28 Oct 2020

प्रिलिम्स के लिये

अनुच्छेद 370 और 35A तथा इनकी समाप्ति संबंधी मुख्य तथ्य

मेन्स के लिये

गृह मंत्रालय के हालिया निर्णय का महत्त्व और आलोचना 

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर में भूमि संबंधित मामलों को नियंत्रित करने वाले नए नियम अधिसूचित किये हैं, जिसके माध्यम से अब कोई भी भारतीय नागरिक केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में गैर-कृषि भूमि खरीद सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में भूमि खरीदने के लिये स्थायी निवासी होने की शर्त को समाप्त कर दिया है, जिससे अब जम्मू-कश्मीर में गैर-कृषि भूमि खरीदने के लिये किसी भी प्रकार के अधिवास या स्थायी निवासी प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होगी।
    • हालाँकि कृषि योग्य भूमि को इसके तहत शामिल नहीं किया गया है और इसकी खरीद अभी भी राज्य के किसानों और कृषिविदों द्वारा ही की जा सकती है।
  • ज्ञात हो कि केंद्र सरकार जल्द ही केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के संबंध में भी इस प्रकार की अधिसूचना जारी कर सकती है। 

क्या-क्या परिवर्तन होगा?

  • नए कानूनों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर की भूमि पर स्थायी निवासियों के विशेष अधिकारों को समाप्त कर दिया गया है।
  • जम्मू-कश्मीर के बाहर निवास करने वाले आम लोग और निवेशक सभी जम्मू-कश्मीर में भूमि खरीद सकेंगे, जिससे इस क्षेत्र का विकास सुनिश्चित होगा।
  • कृषि योग्य भूमि को गैर-कृषि प्रयोजन के लिये उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, हालाँकि यहाँ अपवाद स्वरूप कृषि योग्य भूमि को शैक्षिक या स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की स्थापना हेतु प्रयोग किया जा सकता है।
  • नए प्रावधान के तहत कोर कमांडर के पद से ऊपर के पद पर कार्यरत सेना का कोई अधिकारी राज्य के किसी स्थानीय क्षेत्र को ‘सामरिक क्षेत्र’ के रूप में घोषित कर सकता है, जिसका उपयोग केवल सशस्त्र बलों द्वारा परिचालन और प्रशिक्षण संबंधी आवश्यकताओं के लिये किया जाएगा।

महत्त्व

  • केंद्र सरकार लगातार यह तर्क दे रही थी कि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A के कारण राज्य के विकास में बाधा उत्पन्न हो रही है, क्योंकि इन अनुच्छेदों और कई अन्य कानूनों के कारण निवेशकों को जम्मू-कश्मीर में निवेश करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।
  • इस तरह इस क्षेत्र का विकास सुनिश्चित होगा और यहाँ शांति एवं समृद्धि स्थापित की जा सकेगी। विकास के माध्यम से यहाँ रोज़गार के अवसर भी सृजित होंगे, जिससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा।
  • विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि जम्मू-कश्मीर में आर्थिक गतिविधियों को सही ढंग से आकार दिया जाए तो इस क्षेत्र के रियल एस्टेट सेक्टर के विकास की काफी अधिक संभावना है।

आलोचना

  • आलोचकों का मानना है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35A के माध्यम से अब तक जम्मू-कश्मीर की विशिष्टता को संरक्षित रखने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन अब जब अनुच्छेद 370 और 35A को समाप्त कर दिया गया है और भारत के अन्य नागरिकों को भी जम्मू-कश्मीर में भूमि खरीदने तथा निवेश करने की इजाज़त दी जा रही है तो इससे जम्मू-कश्मीर की विशिष्टता प्रभावित हो सकती है।
  • हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में भी इसी प्रकार के नियम लागू हैं और वहाँ भी कोई अन्य व्यक्ति भूमि नहीं खरीद सकता है।
  • कई लोग यह तर्क दे रहे हैं कि इस प्रकार का भूमि आरक्षण, कश्मीर के महाराजा हरि सिंह और भारतीय गणराज्य के बीच बाहरी लोगों से कश्मीरी निवासियों के विशेषाधिकारों की रक्षा के लिये किये गए समझौते का हिस्सा था और इस विशेषाधिकार को समाप्त करना एक प्रकार से कश्मीरी लोगों में भारत के प्रति अविश्वास पैदा करेगा। 

अनुच्छेद 35A

  • अनुच्छेद 35A, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 का ही विस्तार था, जिसे अगस्त 2019 में समाप्त कर दिया गया। 
  • संविधान का अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर राज्य की विधायिका को राज्य के स्थायी निवासियों को परिभाषित करने और उन्हें स्थायी निवास प्रमाणपत्र जारी करने की शक्ति प्रदान करता था। 
  • यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर में अन्य राज्यों के निवासियों को कार्य करने या संपत्ति के स्वामित्त्व की अनुमति नहीं देता था। इस अनुच्छेद का मूल उद्देश्य जम्मू-कश्मीर की जनसांख्यिकीय संरचना की रक्षा करना था। 
  • इस प्रकार यह अनुच्छेद राज्य के बाहर के लोगों को जम्मू-कश्मीर में अचल संपत्ति खरीदने, स्थायी रूप से बसने, या राज्य-प्रायोजित छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ प्राप्त करने से रोकता था।

स्रोत: द हिंदू