प्राकृतिक गैस के विपणन में सुधार | 08 Oct 2020

प्रीलिम्स के लिये

भारत में प्राकृतिक गैस के उत्पादन की स्थिति

मेन्स के लिये

भारत में प्राकृतिक गैस के उत्पादन की स्थिति तथा इसके मूल्य निर्धारण से संबंधित विभिन्न विषय

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गैस आधारित अर्थव्‍यवस्‍था की दिशा में एक और महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए ‘प्राकृतिक गैस मार्केटिंग (विपणन) सुधारों’ को मंज़ूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु:

  • विशेषज्ञों के अनुसार, कुल उत्पादित प्राकृतिक गैस की 75-80 प्रतिशत मात्रा का मूल्य निर्धारण सरकार द्वारा प्रशासित मूल्य निर्धारण प्रणाली के तहत होता है। 
  • इस नीति का उद्देश्‍य पारदर्शी और प्रतिस्पर्द्धात्मक प्रक्रिया के माध्यम से प्राकृतिक गैस की बिक्री की बोली प्रक्रिया में संबंधित गैस उत्‍पादकों को भाग लेने की अनुमति देना है।
  • इस नीति का एक अन्य उद्देश्‍य ई-बिडिंग (e-bidding) के माध्यम से ठेकेदारों द्वारा की जाने वाली बिक्री हेतु दिशा-निर्देश जारी कर बाज़ार मूल्‍य का पता लगाने के लिये पारदर्शी और प्रतिस्पर्द्धात्मक तरीके से मानक कार्यपद्धति का निर्माण करना है।

संबंधित नीति के बारे में:

  • इस नीति के माध्यम से खुली, पारदर्शी और इलेक्‍ट्रॉनिक बोली को ध्‍यान में रखते हुए संबंधित कंपनियों को बोली प्रक्रिया में भाग लेने की इजाज़त दी गई है। 
  • यदि संबद्ध गैस उत्‍पादक ही इसमें भाग लेते हैं और कोई अन्‍य बोलीकर्त्ता नहीं है तो दोबारा बोली लगानी होगी।
  • नई नीति उन ब्लॉकों की क्षेत्र विकास योजनाओं (Field Development Plans- FDPs) को विपणन की स्वतंत्रता प्रदान करेगी, जिनमें उत्पादन साझाकरण अनुबंध (Production Sharing Contracts) के माध्यम से पहले से ही मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता है।
  • गैस उत्पादक कंपनी द्वारा खुद की गैस को खरीदने के मामले पर रोक जारी रहेगी ताकि इसमें किसी तरह का एकाधिकार प्राप्त न हो सके। हालांकि इन कंपनियों की अनुषंगी कंपनियों को गैस मूल्य निर्धारण के लिये होने वाली नीलामी में बोली लगाने की अनुमति होगी। 

ये सुधार पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा किये गए परिवर्तनकारी सुधारों पर आधारित हैं। प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में ये सुधार प्रभावी रूप से परिवर्तनकरी होंगे और निम्‍नलिखित क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्‍साहित करेंगे-

  1. उत्‍पादन से जुड़ी नीतियों की संपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणाली, प्राकृतिक गैस के बुनियादी ढाँचे और विपणन को अधिक पारदर्शी बनाया गया है जिसमें कारोबार को सुगम बनाने पर विशेष ध्‍यान दिया गया है।
  2. ये सुधार प्राकृतिक गैस के घरेलू उत्‍पादन में निवेश को बढ़ावा देकर और आयात निर्भरता को कम करके आत्‍मनिर्भर भारत के लिये काफी महत्त्वपूर्ण साबित होंगे।
  3. ये सुधार निवेश को प्रोत्‍साहित कर गैस आधारित अर्थव्‍यवस्‍था की ओर बढ़ने में मील का पत्‍थर साबित होंगे तथा बढ़े हुए गैस उत्‍पादन का उपभोग पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगा।
  4. ये सुधार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग से संबंधित क्षेत्रों सहित गैस उपभोग के क्षेत्र में रोज़गार के अवसर पैदा करने में मदद करेंगे।
  5. प्राकृतिक गैस का घरेलू उत्‍पादन शहरी गैस वितरण और संबंधित उद्योगों जैसे डाउनस्‍ट्रीम उद्योगों में निवेश बढ़ाने में मदद करेगा।

सरकार के प्रयास:

  • सरकार ने कारोबार को सुगम बनाने पर ध्‍यान केंद्रित करते हुए निवेश को आसान बनाने के लिये अपस्‍ट्रीम क्षेत्र में परिवर्तनकारी सुधारों की शुरुआत की है। ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (Open Acreage Licensing Policy- OALP) जो कि निवेशक चालित क्षेत्रफल आधारित नीलामी प्रक्रिया है,  ने देश में गैस ब्लॉकों के क्षेत्रफल में पर्याप्त वृद्धि की है। 
  • वर्ष 2010-2017 के बीच किसी ब्‍लॉक का आवंटन नहीं किया गया जिससे घरेलू उत्‍पादन की दीर्घकालिक व्‍यवहार्यता प्रभावित हुई। वर्ष 2017 के बाद से 105 अन्‍वेषण ब्‍लॉकों के अंतर्गत 1.6 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र आवंटित किया गया है। इससे आने वाले समय में घरेलू उत्‍पादन की स्थिरता सुनिश्चित होगी।
  • सरकार गैस क्षेत्र में अनेक सुधार लेकर आई है और इसके परिणामस्‍वरूप पूर्वी तट में 70,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया गया है। पूर्वी तट पर गैस उत्‍पादन में वृद्धि देश की बढ़ती हुई ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा कर आत्‍मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देगी।
  • फरवरी 2019 में सरकार ने अपस्‍ट्रीम क्षेत्र में बड़े सुधारों को लागू किया और अधिकतम उत्‍पादन पर ध्‍यान देकर सुधारवादी परिवर्तन किये।
  • घरेलू गैस उत्‍पादन में 28 फरवरी, 2019 के बाद मंज़ूर सभी अन्‍वेषण और क्षेत्र विकास योजनाओं को पूर्ण रूप से बाज़ार  मूल्‍य निर्धारित करने की आज़ादी है।

भारत में प्राकृतिक गैस के उत्पादन की वर्तमान स्थिति:

  • भारत वर्तमान में प्राकृतिक गैस का 84 MMSCMD (Million Metric Standard Cubic Meter per Day) उत्पादन करता है और लगभग इतनी ही मात्रा का आयात करता है।
  • इन नए सुधारों के माध्यम से प्राकृतिक गैस के स्थानीय उत्पादन में लगभग 40 MMSCMD की वृद्धि होगी।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस