उत्तरी यूरोप को घेरने वाले विशाल बाँध (NEED) | 19 Feb 2020

प्रीलिम्स के लिये:

दो विशाल बाँधों का निर्माण

मेन्स के लिये:

बहुउद्देशीय बाँध परियोजनाएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक शोधपत्र में 637 किमी. की संयुक्त लंबाई के दो बांधों के निर्माण का प्रस्ताव दिया है ताकि बढ़ते सागरीय जल स्तर को रोका जा सके।

मुख्य बिंदु:

  • इस शोधपत्र को अमेरिकी मौसम विज्ञान सोसायटी (American Meteorological Society) के बुलेटिन में प्रकाशन के लिये स्वीकार किया गया है।
  • इस शोधपत्र में उल्लेख किया गया है कि उत्तरी सागर के चारों ओर उत्तरी यूरोप को घेरने वाले विशाल बाँध (Northern European Enclosure Dam-NEED) का निर्माण किया जाएगा।

बाँध निर्माण का प्रस्ताव:

NEED

वैज्ञानिकों ने 637 किमी. की संयुक्त लंबाई के दो बांधों के निर्माण का प्रस्ताव दिया है:

  • पहला बाँध उत्तरी स्कॉटलैंड और पश्चिमी नॉर्वे के बीच बनाया जाएगा जिसकी लंबाई 476 किमी और गहराई 121 मीटर (321 मीटर अधिकतम) होगी।
  • दूसरा बाँध फ्रांस और दक्षिण-पश्चिमी इंग्लैंड के बीच बनाया जाएगा जिसकी लंबाई 161 किमी और गहराई 85 मीटर (102 मीटर अधिकतम) होगी।

चयनित स्थान:

  • अटलांटिक महासागर को उत्तरी सागर एवं बाल्टिक सागर से अलग करना ही उत्तरी यूरोप के सागरीय जल स्तर में वृद्धि (Sea Level Rise-SLR) से रक्षा का सबसे व्यावहारिक विकल्प हो सकता है।
  • इन वैज्ञानिकों ने दुनिया के अन्य क्षेत्रों में भी ऐसे स्थानों की पहचान की है जहाँ ऐसे बाँध बनाए जा सकते हैं। इन स्थानों के चयन में इस बात का ध्यान रखा गया है कि ये स्थान मेगा-एनक्लोज़र (Mega-Enclosures) यानी वे सागरीय क्षेत्र है जहाँ सागर (Sea) और महासागर (Ocean)आपस में मिलते हैं, यथा- फारस की खाड़ी, भूमध्य सागर, बाल्टिक सागर, आयरिश सागर और लाल सागर आदि।

प्रोजेक्ट के पक्ष में तर्क:

  • शोधपत्रों में यह दावा किया गया है कि जब वित्तीय लागत और इतने बड़े पैमाने पर बनाए जाने वाले इस प्रोजेक्ट की तुलना उपलब्ध अन्य वैकल्पिक समाधानों से की जाती है तो यह प्रोजेक्ट अन्य की तुलना में अधिक अनुकूलित (Potentially Favourable) नज़र आता है।
  • शोधकर्त्ता SLR के समाधानों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं:
    • कोई कार्रवाई नहीं (No Action)
    • सुरक्षा (Protection)
    • समस्या में कमी के लिये प्रबंधन (Managed Retreat)
  • शोधकर्त्ताओं ने NEED को दूसरी श्रेणी में रखा है।
  • उपर्युक्त तीसरी श्रेणी में ‘प्रवास का प्रबंधन’ जैसे विकल्प शामिल हैं जो ‘सुरक्षा’ श्रेणी की तुलना में महँगे हैं।
  • तीसरी श्रेणी में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक अस्थिरता, मनोवैज्ञानिक कठिनाइयाँ आप्रवासियों की संस्कृति और विरासत को नुकसान जैसी अमूर्त लागत शामिल है, जबकि NEED का लोगों के दैनिक जीवन पर बहुत कम प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा।
  • इन बाँधों का निर्माण ‘उचित लागत’ पर किया जा सकता है तथा निर्माण के तुरंत बाद ही ये आवश्यक दक्ष भूमिका निभा सकेंगे।

प्रोजेक्ट की व्यवहार्यता:

  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, NEED प्रोजेक्ट में बाँधों की निर्माण लागत 250-550 बिलियन यूरोपीय यूरो होगी, जो कि एक बहुत बड़ी राशि है। \
  • निर्माण की लागत अन्य देशों की तुलना में UK (United Kingdom), डेनमार्क, नीदरलैंड, जर्मनी और बेल्जियम में अधिक होगी क्योंकि इन देशों की न केवल SLR के प्रति सुभेद्यता अधिक है अपितु यहाँ के लोगों का जागरूकता स्तर भी उच्च है, ये दोनों कारक मिलकर इन देशों की बाँध निर्माण की लागत को बढ़ाते है।
  • निर्माण कार्य से समुद्री और स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र भी प्रभावित होंगे (बाँध के अंदर और बाहर दोनों)।
  • इसका सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव हो सकता है। इसके अलावा यह पर्यटन और मत्स्य पालन को भी प्रभावित कर सकता है।

अत: सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, पर्यावरणीय जैसे आयामों पर विचार करने के बाद ही प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू