गैर CO2 प्रदूषक | 31 May 2022

प्रिलिम्स के लिये:

प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, आईपीसीसी, CoP26, CO2 और गैर-CO2 प्रदूषक, डीकार्बोनाइज़ेेशन 

मेन्स के लिये:

प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, आईपीसीसी, CoP26, डीकार्बोनाइज़ेेशन, पर्यावरण क्षरण। 

चर्चा में क्यों? 

एक नए अध्ययन के अनुसार, दुनिया को जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये गैर-CO2  प्रदूषकों और CO2  प्रदूषकों दोनों को लक्षित करने की आवश्यकता है। 

  • यदि केवल डीकार्बोनाइज़ेेशन प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया जाए तो वैश्विक तापमान वर्ष 2035 तक पूर्व-औद्योगिक स्तरों पर 1.5 डिग्री सेल्सियस और 2050 तक 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की संभावना है 

गैर-CO2  प्रदूषक: 

  • परिचय: 
    • गैर-CO2  प्रदूषकों में मीथेन, ब्लैक कार्बन, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC), ट्रोपोस्फेरिक ओज़ोन और नाइट्रस ऑक्साइड शामिल हैं। 
    • मीथेन: मीथेन शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है। यह ओज़ोन के निर्माण में योगदान देती है। 
    • ब्लैक कार्बन: ब्लैक कार्बन PM2.5 का एक प्रमुख घटक है और वातावरण में शक्तिशाली उष्मण कारक है, जो क्षेत्रीय पर्यावरणीय असंतुलन और ग्लेशियर के पिघलने में तेज़ी लाने में योगदान देता है। 
    • हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC): हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) ग्रीनहाउस गैसें (GHG) हैं जिनका उपयोग आमतौर पर प्रशीतन, एयर-कंडीशनिंग (AC), बिल्डिंग इंसुलेशन, आग बुझाने की प्रणाली और एरोसोल में किया जाता है। 
    • ट्रोपोस्फेरिक ओज़ोन का निर्माण हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड के साथ सूर्य के प्रकाश, विशेष रूप से पराबैंगनी प्रकाश की अंतर्क्रिया से होता है, जो ऑटोमोबाइल टेलपाइप और स्मोकस्टैक्स द्वारा उत्सर्जित होते हैं। 
    • नाइट्रस ऑक्साइड: नाइट्रस ऑक्साइड ग्रीनहाउस गैस है जो कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) से 300 गुना अधिक शक्तिशाली है। N2O उत्सर्जन का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र से आता है। 
  • स्रोत: ये गैसें कई क्षेत्रों और स्रोतों से उत्सर्जित होती हैं: 
    • मीथेन ज़्यादातर जीवाश्म ईंधन, औद्योगिक प्रक्रियाओं, आंत्र किण्वन, चावल की खेती, खाद प्रबंधन, अन्य कृषि स्रोतों और अपशिष्ट क्षेत्र के निष्कर्षण, वितरण और दहन से उत्सर्जित होता है। 
    • N2O ज़्यादातर औद्योगिक प्रक्रियाओं, कृषि मृदा, खाद प्रबंधन और अपशिष्ट जल से उत्सर्जित होती है। 
    • F-गैसें ज़्यादातर औद्योगिक प्रक्रियाओं से उत्सर्जित होती हैं। 
  • ग्लोबल वार्मिंग में योगदान: ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देने वाले गैर-CO2 प्रदूषकों की हिस्सेदारी लगभग कार्बन डाइऑक्साइड जितनी है। 

संबंधित मुद्दा: 

  • ‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज’ (IPCC) की वर्किंग ग्रुप III की रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन को कम करने से संबंधित है, यह CO2 और कुछ ग्रीनहाउस गैसों पर ध्यान केंद्रित करती है, लेकिन अन्य गैर-CO2 प्रदूषकों को बाहर करती है। 
  • गैर-CO2  ग्रीनहाउस गैसों और ब्लैक कार्बन से वार्मिंग 80% के करीब थी। 
  • गैर-CO2 प्रदूषकों से निपटे बिना, ये गैसें ऊष्मा को एकत्रित करती रहेंगी और वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रखेंगी। 

गैर-CO2 प्रदूषकों से निपटने के लिये हाल की पहल: 

  • ग्लासगो क्लाइमेट पैक्ट, 2021 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (CoP26) के दौरान हस्ताक्षरित एक समझौते ने वर्ष 2030 तक मीथेन सहित गैर-कार्बन डाइऑक्साइड ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिये आगे की कार्रवाई पर विचार करने की आवश्यकता को मान्यता दी। 
    • वैश्विक मीथेन प्रतिबद्धता: अमेरिका और यूरोपीय संघ ने ग्लासगो में COP26 में वैश्विक मीथेन प्रतिबद्धता का शुभारंभ किया। 100 से अधिक देशों ने वर्ष 2030 तक मीथेन उत्सर्जन में 30% की कटौती करने की प्रतिबद्धता जताई है। 
    • भारत ने वैश्विक मीथेन प्रतिबद्धता को हस्ताक्षरित नहीं किया है 
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने एक एंटी-मिथेनोजेनिक फीड सप्लीमेंट 'हरित धारा' (HD) विकसित की है, जो मवेशियों द्वारा मीथेन उत्सर्जन को 17-20% तक कम कर सकती है।  

विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. भारत में इस्पात उद्योग द्वारा छोड़े गए कुछ महत्त्वपूर्ण प्रदूषक निम्नलिखित में से कौन से हैं? (2014) 

  1. सल्फर के ऑक्साइड
  2. नाइट्रोजन के ऑक्साइड
  3. कार्बन मोनोऑक्साइड
  4. कार्बन डाइऑक्साइड

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(A) केवल 1, 3 और 4 
(B) केवल 2 और 3 
(C) केवल 1 और 4 
(D) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (D) 

  • इस्पात उद्योग प्रदूषण पैदा करता है क्योंकि यह कोयले और लौह अयस्क का उपयोग करता है जिसका दहन विभिन्न पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAH) यौगिकों तथा ऑक्साइड को हवा में छोड़ता है। 
  • स्टील भट्ठी में कोक, लौह अयस्क के साथ प्रतिक्रिया करता है, जिससे लौह बनता है और प्रमुख पर्यावरण प्रदूषक उत्पन्न होते हैं 
  • इस्पात उत्पादक इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषक हैं: 
    • कार्बन मोनोऑक्साइड (CO); अतः 3 सही है। 
    • कार्बन डाइऑक्साइड (CO2); अत 4 सही है। 
    • सल्फर के ऑक्साइड (SOx); अत: 1 सही है। 
    • नाइट्रोजन के आक्साइड (NOx); अत: 2 सही है। 
    • PM 2.5; 
    • अपशिष्ट जल; 
    • खतरनाक अपशिष्ट; 
    • ठोस अपशिष्ट। 
  • हालांँकि एयर फिल्टर, वॉटर फिल्टर और अन्य प्रकार से पानी की बचत, बिजली की बचत और बंद कंटेनर के रूप में तकनीकी हस्तक्षेप उत्सर्जन को कम कर सकते हैं। अतः विकल्प (D) सही उत्तर है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ