हाई एल्टीट्यूड के लिये नई चीनी मिलिशिया इकाइयाँ | 28 Jun 2021

प्रिलिम्स के लिये:

स्पेशल फ्रंटियर फोर्स, प्रमुख अभियान

मेन्स के लिये:

भारत-चीन संबंध- चुनौतियाँ और उभरते मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चीनी सेना ने हाई एल्टीट्यूड (High Altitudes) वाले युद्धक्षेत्र के लिये स्थानीय तिब्बती युवाओं को शामिल करते हुए नई मिलिशिया (Militia) इकाइयाँ बनाई हैं।

China

प्रमुख बिंदु 

परिचय :

  • मिमांग चेटन (Mimang Cheton) नामक नई इकाइयाँ वर्तमान में प्रशिक्षण के दौर से गुज़र रही हैं तथा इन्हें भारत-चीन सीमा के पूर्वी और पश्चिमी दोनों क्षेत्रों में सर्वाधिक ऊपरी हिमालय पर्वतमाला में तैनात किया जाना है।
    • उन्हें विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिये प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिसमें एक तरफ ड्रोन जैसे उच्च तकनीक वाले उपकरणों का उपयोग करना, साथ ही साथ खच्चरों और घोड़ों को हिमालयी रेंज में उन क्षेत्रों तक पहुँचने के लिये शामिल किया गया है जहाँ आधुनिक साधनों से नहीं पहुँचा जा सकता है।
  • उन्हें पूर्वी लद्दाख के पास तैनात किया गया है, जहाँ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ-साथ सिक्किम और भूटान के साथ हालिया सीमा तनाव है।
    • LAC वह सीमांकन है जो भारतीय-नियंत्रित क्षेत्र को चीनी-नियंत्रित क्षेत्र से अलग करती है।
  • पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील (Pangong Tso Lake) के पास चुंबी घाटी और तिब्बत के रुतोग में विभिन्न स्थानों पर प्रशिक्षित इकाइयों को पहले ही तैनात किया जा चुका है।
  •  नई मिमांग चेटन इकाइयों की तैनाती भारत के कुलीन और दशकों पुराने स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (SFF)  को दर्शाती है। 
    • जैसे SFF तिब्बतियों की जानकारी पर निर्भर रहते हैं वैसे ही मिमांग चेटन भी तिब्बतियों के स्थानीय ज्ञान के साथ-साथ स्थानीय लोगों के हाई एल्टीट्यूड सिकनेस के प्रतिरोध पर निर्भर करता है, जो अल्पाइन युद्ध में एक समस्या है।

उद्देश्य :

  • हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर:
    • नई इकाइयों का उपयोग हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर के साथ-साथ निगरानी के लिये भी किया जाएगा।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक पहलू:
    • इकाइयों की एक नई विशेषता यह है कि प्रशिक्षण पूरा होने पर उन्हें तिब्बत में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा “आशीर्वाद” दिया जा रहा है, जिसे PLA से जातीय तिब्बतियों तक अधिक सामाजिक-सांस्कृतिक पहुँच के संकेत के रूप में व्याख्यायित किया जा रहा है। 
    • यह संभवतः तिब्बत क्षेत्र में कुछ लाभ प्राप्त करने के लिये PLA की एक नई रणनीति है।

सीमा पर चीन के हालिया घटनाक्रम:

  • रेलवे लाइन:
    • चीन ने तिब्बत में पहली बुलेट ट्रेन लाइन शुरू की है, जो ल्हासा को अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास  निंगची (Nyingchi) से जोड़ती है।
    • वर्ष 2006 में शुरू किये गए चिंगहई-तिब्बत रेलमार्ग (Qinghai-Tibet railway) के बाद यह तिब्बत के लिये दूसरा प्रमुख रेल लिंक है।
  • राजमार्ग:
    • वर्ष 2021 में चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के साथ विवादित सीमा को लेकर दूरदराज़ के क्षेत्रों में अपनी पहुंँच को और अधिक मज़बूत करने हेतु सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण राजमार्ग के निर्माण कार्य को पूरा कर लिया है।
  • नए गाँव :
    • जनवरी 2021 में अरुणाचल प्रदेश में बुमला दर्रे से 5 किलोमीटर दूर चीन द्वारा तीन गांँवों के निर्माण किये जाने की खबरें आई थीं।
    • वर्ष 2020 के कुछ उपग्रह चित्रों में भूटान की सीमा के अंतर्गत 2-3 किमी में निर्मित ‘पंगडा’ नामक एक नया गांँव देखा गया।
    • वर्ष 2017 में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (TAR) सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में मध्यम रूप से संपन्न गाँव बनाने की योजना शुरू की।
    • इस योजना के तहत भारत, भूटान, नेपाल और चीन की सीमाओं के साथ पहली और दूसरी सीमांकन रेखा वाले अन्य दूरदराज़ के इलाकों में 628 गाँव विकसित किये जाएंगे। 

भारत के लिये चिंता:

  • रणनीतिक स्थान:
    • चुंबी घाटी की सामरिक स्थिति को देखते हुए ऐसा विकास भारत के लिये चिंता का विषय है।
      • चुंबी घाटी पूर्व में भूटान और पश्चिम में सिक्किम के बीच स्थित चीनी क्षेत्र का 100 किलोमीटर का फैलाव है। 
    • घाटी की स्थिति लंबे समय से चिंता का विषय रही है कि इसका उपयोग सिलीगुड़ी कॉरिडोर में रणनीतिक संचार लिंक को घेरने करने के लिये संचालन शुरू करने हेतु किया जा सकता है।
      • सिलीगुड़ी कॉरिडोर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी शहर के आसपास स्थित भूमि का एक संकरा हिस्सा है। यह पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है, इसे चिकन नेक के रूप में भी जाना जाता है।
  • चीन की मज़बूत होती स्थिति:
    • ये घटनाक्रम मई 2020 में शुरू हुए सीमा गतिरोध और हवाई अड्डों, हेलीपैड, मिसाइल सुविधाओं तथा हवाई साइटों सहित LAC के साथ चीनी क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे के तेज़ी से निर्माण की पृष्ठभूमि के खिलाफ आए हैं।

भारत द्वारा अपनी सीमा को मज़बूत करने के लिये उठाए गए कदम:

  • जम्मू और कश्मीर के गुलमर्ग में भारत का अपना हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (High Altitude Warfare School- HAWS) है।
  • भारत, सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Border Area Development Programme- BADP) के 10 प्रतिशत कोष को केवल चीन सीमा पर बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिये खर्च करेगा।
  • सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation- BRO) ने अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरी नदी पर दापोरिजो पुल का निर्माण किया।
    • यह भारत और चीन के बीच LAC तक जाने वाली सड़कों को जोड़ता है।
  • अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग ज़िले के नेचिफू में एक सुरंग तवांग के माध्यम से LAC तक सैनिकों की आवाजाही में लगने वाले समय को कम करेगी, जिसे चीन अपना क्षेत्र होने का दावा करता है।
  • अरुणाचल प्रदेश में से ला पास (Se La pass) के नीचे एक सुरंग का निर्माण किया जा रहा है जो तवांग को बाकी अरुणाचल और गुवाहाटी से जोड़ती है।
  • अरुणाचल प्रदेश सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों से शहरी केंद्रों की ओर जनसंख्या के पलायन (विशेष रूप से चीन सीमा के साथ लगे क्षेत्रों से) को रोकने के लिये केंद्र सरकार से पायलट विकास परियोजनाओं की मांग की है। अरुणाचल प्रदेश सरकार ने भारत-चीन सीमा पर बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये पायलट परियोजनाओं के रूप में 10 जनगणना शहरों (Census Towns) के चयन की सिफारिश की है।
  • वर्ष 2019 में अरुणाचल प्रदेश में निचली दिबांग घाटी में स्थित सिसेरी नदी पुल (Sisseri River Bridge) का उद्घाटन किया गया था, जो दिबांग घाटी को सियांग से जोड़ता है।
  • वर्ष 2019 में भारतीय वायु सेना ने अरुणाचल प्रदेश में भारत के सबसे पूर्वी गाँव-विजयनगर (चांगलांग ज़िले) में पुनर्निर्मित हवाई पट्टी का उद्घाटन किया।
  • वर्ष 2019 में भारतीय सेना ने अपने नए ‘इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स’ (IBG) के साथ अरुणाचल प्रदेश और असम में 'हिमविजय' (HimVijay) अभ्यास किया था।
  • बोगीबील पुल जो भारत का सबसे लंबा सड़क-रेल पुल है, असम में डिब्रूगढ़ को अरुणाचल प्रदेश में पासीघाट से जोड़ता है। इसका उद्घाटन वर्ष 2018 में किया गया था।

स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (SSF):

परिचय:

  • इसकी स्थापना वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के तुरंत बाद हुई थी।
  • यह कैबिनेट सचिवालय के दायरे में आता है जहाँ इसका नेतृत्त्व एक महानिरीक्षक (Inspector General) करता है जो मेजर जनरल रैंक का एक सैन्य अधिकारी होता है।
    • SFF में शामिल इकाइयाँ ‘विकास बटालियन’ (Vikas Battalion) के रूप में जानी जाती हैं।
  • वे उच्च प्रशिक्षित विशेष बल कर्मी होते हैं, ये विभिन्न प्रकार के कार्य कर सकते हैं जो आमतौर पर किसी विशेष बल इकाई द्वारा किये जाते हैं।
  • यह एक ‘कोवर्ट आउटफिट’ (Covert Outfit) थी जिसमें खम्पा समुदाय के तिब्बतियों को भर्ती किया जाता था किंतु अब इसमें तिब्बतियों एवं गोरखाओं दोनों को भर्ती किया जाता है।
    • महिला सैनिक भी SSF इकाइयों का हिस्सा बनती हैं।
  • SFF इकाइयाँ सेना का हिस्सा नहीं हैं परंतु वे सेना के संचालन नियंत्रण में कार्य करती हैं।

प्रमुख अभियान:

  • ऑपरेशन ईगल (वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध), ऑपरेशन ब्लूस्टार (वर्ष 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से संबंधित), ऑपरेशन मेघदूत (वर्ष 1984 में सियाचिन ग्लेशियर को सुरक्षित करना) और ऑपरेशन विजय (वर्ष 1999 में कारगिल में पाकिस्तान के साथ युद्ध) तथा देश में कई विद्रोहों के विरुद्ध अभियान।

आगे की राह:

  • भारत को अपने हितों की रक्षा करने के लिये अपनी सीमा के पास चीन द्वारा किसी भी नए विकास के मामले में पर्याप्त रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसके अलावा इसे कुशल तरीके से कर्मियों और अन्य रसद आपूर्ति की आवाजाही सुनिश्चित करने हेतु अपने क्षेत्र के कठिन सीमा क्षेत्रों में मजबूत बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू