उत्तर भारत को मिलने वाला है वन्यजीव के लिये डीएनए बैंक | 08 Apr 2017

संदर्भ
उल्लेखनीय है कि उत्तरी भारत में वन्यजीवों के लिये पहले डीएनए बैंक का निर्माण कार्य पूरा होने को है| भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (Indian Veterinary Research Institute -IVRI) बरेली के वैज्ञानिकों द्वारा एक ऐसे बैंक का निर्माण किया जा रहा है जिसमें सभी जंगली जीवों के डीएनए के नमूनों को एकत्रित करके स्टोर किया जाएगा|

  • इस बैंक से यह अपेक्षा की जा रही है कि यह वैज्ञानिकों को उनके शोध कार्यों में सहायता प्रदान करने के साथ-साथ जंगली जीवों के शिकार में भी कमी लाएगा|
  • वर्तमान में देश में हैदराबाद स्थित लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण हेतु लाकोनेस प्रयोगशाला (Laboratory for the Conservation of Endangered Species –LaCONES) ही एकमात्र ऐसी जगह है, जहाँ इस प्रकार की सुविधा उपलब्ध है|

वर्ष के अंत में शुरुआत

  • अब तक वैज्ञानिकों द्वारा 24 जीवों के 140 नमूनों को एकत्रित किया जा चुका हैं|
  • ध्यातव्य है कि इस डीएनए बैंक की शुरुआत इस वर्ष के अंत में किये जाने की संभावना है|
  • वैज्ञानिकों द्वारा विभिन जीवों के विषय में मूल आँकड़ों को एकत्रित किया जा रहा हैं| 
  • विदित हो कि हर समय वैज्ञानिकों द्वारा वन क्षेत्रों अथवा चिड़ियाघर से जंगली जीव के परिचित प्रतिरूप, आंत, शरीर की त्वचा और किसी अन्य भाग को प्राप्त किया जाता हैं तथा फिर उनका डीएनए ज्ञात कर आँकड़े एकत्रित किये जाते हैं|
  • ध्यातव्य है कि आई.वी.आर.आई. को बाघों, तेंदुओं, शेरों, हाथियों, गैंडों और हिरणों जैसे जानवरों के डीएनए के नमूनों को लेने में एक वर्ष का समय लगा है| इसका कारण यह है कि प्रायः शिकारियों द्वारा इन जीवों का शिकार कर लिया जाता है, जिस कारण वैज्ञानिकों द्वारा इन जीवों के डीएनए एकत्रित करने में सबसे अधिक कठिनाई आती हैं|
  • डीएनए बैंक का आरंभ उत्तरी भारत की जीवों के विषय में जानकारी एकत्रित करने संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये किया जा रहा है|
  • उल्लेखनीय है कि डीएनए बैंक का विचार सर्वप्रथम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (Indian Council of Agricultural Research-IVRI) के निदेशक डॉ.राज कुमार सिंह के द्वारा प्रस्तुत किया गया था|
  • गौरतलब है कि अभी तक इन बैंकों को बहुत से सकारात्मक नमूने (जिन्हें ज्ञात नमूने भी कहा जाता है) प्राप्त हो चुके हैं जिनमें बहुत सी डीएनए श्रृंखलाएँ मौजूद होने की संभावना है| इस संबंध में भविष्य में यदि वैज्ञानिकों को अज्ञात नमूने (जैसे- बाल और त्वचा) प्राप्त होते हैं तो डीएनए बैंक की मदद से वे यह बताने में सक्षम हो जाएंगे कि ये नमूने किस जीव के है, उसकी आयु क्या है तथा उस जीव में मौजूद रोगों की स्थिति एवं अन्य कमियों के विषय में भी व्यापक जानकारी प्राप्त हो सकेंगी|