NMCG और नमामि गंगे कार्यक्रम | 12 Dec 2022

प्रिलिम्स के लिये:

NMCG, नमामि गंगे कार्यक्रम, अर्थ गंगा, प्राकृतिक खेती, SBM 2.0, AMRUT 2.0, 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन’

मेन्स के लिये:

गंगा नदी के कायाकल्प में नमामि गंगे कार्यक्रम का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga- NMCG) की 10वीं अधिकारिता कार्य बल (Empowered Task Force- ETF) बैठक की अध्यक्षता की।

  • नमामि गंगे कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, स्वच्छता संबंधी प्रयासों की तुलना में केंद्र सरकार का ध्यान गंगा नदी के संरक्षण, पर्यटन संबंधी सुधार और आर्थिक विकास सुनिश्चित करने की ओर अधिक केंद्रित हो गया है।

गंगा नदी के कायाकल्प संबंधी हालिया विकास :

  • पर्यटन मंत्रालय अर्थ गंगा परियोजना के अनुरूप गंगा के किनारे पर्यटन सर्किट के विकास के लिये एक व्यापक योजना पर काम कर रहा है।
    • 'अर्थ गंगा' का तात्पर्य गंगा से संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान देने के साथ सतत् विकास मॉडल विकसित करना है।
  • आज़ादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में गंगा नदी के किनारे 75 शहरों में प्रदर्शनियों और मेलों के आयोजन की योजना बनाई गई है।
  • कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) गंगा नदी के किनारे जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के गलियारों (कॉरिडोर) के निर्माण हेतु कई आवश्यक कदम उठाने की तैयारी कर रहा है।
    • MoA&FW द्वारा गंगा के निकट के गाँवों में जल-उपयोग दक्षता में सुधार के प्रयासों के साथ ही पर्यावरण-अनुकूल कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • आवासन एवं शहरी मामले मंत्रालय स्वच्छ भारत मिशन 2.0 और अमृत 2.0 (AMRUT 2.0) के तहत शहरी नालों की मैपिंग तथा गंगा शहरों में ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय गंगा बेल्ट में वनीकरण गतिविधियों और 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' को आगे बढ़ाने की एक विस्तृत योजना पर भी काम कर रहा है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG):

  • परिचय:
    • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन गंगा नदी के कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय परिषद द्वारा कार्यान्वित किया जाता है जिसे ‘राष्ट्रीय गंगा परिषद’ भी कहा जाता है। 
    • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) राष्ट्रीय गंगा परिषद की कार्यान्वयन शाखा के रूप में कार्य करता है, जिसे अगस्त 2011 को सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।
  • उद्देश्य:
    • मिशन में मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) को पूर्व अवस्था में लाना और बढ़ावा देना तथा सीवेज के प्रवाह की जाँच के लिये रिवरफ्रंट के निकास बिंदुओं पर प्रदूषण को रोकने हेतु तत्काल अल्पकालिक कदम उठाना शामिल हैं।
    • प्राकृतिक मौसम परिवर्तन में बदलाव के बिना जल प्रवाह की निरंतरता बनाए रखना।
    • सतही प्रवाह और भूजल को बढ़ाना तथा उसे बनाए रखना।
    • क्षेत्र की प्राकृतिक वनस्पतियों के पुनर्जीवन और उनका रखरखाव करना।
    • गंगा नदी बेसिन की जलीय जैव विविधता के साथ-साथ तटवर्ती जैव विविधता को संरक्षित और पुनर्जीवित करना।
    • नदी के संरक्षण, कायाकल्प और प्रबंधन की प्रक्रिया में जनता की भागीदारी की अनुमति देना।

नमामि गंगे कार्यक्रम

  • परिचय:
    • नमामि गंगे कार्यक्रम एक एकीकृत संरक्षण मिशन है, जिसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा ‘फ्लैगशिप कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था, ताकि प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण एवं कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।
    • यह जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग तथा जल शक्ति मंत्रालय के तहत संचालित किया जा रहा है।
    • यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) और इसके राज्य समकक्ष संगठनों यानी राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों (SPMGs) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • नमामि गंगे कार्यक्रम (2021-26) के दूसरे चरण में राज्य परियोजनाओं को तेज़ी से पूरा करने और गंगा के सहायक शहरों में परियोजनाओं के लिये विश्वसनीय विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Detailed Project Report- DPR) तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
      • छोटी नदियों और आर्द्रभूमि के पुनरुद्धार पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
      • प्रत्येक प्रस्तावित गंगा जिले में कम से कम 10 आर्द्रभूमि हेतु वैज्ञानिक योजना और स्वास्थ्य कार्ड विकसित करना है और उपचारित जल एवं अन्य उत्पादों के पुन: उपयोग के लिये नीतियों को अपनाना है।
  • कार्यक्रम के मुख्य स्तंभ हैं:
    • सीवेज ट्रीटमेंट अवसंरचना
    • रिवर फ्रंट डेवलपमेंट
    • नदी-सतह की सफाई
    • जैव विविधता
    • वनीकरण
    • जन जागरण
    • औद्योगिक प्रवाह निगरानी
    • गंगा ग्राम

संबंधित पहलें:

  • गंगा एक्शन प्लान: यह पहली नदी कार्ययोजना थी जो 1985 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा लाई गई थी। इसका उद्देश्य जल अवरोधन, डायवर्ज़न और घरेलू सीवेज के उपचार द्वारा पानी की गुणवत्ता में सुधार करना तथा विषाक्त एवं औद्योगिक रासायनिक कचरे (पहचानी गई प्रदूषणकारी इकाइयों से) को नदी में प्रवेश करने से रोकना था।
    • राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना गंगा एक्शन प्लान का ही विस्तार है। इसका उद्देश्य गंगा एक्शन प्लान के फेज-2 के तहत गंगा नदी की सफाई करना है।
  • राष्ट्रीय नदी गंगा बेसिन प्राधिकरण (NRGBA): इसका गठन भारत सरकार द्वारा वर्ष 2009 में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-3 के तहत किया गया था।
  • इसने गंगा नदी को भारत की 'राष्ट्रीय नदी' घोषित किया।
  • स्वच्छ गंगा कोष: वर्ष 2014 में इसका गठन गंगा की सफाई, अपशिष्ट उपचार संयंत्रों की स्थापना तथा नदी की जैविक विविधता के संरक्षण के लिये किया गया था।
  • भुवन-गंगा वेब एप: यह गंगा नदी में होने वाले प्रदूषण की निगरानी में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करता है।
  • अपशिष्ट निपटान पर प्रतिबंध: वर्ष 2017 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गंगा नदी में किसी भी प्रकार के कचरे के निपटान पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)  

मेन्स

प्रश्न: नमामि गंगे और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) कार्यक्रमों पर और इससे पूर्व की योजनाओं से मिश्रित परिणामों के कारणों पर चर्चा कीजिये। गंगा नदी के परिरक्षण में कौन-सी प्रमात्रा छलांगे, क्रमिक योगदानों की अपेक्षा ज़्यादा सहायक हो सकती हैं? (2015)

स्रोत: पी.आई.बी.