मेघालय युग : पृथ्वी के इतिहास में एक नया युग | 21 Jul 2018

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भू-वैज्ञानिकों ने धरती के इतिहास में एक नए युग ‘मेघालय युग’ (Meghalayan Age) की खोज की है। अंतर्राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक विज्ञान संघ (International Union of Geological Sciences - IUGS) ने आधिकारिक तौर पर इस नए चरण को स्वीकार कर लिया है।

प्रमुख बिंदु 

  • भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि इस युग की शुरुआत 4200 साल पहले हुई थी और यह आज तक जारी है।
  • भू-वैज्ञानिक इतिहास के दृष्टिकोण से हम जिस युग में रह रहे हैं वह होलोसीन युग है।

होलोसीन युग : 

  • भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, होलोसीन युग का प्रारंभ लगभग 11,700 साल पहले हुआ था।
  • ICS (International Chronostratigraphic Chart ) में होलोसीन युग को तीन उपवर्गों में बाँटा गया है। होलोसीन युग की शुरुआत को ‘ग्रीनलैंडियन’ (11,700-8,326 साल पूर्व) नाम दिया गया है यह वह युग था जब पृथ्वी हिमयुग से बाहर आई थी।
  • मध्य होलोसीन युग को ‘नॉर्थग्रिपियन’ (8,326-4200 वर्ष पूर्व) नाम दिया गया है।
  • ‘मेघालय युग’ होलोसीन युग का नवीनतम युग है।
  • माना जाता है कि धरती का निर्माण लगभग 4.6 अरब साल पहले हुआ था। तब से पृथ्वी के अस्तित्व को कई युगों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक युग प्रमुख घटनाओं जैसे- महाद्वीपीय विस्थापन, पर्यावरण में परिवर्तन या धरती पर खास तरह के जानवरों और पौधों की उत्पत्ति पर आधारित है।
  • भू-वैज्ञानिकों द्वारा की गई खोज के अनुसार, ‘मेघालय युग’ की शुरुआत भयंकर सूखे के साथ हुई थी जिसका असर 200 सालों तक रहा।
  • इस सूखे के कारण मिस्र, यूनान, सीरिया, फिलिस्तीन, मेसोपोटामिया, सिंघु घाटी और यांग्त्से नदी घाटी में खेती आधारित सभ्यताएँ समाप्त हो गईं। 

इस युग का नाम ‘मेघालय युग’ ही क्यों? 

  • शोधकर्त्ताओं की अंतर्राष्ट्रीय टीम ने मेघालय की एक गुफा मावम्लूह (Mawmluh Cave) की छत से टपक कर फर्श पर जमा हुए स्टैलेगेमाइट चूने को एकत्र कर उसका अध्ययन किया। इस अध्ययन ने धरती के इतिहास में घटी सबसे छोटी जलवायु घटना को परिभाषित करने में मदद की। इसी कारण इस युग को ‘Meghalayan Age’ या ‘मेघालय युग’ नाम दिया गया। 

अंतर्राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक विज्ञान संघ (International Union of Geological Sciences - IUGS)

  • IUGS एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जो भूविज्ञान के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये समर्पित है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1961 में की गई थी।
  • वर्तमान में 121 देशों (और क्षेत्रों) के भू-वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व IUGS में 121 अनुपालन संगठनों के माध्यम से किया जाता है।