मानव मस्तिष्क जैसी गणना | 28 Jan 2023

प्रिलिम्स के लिये:

मानव मस्तिष्क जैसी गणना, ब्रेन-लाइक कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क।

मेन्स के लिये:

मानव मस्तिष्क जैसी गणना, इसका तंत्र और महत्त्व।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में जवाहर लाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (JNCASR) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने ब्रेन-लाइक कंप्यूटिंग (मस्तिष्क की तरह गणना) या न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग (Brain-Like Computing or Neuromorphic Computing) के लिये कृत्रिम सिनैप्स (Artificial Synapse) विकसित किया है।

  • वैज्ञानिकों ने ब्रेन-लाइक कंप्यूटिंग क्षमता विकसित करने के लिये सर्वोच्च स्थिरता और पूरक धातु-ऑक्साइड-सेमीकंडक्टर (CMOS) अनुकूलता के साथ एक अर्द्धचालक सामग्री स्कैंडियम नाइट्राइड  (ScN) का उपयोग किया है। 

अध्ययन का महत्त्व

  • परिचय: 
    • न्यूरोमॉर्फिक हार्डवेयर के विकास का उद्देश्य एक जैविक सिनैप्स की ऐसी नकल करना है जो उत्तेजनाओं द्वारा उत्पन्न सिग्नल की निगरानी और उन्हें याद रख सके।
    • उन्होंने स्कैंडियम नाइट्राइड (ScN ) का उपयोग एक सिनैप्स की नकल करने वाले उपकरण को विकसित करने के लिये किया जो संकेत आवागमन (सिग्नल ट्रांसमिशन) को नियंत्रित करने के साथ ही उसे याद भी रखता है।

Neuromorphic-Computing

  • महत्त्व: 
    • यह आविष्कार अपेक्षाकृत कम ऊर्जा लागत पर स्थिर, CMOS-संगत ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक सिनैप्टिक कार्यात्मकताओं के लिये एक नई सामग्री प्रदान कर सकता है, इसलिये इसके औद्योगिक उत्पाद में प्रयुक्त होने की संभावित क्षमता है।
    • पारंपरिक कंप्यूटरों में स्मृति भंडारण और प्रसंस्करण इकाई (Memory Storage and Processing Units) भौतिक रूप से अलग होते हैं। परिणामस्वरूप  संचालन के दौरान इन इकाइयों के बीच डेटा स्थानांतरित करने में अत्यधिक ऊर्जा और समय लगता है।
    • इसके विपरीत मानव मस्तिष्क एक सर्वोच्च जैविक कंप्यूटर है जो एक सिनैप्स (दो न्यूरॉन्स के बीच संबंध) की उपस्थिति के कारण छोटा और अधिक कुशल होने के साथ ही प्रोसेसर एवं मेमोरी स्टोरेज़ यूनिट दोनों की भूमिका निभाता है। 
    •  कृत्रिम बुद्धिमत्ता के वर्तमान युग में मस्तिष्क जैसा कंप्यूटिंग दृष्टिकोण बढ़ती गणनात्मक (कम्प्यूटेशनल) आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता कर सकता है। 

मानव मस्तिष्क जैसी गणना: 

  • परिचय: 
    • मानव मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के कामकाज़ से प्रेरित होकर मस्तिष्क जैसी गणना वर्ष 1980 के दशक में शुरू की गई एक अवधारणा थी। 
    • न्यूरोमॉर्फिक कम्प्यूटिंग कंप्यूटर की डिज़ाइनिंग को संदर्भित करती है जो मानव मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र में पाए जाने वाले सिस्टम पर आधारित होते हैं।  
    • न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग डिवाइस सॉफ्टवेयर के प्लेसमेंट के लिये बड़ी जगह का उपयोग किये बिना मानव मस्तिष्क के रूप में कुशलता से काम कर सकते हैं।   
  • कार्य तंत्र: 
    • न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग के कार्य तंत्र में मानव मस्तिष्क के समान लाखों कृत्रिम न्यूरॉन्स से बने कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क (ANN) का उपयोग शामिल है। 
    • स्पाइकिंग न्यूरल नेटवर्क्स (SNN) की वास्तुकला के आधार पर ये न्यूरॉन्स परतों में एक दूसरे को सिग्नल पास करते हैं, इनपुट को इलेक्ट्रिक स्पाइक्स या सिग्नल के माध्यम से आउटपुट में परिवर्तित करते हैं।
      • यह इस मशीन को मानव मस्तिष्क के न्यूरो-जैविक नेटवर्क की नकल करने और दृश्य पहचान तथा डेटा व्याख्या जैसे कार्यों को कुशलता पूर्वक एवं प्रभावी ढंग से करने में मदद करता है।
  • महत्त्व: 
    • न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बेहतर तकनीक और तेज़ी से विकास के द्वार खोले हैं।
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग काफी समय से एक क्रांतिकारी अवधारणा रही है।
    • AI, (मशीन लर्निंग) की तकनीकों में से एक की मदद से न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग ने सूचना प्रसंस्करण की प्रक्रिया को उन्नत किया है और कंप्यूटरों को बेहतर और बड़ी तकनीक के साथ काम करने में सक्षम बनाया है।

स्रोत: पी.आई.बी.