न्यूरोटेक्नोलॉजी और नैतिकता | 13 Jun 2023

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन, न्यूरोटेक्नोलॉजी, डीप ब्रेन स्टिमुलेशन, सतत् विकास, पार्किंसंस रोग  

मेन्स के लिये:

न्यूरोटेक्नोलॉजी से संबंधित नैतिक चिंताएँ

चर्चा में क्यों?  

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) मस्तिष्क-तरंग डेटा एकत्र करने वाले न्यूरोटेक उपकरणों के नैतिक प्रभावों को संबोधित करने के लिये पेरिस, फ्राँस में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है।

  • इस सम्मेलन का उद्देश्य विचार की व्यक्तिगत स्वतंत्रता, गोपनीयता और मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक वैश्विक नैतिक ढाँचा स्थापित करना है।
  • न्यूरोटेक्नोलॉजी की बढ़ती क्षमता के साथ न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को दूर करने के लिये व्यक्तिगत पहचान और गोपनीयता पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताएँ जाहिर की गई हैं।

न्यूरोटेक्नोलॉजी:  

  • न्यूरोटेक्नोलॉजी को विधियों और उपकरणों के संयोजन के रूप में परिभाषित किया गया है जो तंत्रिका तंत्र के साथ तकनीकी घटकों के सीधे संबंध को सक्षम बनाता है। ये तकनीकी घटक इलेक्ट्रोड, कंप्यूटर या कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित अंग हैं।
  • ये या तो मस्तिष्क से संकेतों को रिकॉर्ड करते हैं और उन्हें तकनीकी नियंत्रण आदेशों में "अनुवाद" करते हैं या विद्युत या ऑप्टिकल उत्तेजनाओं को लागू करके मस्तिष्क गतिविधि में हेर-फेर करते हैं।
    • इस तकनीक ने हमारे जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने वाली बायोइलेक्ट्रॉनिक दवा से लेकर मानव चेतना की हमारी अवधारणा में क्रांति लाने वाली मस्तिष्क इमेजिंग तक अनेक चुनौतियों का सामना करने में मदद की है।
  • न्यूरोटेक्नोलॉजी मस्तिष्क को समझने, उसकी प्रक्रियाओं की कल्पना करने और यहाँ तक कि उसके कार्यों को नियंत्रित, मरम्मत या सुधारने के लिये विकसित सभी तकनीकों को शामिल करती है।

न्यूरोटेक्नोलॉजी से संबंधित नैतिक चिंताएँ:  

  • गोपनीयता के मुद्दे: न्यूरोटेक्नोलॉजी का उपयोग संभावित रूप से किसी व्यक्ति के विचारों, भावनाओं और मानसिक स्थिति के बारे में अत्यधिक व्यक्तिगत एवं संवेदनशील जानकारी प्रकट कर सकता है।
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ मिलकर इसकी परिणामी क्षमता मानव गरिमा, विचार की स्वतंत्रता, स्वायत्तता, (मानसिक) गोपनीयता एवं भलाई की धारणाओं हेतु आसानी से खतरा बन सकती है।
  • संज्ञानात्मक वृद्धि और असमानता: संज्ञानात्मक क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से न्यूरोटेक्नोलोजी निष्पक्षता और समानता के बारे में चिंता उत्पन्न करती है।
    • यद्यपि ये प्रौद्योगिकियाँ केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों हेतु उपलब्ध होती हैं या मौजूदा सामाजिक असमानताओं को बढ़ा देती हैं, तो यह कुछ व्यक्तियों या समूहों के लिये अनुचित लाभ का कारण बन सकती हैं, जिससे समाज में "संज्ञानात्मक विभाजन" की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव: मस्तिष्क गतिविधि में अवांछनीय परिवर्तन करने या उस तक पहुँचने की क्षमता व्यक्तियों पर मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव के संबंध में नैतिक चिंताएँ उत्पन्न करती है।
    • उदाहरण के लिये गहरी मस्तिष्क उत्तेजना/डीप ब्रेन स्टिमुलेशन या न्यूरोफीडबैक तकनीकों के किसी व्यक्ति की मानसिक भलाई, व्यक्तिगत पहचान या स्वायत्तता पर अनपेक्षित परिणाम या दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS):

  • यह एक न्यूरोसर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें न्यूरोस्टिमुलेटर नामक चिकित्सा उपकरण का आरोपण शामिल है, जो मस्तिष्क के विशिष्ट क्षेत्रों में विद्युत आवेगों को वितरित करता है।
    • DBS लक्षित मस्तिष्क क्षेत्रों में विद्युत संकेतों को बदलकर कार्य करता है, साथ ही तंत्रिका गतिविधि को प्रभावी ढंग से "रीसेट" या सामान्य करता है।
  • DBS का उपयोग मुख्य रूप से न्यूरोलॉजिकल स्थितियों जैसे कि पार्किंसंस रोग, आवश्यक कंपकंपी, डायस्टोनिया और मिर्गी एवं जुनूनी-बाध्यकारी विकार (Obsessive-Compulsive Disorder- OCD) के कुछ मामलों के इलाज हेतु किया जाता है।
  • पार्किंसंस रोग एक पुराना, अपक्षयी स्नायविक विकार है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।

न्यूरोटेक्नोलॉजी से संबंधित नैतिक चिंताओं के निराकरण के उपाय: 

  • सूचित सहमति: रोगियों में जोखिमों, लाभों और न्यूरोलॉजिकल हस्तक्षेपों के संभावित परिणामों की व्यापक समझ सुनिश्चित करना आवश्यक है।
    • स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को रोगियों के साथ पारदर्शी और गहन चर्चा करनी चाहिये, उन्हें उपचार विकल्पों के बारे में सूचित निर्णय लेने हेतु आवश्यक जानकारी प्रदान करनी चाहिये।
  • नैतिक समीक्षा बोर्ड: स्वतंत्र और बहु-विषयक नैतिक समीक्षा बोर्ड स्थापित करने से न्यूरोलॉजी अनुसंधान और हस्तक्षेपों के नैतिक निहितार्थों का मूल्यांकन करने में मदद मिल सकती है।
    • इन बोर्डों में प्रस्तावित हस्तक्षेपों के संभावित लाभों, जोखिमों और नैतिक प्रभावों का आकलन करने में सक्षम स्वास्थ्य पेशेवरों, नैतिकतावादियों, कानूनी विशेषज्ञों को शामिल किया जाना चाहिये।
  • गोपनीयता बनाए रखना: रोगी की गोपनीयता की रक्षा करना न्यूरोलॉजी में सबसे प्रमुख है।
    • ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस और डीप ब्रेन स्टिमुलेशन जैसी तकनीकों की प्रगति के साथ ठोस गोपनीयता प्रोटोकॉल को लागू करना तथा यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि मरीज़ों की संवेदनशील जानकारी सुरक्षित हो।
  • समतावादी भावना और पहुँच: वित्तीय बाधाओं, भौगोलिक प्रतिबंधों अथवा सामाजिक असमानताओं के कारण न्यूरोलॉजिकल उपचार और हस्तक्षेपों तक पहुँच प्रतिबंधित हो सकती है।
    • समता की भावना को बढ़ावा देने के प्रयास किये जाने चाहिये और यह सुनिश्चित करना चाहिये कि ये हस्तक्षेप उन सभी व्यक्तियों के लिये सुलभ हों जो सामाजिक-आर्थिक स्थिति की परवाह किये बिना उनसे लाभान्वित हो सकते हैं। 

यूनेस्को (UNESCO):  

  • परिचय:  
    • यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है। इसका उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति स्थापित करना है।
      • इसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में है। 
  • सदस्य:  
    • संगठन में 193 सदस्य और 12 संबद्ध सदस्य हैं।
      • यूनेस्को ने घोषणा की है कि संयुक्त राज्य अमेरिका संगठन में फिर से शामिल होने और बकाया राशि में 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निपटान करने का इरादा रखता है।
    • संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के साथ यूनेस्को की सदस्यता का अधिकार रखती है।
      • जो राज्य संयुक्त राष्ट्र के सदस्य नहीं हैं, उन्हें सामान्य सम्मेलन के दो-तिहाई बहुमत से कार्यकारी बोर्ड की सिफारिश पर यूनेस्को में शामिल कराया जा सकता है। 
  • उद्देश्य: 
    • सभी के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उन्हें उम्र भर सीखने हेतु प्रेरित करना।
    • सतत् विकास के लिये नीति एवं विज्ञान संबंधी ज्ञान का उपयोग करना।
    • उभरती सामाजिक और नैतिक चुनौतियों को संबोधित करना।
    • सांस्कृतिक विविधता, परस्पर संवाद एवं शांति की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना।
    • संचार एवं सूचना के माध्यम से समावेशी ज्ञान से युक्त समाज का निर्माण करना।
    • विश्व के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे ‘अफ्रीका’ एवं ‘लैंगिक समानतापर ध्यान केंद्रित करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. यूनेस्को के मैकब्राइड आयोग के लक्ष्य और उद्देश्य क्या हैं? इस पर भारत की क्या स्थिति है? (2016)

स्रोत: डाउन टू अर्थ