नज़ूल भूमि | 14 Feb 2024

प्रिलिम्स के लिये:

विध्वंस अभियान, नज़ूल भूमि (स्थानांतरण) नियम, 1956, नज़ूल भूमि, विध्वंस अभियान, अतिक्रमण।

मेन्स के लिये:

नज़ूल भूमि, विध्वंस अभियानों के खिलाफ कानून, निर्णय और मामले।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले के हल्द्वानी में प्रशासन द्वारा कथित तौर पर नज़ूल भूमि पर एक मस्जिद और मदरसे की जगह पर अतिक्रमण हटाने के लिये विध्वंस अभियान (Demolition Drive) चलाने के बाद हिंसा भड़क गई।

  • प्रशासन के अनुसार, जिस संपत्ति पर दो संरचनाएँ स्थित हैं, वह नगर परिषद की नज़ूल भूमि के रूप में पंजीकृत है।

नज़ूल भूमि क्या है?

  • परिचय:
    • नज़ूल भूमि का स्वामित्व सरकार के पास है लेकिन अक्सर इसे सीधे राज्य संपत्ति के रूप में प्रशासित नहीं किया जाता है।
      • राज्य आम तौर पर ऐसी भूमि को किसी भी इकाई को 15 से 99 वर्ष के बीच एक निश्चित अवधि के लिये पट्टे पर आवंटित करता है।
    • यदि पट्टे की अवधि समाप्त हो रही है, तो कोई व्यक्ति स्थानीय विकास प्राधिकरण के राजस्व विभाग को एक लिखित आवेदन जमा करके पट्टे को नवीनीकृत करने के लिये प्राधिकरण से संपर्क कर सकता है।
    • सरकार पट्टे को नवीनीकृत करने या इसे रद्द करने- नज़ूल भूमि वापस लेने के लिये स्वतंत्र है।
      • भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों में, विभिन्न प्रयोजनों के लिये विभिन्न संस्थाओं को नज़ूल भूमि आवंटित की गई है।
  • नज़ूल भूमि का उद्भव:
    • ब्रिटिश शासन के दौरान, ब्रिटिशों का विरोध करने वाले राजा-रजवाड़े अक्सर उनके खिलाफ विद्रोह करते थे, जिसके कारण उनके और ब्रिटिश सेना के मध्य कई लड़ाइयाँ हुईं। युद्ध में इन राजाओं को परास्त करने पर अंग्रेज़ अक्सर उनसे उनकी ज़मीन छीन लेते थे।
    • भारत को आज़ादी मिलने के बाद अंग्रेज़ों ने इन ज़मीनों को खाली कर दिया। लेकिन राजाओं और राजघरानों के पास अक्सर पूर्व स्वामित्व साबित करने के लिये उचित दस्तावेज़ों की कमी होती थी, इन ज़मीनों को नज़ूल भूमि के रूप में चिह्नित किया गया था- जिसका स्वामित्व संबंधित राज्य सरकारों के पास था
  • नज़ूल भूमि का उद्देश्य:
    • सरकार आम तौर पर नज़ूल भूमि का उपयोग सार्वजनिक उद्देश्यों, जैसे- स्कूल, अस्पताल, ग्राम पंचायत भवन आदि के निर्माण के लिये करती है।
    • भारत के कई शहरों में नज़ूल भूमि के रूप में चिह्नित भूमि के बड़े हिस्से को हाउसिंग सोसाइटियों के लिये उपयोग किया जाता है, आमतौर पर पट्टे पर।
    • जबकि कई राज्यों ने नज़ूल भूमि के लिये नियम बनाने के उद्देश्य से सरकारी आदेश जारी किये हैं, नज़ूल भूमि (स्थानांतरण) नियम, 1956 वह कानून है जिसका उपयोग ज़्यादातर नज़ूल भूमि निर्णय के लिये किया जाता है।

अतिक्रमण क्या होता है?

  • परिचय:
    • अतिक्रमण का आशय किसी और की संपत्ति का अनधिकृत उपयोग अथवा कब्ज़ा करने से है। सामान्यतः परित्यक्त अथवा अप्रयुक्त संपत्तियों के रखरखाव में सक्रिय रूप से शामिल नहीं होने की स्थिति में संपत्ति स्वामी की संपत्ति पर अतिक्रमण कर लिया जाता है। संपत्ति के स्वामियों को ऐसे मामलों से संबंधित विधिक प्रक्रिया और अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना अत्यावश्यक है।
    • शहरी अतिक्रमण का तात्पर्य शहरी क्षेत्रों में भूमि अथवा संपत्ति के अनधिकृत कब्ज़े अथवा उपयोग से है।
    • इसमें उचित अनुमति अथवा कानूनी अधिकारों के बिना संपत्ति पर अवैध निर्माण, कब्ज़ा अथवा किसी अन्य प्रकार का कब्ज़ा शामिल हो सकता है।
      • भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 441 में भूमि अतिक्रमण को परिभाषित किया गया है जिसके अनुसार किसी अन्य के कब्ज़े की संपत्ति पर अपराध करने अथवा व्यक्ति को, जिसके कब्ज़े में ऐसी संपत्ति है, भयभीत करने अथवा विधिपूर्वक रूप से संपत्ति में प्रवेश करने की अनुमति के बिना किसी और की संपत्ति में अवैध रूप से प्रवेश करने का कार्य अतिक्रमण है।
  • अवैध अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया:
    • संबद्ध विषय में कोई भी कार्रवाई करने से पूर्व नगर निगम अधिकारियों द्वारा आमतौर पर अवैध अतिक्रमण में शामिल व्यक्तियों अथवा प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी करना आवश्यक होता है।
    • सर्वोच्च न्यायालय से साथ-साथ अन्य न्यायालयों ने ऐसे मामलों में उचित प्रक्रिया के महत्त्व पर ज़ोर दिया और अमूमन निर्णय किया कि किसी भी संपत्ति को विध्वंस करने से पूर्व संबद्ध व्यक्तियों को उचित नोटिस तथा सुनवाई का अवसर दिया जाना आवश्यक है।
      • वर्ष 1985 के ओल्गा टेलिस मामले में, आजीविका के अधिकार तथा झुग्गीवासियों के अधिकारों को आधार बनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय किया कि आजीविका का अधिकार जीवन के अधिकार का एक हिस्सा है।
    • यदि संबद्ध व्यक्ति द्वारा प्रत्युत्तर देने में विफल रहने अथवा संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं देने की दशा में नगर निगम अधिकारी संपत्ति को विध्वंस करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हैं।
    • अधिकारियों से आमतौर पर उल्लंघन की प्रकृति और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का अनुपालन करने के लिये की गई प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए आनुपातिक रूप से कार्य करने की अपेक्षा की जाती है।