बर्फीले आर्कटिक में नया समुद्री मार्ग | 04 Oct 2018

चर्चा में क्यों?

विश्व के सबसे बड़े कंटेनर शिपिंग समूह एपी मॉलर-मैर्स्क (AP Moller-Maersk) के जहाज़ ने रूसी आर्कटिक से होते हुए परीक्षण यात्रा सफलता पूर्वक पूरी कर ली है।

  • यह जहाज़ 22 अगस्त को उत्तरी प्रशांत महासागर में रूस के व्लादिवोस्तोक से निकलकर फिनलैंड की खाड़ी स्थित सेंट पीटर्सबर्ग पहुँच गया।
  • यह समुद्री मार्ग एशिया और यूरोप के बीच नया समुद्री राजमार्ग बन सकता है।
  • यह मार्ग (रूस की उत्तरी सीमा से होकर) पूर्वी एशिया और पश्चिमी यूरोप (वर्तमान में मलक्का स्ट्रेट, हिंद महासागर, एडन की खाड़ी और सुएज़ नहर से होकर जाने वाला) के बीच की दूरी को 21,000 किलोमीटर से घटाकर 12,800 किलोमीटर करता है। इस नए मार्ग से यात्रा करने में मात्र 10-15 दिनों का समय लगेगा।

गायब होती आर्कटिक बर्फ

  • वर्षों से पिघल रही समुद्री बर्फ ने इस मार्ग को जहाज़ों के लिये खोल दिया है।
  • माप से पता चलता है कि 1980 के दशक के बाद से आर्कटिक महासागर को ढकने वाली समुद्री बर्फ का विस्तार साल-दर-साल घटता गया।
  • जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप आर्कटिक के कुछ हिस्सों में वार्मिंग बहुत तेज़ गति से होती है। वर्षों से जमी हुई बर्फ तथा उसकी मोटी परत का गायब होना इसका सबूत है।

नया नौ-परिवहन मार्ग

  • समुद्र के तापमान में वृद्धि होने के कारण यह कल्पना की जा सकती है कि इस शताब्दी के मध्य तक जहाज़ रूस के उत्तर से निकलकर उत्तरी ध्रुव होते हुए सीधे कनाडा के उत्तरी भाग तक जाने में सक्षम होंगे।
  • अगले दशक में इस क्षेत्र में नौ-परिवहन गतिविधि में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि रूस द्वारा साइबेरिया में तेल तथा गैस से जुड़े क्षेत्रों को विकसित किये जाने की संभावना है।

आर्कटिक मार्ग से संबद्ध मुद्दे

लागत : उच्च लागत तथा आर्कटिक बर्फ की बदलती परिस्थिति संचालकों को हतोत्साहित कर सकती है। इन परिस्थितियों से निपटने के लिये सख्त मानदंडों का पालन करना पड़ सकता है।

सुरक्षा : वर्द्धित बीमा लागत तथा सुरक्षा के प्रति सज़गता जैसी अन्य चिंताओं का भी ध्यान रखना होगा।

पर्यावरण

जहाज़ों द्वारा उत्पन्न शोर तथा प्रदूषण, पर्यावरण के साथ-साथ समुद्री दुनिया के अन्य हिस्सों में समुद्री जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।