गुटनिरपेक्ष आंदोलन: स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक | 31 May 2021

प्रिलिम्स के लिये:

गुटनिरपेक्ष आंदोलन, वैक्सीन मैत्री पहल, बांडुंग सम्मेलन

मेन्स के लिये:

गुटनिरपेक्ष आंदोलन की वर्तमान प्रासंगिकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ एक बैठक में भाग लिया।

प्रमुख बिंदु:

बैठक में भारत का रुख:

  • वैक्सीन मैत्री पहल:
    • अपनी ज़रूरतों के बावजूद कोविड -19 महामारी के दौरान भारत ने 59 NAM देशों सहित 123 भागीदार देशों को दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की।
  • 'सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज' के प्रयास:
    • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को यह सुनिश्चित करने हेतु परिभाषित किया गया है कि सभी लोगों के पास पर्याप्त गुणवत्ता की आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच होने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना भी है कि इन सेवाओं का उपयोग उपयोगकर्त्ता को वित्तीय जोखिम में नहीं डालता है।
    • आयुष्मान भारत का लक्ष्य 500 मिलियन से अधिक वंचित लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य आश्वासन प्रदान करना है, ताकि यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना बन जाए।
      • यह द्विमुखी दृष्टिकोण अपनाता है:
        • घरों के करीब स्वास्थ्य देखभाल सेवा सुनिश्चित करने के लिये स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का निर्माण।
        • दूसरा गरीब और कमज़ोर परिवारों को विनाशकारी स्वास्थ्य प्रकरणों से उत्पन्न होने वाले वित्तीय जोखिम से बचाने के लिये  प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) का निर्माण।
    • ग्राम आधारित सूक्ष्म योजनाओं पर अधिक ज़ोर देने के साथ पूर्ण टीकाकरण कवरेज तीव्र गति से बढ़ रहा है जिसका उद्देश्य एक वर्ष में कवरेज को 90% तक बढ़ाना है।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन:

  • पृष्ठभूमि:
    • यह शीत युद्ध (1945-1991) के दौरान राज्यों के एक संगठन के रूप में गठित किया गया था, जो औपचारिक रूप से खुद को संयुक्त राज्य अमेरिका (पूंजीवाद) या सोवियत संघ (समाजवाद) के साथ संरेखित नहीं करना चाहता था, लेकिन स्वतंत्र या तटस्थ रहने की मांग करता था।
    • वर्ष 1955 के बांडुंग सम्मेलन के छह वर्ष बाद गुटनिरपेक्ष देशों के आंदोलन को बेलग्रेड के पहले शिखर सम्मेलन में व्यापक भौगोलिक आधार पर स्थापित किया गया था, जो सितंबर 1961 में आयोजित किया गया था।
    • इस सम्मेलन का आयोजन यूगोस्लाविया के जोसिप ब्रोज़ टीटो, मिस्र के जमाल अब्देल नासिर, भारत के जवाहरलाल नेहरू, घाना के क्वामे नकरुमाह और इंडोनेशिया के सुकर्णो के नेतृत्व में आयोजित किया गया था।
  • उद्देश्य:
    • साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद, नव-उपनिवेशवाद, जातिवाद आदि सभी रूपों के खिलाफ उनके संघर्ष में "राष्ट्रीय स्वतंत्रता, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और गुटनिरपेक्ष देशों की सुरक्षा" सुनिश्चित करने के लिये निर्मित इस संगठन का उद्देश्य वर्ष 1979 की हवाना उद्घोषणा में बताया गया था। 
  • सदस्य और पर्यवेक्षक:
    • अप्रैल 2018 तक इसमें 120 सदस्य थे, जिसमें अफ्रीका के 53 देश, एशिया के 39, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन के 26 देश और यूरोप के 2 देश शामिल थे।
    • 17 देश और 10 अंतर्राष्ट्रीय संगठन NAM के पर्यवेक्षक हैं।

  • मुख्यालय:
    • NAM का कोई औपचारिक संविधान या स्थायी सचिवालय नहीं है और इसकी प्रशासनिक व्यवस्था गैर-श्रेणीबद्ध एवं चक्रीय होती है।
    • निर्णय सर्वसम्मति से किये जाते हैं, जिसके लिये पर्याप्त सहमति की आवश्यकता होती है।
  • अंतिम बैठक:
    • वर्ष 2020 में अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव (वर्तमान अध्यक्ष 2022 तक) की पहल पर उनकी अध्यक्षता में गुटनिरपेक्ष आंदोलन की बैठक बुलाई गई।

स्रोत-पीआईबी