नीति आयोग का स्वास्थ्य सूचकांक | 26 Jun 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग (NITI Aayog) ने राज्य स्वास्थ्य सूचकांक (State Health Index) का दूसरा संस्करण जारी किया है। इसमें केरल सर्वाधिक स्वस्थ राज्य के रूप में शीर्ष स्थान पर काबिज़ है जबकि उत्तर प्रदेश इस सूचकांक में सबसे निचले पायदान पर है।

प्रमुख बिंदु

  • यह चिंता की बात है कि मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखा है। हालाँकि राजस्थान जैसे कुछ राज्यों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार देखने को मिला है।
  • इस सूचकांक के अंतर्गत वर्ष 2015-16 को आधार वर्ष एवं वर्ष 2017-18 की अवधि को संदर्भ वर्ष मानते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के समग्र प्रदर्शन एवं वृद्धिशील सुधार का विश्लेषण किया गया।
  • इसके अनुसार, बिहार में आधार वर्ष 2015-16 और संदर्भ वर्ष 2017-18 में स्वास्थ्य स्थिति में आई गिरावट के लिये जिन कारकों को ज़िम्मेदार माना गया उनमें शामिल हैं; कुल प्रजनन दर, जन्म के समय शिशु का कम वज़न, जन्म के समय लिंगानुपात, टीबी उपचार सफलता दर, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निधि हस्तांतरण के अंतर्गत होने वाली देरी।
  • बिहार में केवल 56% माताएँ ही स्वास्थ्य सुविधाओं से युक्त अस्पतालों में प्रसव कराती हैं, जो राष्ट्रीय औसत के हिसाब से बहुत खराब स्थिति है। यह स्थिति अत्यंत दयनीय इसलिये भी है क्योंकि वर्ष 2015-16 की तुलना में जन्म के समय कम वज़न वाले बच्चों की जन्म दर अधिक होने के कारण बिहार खतरे की स्थिति में है।
  • उत्तराखंड के स्वास्थ्य सूचकांक में आई गिरावट के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
    • नवजात मृत्यु दर
    • पाँच वर्ष से कम के बच्चों की मृत्यु दर
    • ज़िला स्तर पर प्रमुख प्रशासनिक पदों के कार्यकाल की स्थिरता
    • प्रथम रेफरल इकाइयों (First Referral Units- FRU) का सही से संचालन न हो पाना
    • और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निधि हस्तांतरण में होने वाली देरी
  • उड़ीसा के स्वास्थ्य सूचकांक में आई गिरावट के प्रमुख कारणों में अधिकतर पूर्ण टीकाकरण दर और टीबी उपचार की सफलता दर में कमी शामिल हैं जबकि मध्य प्रदेश के मामले में जन्म पंजीकरण दर और टीबी उपचार की सफलता दर में आई कमी प्रमुख बाधा रही है।
  • बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों में भी तमिलनाडु तीसरे स्थान से नौवें स्थान पर, जबकि पंजाब दूसरे स्थान से पाँचवें स्थान पर आ गया है। इस बार दूसरे सर्वश्रेष्ठ राज्य का स्थान आंध्र प्रदेश को दिया गया है, जबकि महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है।

वृद्धिशील प्रदर्शन

  • वृद्धिशील प्रदर्शन के मामले में हरियाणा, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्य सराहना के पात्र रहे है।
  • जहाँ एक ओर नीति आयोग की रिपोर्ट में केरल के स्वास्थ्य परिणामों की तुलना अर्जेंटीना और ब्राज़ील से की गई है, जिसमें नवजात मृत्यु दर (Neo-Natal Mortality Rate-NMR, जो जन्म के पहले 28 दिनों में प्रति 1,000 जीवित बच्चों पर मरने वाले बच्चे की संख्या को इंगित करती है) छह से भी कम है।
  • वहीं दूसरी ओर रिपोर्ट के अनुसार, उड़ीसा में नवजात मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित बच्चों पर 32 है, जो सिएरा लियोन (Sierra Leone) के आँकड़ों के करीब है।

प्रत्येक राज्य को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये अपने बजट का कम-से-कम आठ फीसदी हिस्सा खर्च करना चाहिये, ताकि स्वास्थ्य सुविधाओं के दायरे को और अधिक विस्तार दिया जा सकें।

स्रोत: द हिंदू बिजनेस लाइन