नया श्रम सर्वेक्षण | 14 Jun 2017

संदर्भ
केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय एक सामयिक श्रम बल सर्वेक्षण शुरू करने जा रहा है। जिसके तहत श्रम बल से संबंधित डाटा तैयार किया जाएगा। इसका पहली बार प्रकाशन दिसंबर 2018 से किया जाएगा।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस प्रकार का डाटा शहरी क्षेत्र के लिये त्रैमासिक और ग्रामीण क्षेत्र के लिये वार्षिक आधार पर बनाया जाएगा।
  • यह सर्वेक्षण न केवल औपचारिक क्षेत्र के बारे में बल्कि अनौपचारिक क्षेत्र के बारे में भी डाटा प्रदान करेगा।
  • इस सर्वेक्षण वर्तमान में विद्यमान प्रणाली, जिसमें श्रम बल से संबंधित डाटा को प्रत्येक पाँच साल में उपलब्ध कराया जाता था, के स्थान पर लाया जाएगा।
  • मंत्रालय आधार वर्ष को 2011-12 से बदलकर 2017-18 करने की तैयारी कर रहा है। आधार वर्ष में यह बदलाव 2018 के अंत में घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण और श्रमबल सर्वेक्षण पूरा होने के बाद किया जाएगा।
  • सामयिक श्रम बल सर्वेक्षण में एक कम्प्यूटर असिस्टेड पर्सनल साक्षात्कार (CAPI) विधि को भी अपनाया जाएगा, जिससे सटीक और समय पर जानकारी मिल सकेगी। 
  • सांख्यिकी मंत्रालय भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक ‘तथ्य पत्र’ (Fact Sheet) विकसित कर रहा है, जिसमें सभी महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों से 100 संकेतकों पर जानकारी ली  जाएगी। 
  • सांख्यिकी मंत्रालय उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण की तर्ज़ पर सेवाओं का भी वार्षिक सर्वेक्षण प्रस्तुत करने पर विचार कर रहा है

केन्द्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय

  • यह भारत सरकार का एक मंत्रालय है तथा इसके द्वारा किये गए सर्वेक्षण वैज्ञानिक  विधियों पर आधारित होते हैं।
  • यह सांख्यिकी विभाग और कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग के विलय के बाद 15 अक्टूबर, 1999 को एक स्वतंत्र मंत्रालय के रूप में अस्तित्व में आया।
  • मंत्रालय के पास दो विंग्स हैं, एक आँकड़ों से संबंधित तथा दूसरी कार्यक्रम कार्यान्वयन से संबंधित।
  • आँकड़ों से संबंधित विंग को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के नाम से भी जाना जाता है। इसके अंतर्गत केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO), कंप्यूटर केंद्र और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) शामिल हैं।
  • कार्यक्रम कार्यान्वयन विंग के तीन प्रभाग हैं - बीस प्वाइंट कार्यक्रम, इंफ्रास्ट्रक्चर मॉनिटरिंग एवं प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग और संसदीय सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना।