कैलाश मानसरोवर के लिये नवीन सड़क मार्ग | 09 May 2020

प्रीलिम्स के लिये:

कैलाश मानसरोवर यात्रा के मार्ग, कैलाश पर्बत

मेन्स के लिये:

कैलाश मानसरोवर यात्रा 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय ‘रक्षा मंत्री’ (Defence Minister) ने उत्तराखंड में 80 किलोमीटर की सड़क को देश को समर्पित किया जो लिपुलेख दर्रे (Lipulekh Pass) से होकर कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये एक नवीन मार्ग है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस 80 किलोमीटर लंबी ग्रीनफील्ड रोड का निर्माण ‘चाइना स्टडी ग्रुप’ (China Study Group- CSG) के निर्देशों के अनुसार किया गया है।
  • यह सड़क परियोजना ‘भारत-चीन बॉर्डर रोड’ (Indo-China Border Road- ICBR) द्वारा वित्त पोषित है।

कैलाश पर्बत:

  • कैलाश पर्बत मानसरोवर झील के आसपास के क्षेत्र में अवस्थित है जो उत्तराखंड की सीमा से 100 किमी. से  भी कम दूरी पर है। कैलाश पर्बत को हिंदू, बौद्ध, जैन तथा बोन (Bon: तिब्बत का धर्म जो स्वयं की बौद्ध धर्म से अलग मानते हैं) धर्मों में पवित्र माना जाता है।
  • हिंदुओं में कैलाश पर्बत को पारंपरिक रूप से भगवान शिव के निवास के रूप में मान्यता प्राप्त है। हिंदुओं द्वारा इसे पृथ्वी का केंद्र तथा स्वर्ग की अभिव्यक्ति माना जाता है।

लिपुलेख दर्रा:

  • लिपुलेख दर्रा 17,000 फीट की ऊँचाई पर भारत, चीन और नेपाल के त्रि-जंक्शन के करीब उत्तराखंड में अवस्थित है।

नवीन लिपुलेख सड़क मार्ग:

  • इस सड़क मार्ग का निर्माण ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ (Line of Actual Control- LAC) के करीब उत्तराखंड में किया गया है। यह सड़क काली नदी; जो भारत-नेपाल सीमा का निर्माण करती है, के साथ संरेखित है। 
  • इस सड़क का निर्माण होने से 'सीमा सड़क संगठन' (Border Roads Organisation- BRO)  द्वारा किया गया है। यह सड़क धारचूला (Dharchula) को लिपुलेख (चीन सीमा पर) को जोड़ती है।
  • इस सड़क परियोजना को 'सुरक्षा पर कैबिनेट समिति' (Cabinet Committee on Security- CCS) द्वारा वर्ष 2005 में मंज़ूरी दी गई थी तथा इसे वर्ष 2022 तक पूरा किया जाना था।
  • वर्ष 2018 में इस परियोजना की कुल लागत 439.40 करोड़ रुपए निर्धारित की गई थी।

लिपुलेख दर्रे से कैलाश मानसरोवर यात्रा:

  • कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये इस नवीन मार्ग में दूरी को निम्नलिखित परिवहन माध्यमों तथा मार्गों से तय किया जाएगा।
    • दिल्ली से पिथौरागढ़ तक की 490 किमी. की दूरी सड़क मार्ग से;
    • पिथौरागढ़ से घाटिबगढ़ (Ghatiabgarh) तक 130 किमी. सड़क मार्ग से;
    • घाटिबगढ़ से लिपुलेख दर्रा (चीन सीमा तक) तक 79 किमी.पैदल मार्ग से;
    • चीन की सीमा में 5 किमी. की दूरी पैदल मार्ग से तथा उसके बाद 97 किमी. की दूरी सड़क मार्ग से तय की जाती है। 
    • 43 किमी. लंबाई की पैदल परिक्रमा सड़क द्वारा तय की जाती है।

Nanda devi

नवीन मार्ग का महत्त्व:

  • प्रथम, नवीन मार्ग की लंबाई कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये उपलब्ध अन्य मार्गों की तुलना में लगभग पाँचवें हिस्से के बराबर है। अत: नवीन मार्ग लंबाई में सबसे छोटा तथा यात्रा खर्च के अनुसार सबसे सस्ता है।
  • द्वितीय, नवीन मार्ग की संपूर्ण दूरी पैदल या वाहनों से तय की जाएगी तथा इसमें कोई हवाई यात्रा शामिल नहीं है।
  • तृतीय, इस इस मार्ग से की जाने वाली यात्रा मार्ग का लगभग 84% हिस्सा भारत में है, केवल 16% हिस्सा ही चीन में है। जबकि अन्य मार्गों का लगभग 80% हिस्सा चीन में स्थित है।
  • चतुर्थ, लिपुलेख दर्रे पर चीनी सीमा में 5 किमी के मार्ग को छोड़कर लगभग संपूर्ण यात्रा अब वाहनों द्वारा की जा सकेगी। 

कैलाश मानसरोवर यात्रा के अन्य मार्ग:

  • वर्तमान में कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये दो अन्य मार्ग; सिक्किम मार्ग और दूसरा काठमांडू मार्ग, हैं। 
  • सिक्किम मार्ग:
    • सिक्किम मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये सर्वप्रथम दिल्ली से 1115 किमी. दूर स्थित बागडोगरा (पश्चिम बंगाल) के लिये उड़ान भरी जाती है, उसके बाद 1665 किमी. की दूरी सड़क द्वारा तय की जाती है। 43 किमी. पैदल परिक्रमा पैदल चलकर तय की जाती है।
  • काठमांडू मार्ग:
    • सर्वप्रथम दिल्ली से 1150 किमी. दूरी पर स्थित काठमांडू के लिये की उड़ान भरी जाती है तथा उसके बाद 1940 किमी. की दूरी सड़क मार्ग से (या दो हवाई उड़ानों एवं हेलीकाप्टर से) तथा 43 किमी. की परिक्रमा पैदल चलकर तय की जाती है।

स्रोत: द हिंदू