नई एवं उभरती सामरिक प्रौद्योगिकियाँ- नेस्ट | 10 Jan 2020

प्रीलिम्स के लिये:

नई एवं उभरती सामरिक प्रौद्योगिकियाँ- नेस्ट

मेन्स के लिये:

विदेश नीति में नई प्रौद्योगिकियों की भूमिका व महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय विदेश मंत्रालय ने 5G और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI) जैसी नई तकनीकों के कारण उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों से निपटने हेतु एक नए प्रभाग- नई एवं उभरती सामरिक प्रौद्योगिकियाँ (New and Emerging Strategic Technologies- NEST) की स्थापना की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु:

  • विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस नए प्रभाग का उद्देश्य विभिन्न भारतीय राज्यों में विदेशी निवेश को बढ़ावा देना तथा उनके बीच समन्वय स्थापित करना है।
  • यह नया प्रभाग नई और उभरती प्रौद्योगिकी से संबंधित मामलों में केंद्रीय विदेश मंत्रालय के नोडल कार्यालय की तरह काम करेगा। इसका उद्देश्य अन्य देशों की सरकारों और भारतीय मंत्रालयों एवं विभागों के मध्य विचारों का आदान-प्रदान एवं समन्वय को बढ़ावा देना है।
  • यह प्रभाग नई प्रौद्योगिकियों पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय कानूनों एवं इनके प्रभाव को देखते हुए विदेश नीति के आकलन में सहायता प्रदान करेगा।
  • नया प्रभाग बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय मंचों जैसे-संयुक्त राष्ट्र संघ, G20 आदि में भारत के हितों की रक्षा हेतु वार्ताओं और समझौतों में भी विदेश मंत्रालय को सलाहकारी निकाय रूप से सहयोग प्रदान करेगा।
  • मंत्रालय के अनुसार, जल्दी ही इस प्रभाग के लिये अधिकारियों एवं सदस्यों की नियुक्ति का कार्य संपन्न कर लिया जाएगा।

उभरती प्रौद्योगिकियों का देश की नीतियों पर प्रभाव:

  • कई विशेषज्ञों ने AI और 5G जैसी तकनीकों को 5वीं औद्योगिक क्रांति का महत्त्वपूर्ण घटक बताया है। भविष्य में कौन से देश आगे होंगे इसका निर्धारण इन्हीं प्रौद्योगिकियों पर निर्भर करेगा।
  • जिन देशों में ये प्रौद्योगिकियाँ उपलब्ध होंगी वे सेवा प्रदाता के रूप में और जिनके पास ऐसी प्रौद्योगिकियाँ नहीं होंगी वे उपभोक्ता के रूप में उभरेंगे।
  • अत: पहली स्थिति के देश मज़बूत एवं दूसरी स्थिति के देश कमज़ोर अवस्था में होंगे।
  • AI और 5G जैसी प्रणालियाँ पूर्णरूप से डेटा पर आधारित होती हैं, ये अन्य देशों के नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी (Personal Data) उपलब्ध कराकर सामरिक बढ़त भी प्रदान करती हैं।
  • वर्तमान में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या के मामले में भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। ज्ञातव्य है कि देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 665.31 मिलियन है। देश में इस क्षेत्र में अप्रैल 2000 से जून 2019 तक विदेशी निवेश 37.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया था, इन आँकड़ों से इस क्षेत्र में भारतीय बाज़ार की क्षमता और भविष्य में उत्पन्न होने वाले अवसरों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
  • दिन-प्रतिदिन तकनीकी विकास के साथ इंटरनेट मात्र एक संचार माध्यम नहीं रहा बल्कि आज यह यातायात, सुरक्षा, न्याय जैसे अन्य कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। अत: उपरोक्त क्षेत्रों के लिये नीतियों के निर्माण में तकनीक की भूमिका की समीक्षा करना आवश्यक हो गया है।

आगे की राह:

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के एक अनुमान के अनुसार, दूर-संचार के क्षेत्र में वर्ष 2022 तक भारत में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के विदेशी निवेश का अनुमान है। अतः इस क्षेत्र में भारतीय विदेश नीति देश के लिये आर्थिक तथा सामरिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण होगी।

स्रोत: लाइव मिंट