प्राकृतिक पूंजी लेखा एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की मूल्यांकन परियोजना | 11 Jan 2021

चर्चा में क्यों?

प्राकृतिक पूंजी लेखा एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का मूल्यांकन (Natural Capital Accounting and Valuation of the Ecosystem Services) इंडिया फोरम -2021 का आयोजन सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) द्वारा किया जा रहा है।

  • MoSPI द्वारा प्राकृतिक पूंजी लेखा एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की मूल्यांकन परियोजना के तहत कई पहलें की गई हैं, जिसका उद्देश्य भारत में इकोसिस्टम अकाउंटिंग यानी पारिस्थितिक लेखांकन के सिद्धांत और व्यवहार को आगे बढ़ाना है।

प्रमुख बिंदु

परियोजना के विषय में:

  • यूरोपीय संघ (European Union) द्वारा वित्तपोषित NCAVES परियोजना को संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग (United Nations Statistics Division), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme) और जैव विविधता सम्मेलन (Convention of Biological Diversity) के सचिवालय द्वारा संयुक्त रूप से लागू किया गया है।
  • भारत इस परियोजना में भाग लेने वाले पाँच देशों  (ब्राज़ील, चीन, दक्षिण अफ्रीका और मैक्सिको) में शामिल है।
  • भारत में NCAVES परियोजना को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) और नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (National Remote Sensing Centre) के सहयोग से सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

प्राकृतिक पूंजी लेखा:

  • प्राकृतिक पूंजी लेखा (Natural Capital Accounting) एक अम्ब्रेला शब्द है जो प्राकृतिक पूंजी के स्टॉक और प्रवाह को मापने तथा रिपोर्ट करने के लिये एक व्यवस्थित तरीका प्रदान करता है।
    • प्राकृतिक पूंजी का आशय अक्षय और गैर-नवीकरणीय संसाधनों के भंडार से है जो लोगों के जीवन यापन के लिये बहुत उपयोगी होते हैं।
  • NCA के तहत व्यक्तिगत पर्यावरणीय संपत्ति या संसाधनों के जैविक और अजैविक जैसे- पानी, खनिज, ऊर्जा, लकड़ी, मछली आदि के लेखांकन के साथ-साथ पारिस्थितिक तंत्र परिसंपत्तियों, जैव विविधता तथा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का भौतिक एवं मौद्रिक दोनों रूप से लेखांकन किया जाता है।
  • जैसे किसी देश के राष्ट्रीय खातों के संकलन को सिस्टम ऑफ नेशनल अकाउंट (SNA) द्वारा निर्देशित किया जाता है, वैसे ही प्राकृतिक पूंजी लेखा हेतु पर्यावरण-आर्थिक लेखा (Environmental-Economic Accounting) प्रणाली को अपनाया जाता है।
    • पर्यावरण-आर्थिक लेखांकन प्रणाली पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के बीच की कड़ी को मापने के लिये एक रूपरेखा प्रदान करती है।
    • SEEA-सेंट्रल फ्रेमवर्क को फरवरी 2012 में संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकीय आयोग द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकीय मानक के रूप में अपनाया गया था।
    • यह लेखांकन प्रणाली पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के बीच संबंध को प्रत्यक्ष रूप से सामने लाती है जो आर्थिक गतिविधियों के पारंपरिक उपायों जैसे सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) के माध्यम से प्रकट नहीं हो पाते हैं।

पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाएँ:

  • पारिस्थितिकी तंत्र का एक भाग होने की वजह से मानव को जैव और अजैव घटकों से बहुत सारे लाभ प्राप्त होते हैं। इन लाभों को ही सामूहिक रूप से पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं के रूप में जाना जाता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
  • उपबंधित सेवाएँ: इसमें पारिस्थितिक तंत्र से प्राप्त होने वाले उत्पाद/कच्चा माल या ऊर्जा जैसे- खाद्य, पानी, दवाइयाँ आदि संसाधन शामिल हैं।
  • विनियमित सेवाएँ: इसमें ऐसी सेवाएँ शामिल हैं जो पारिस्थितिकी संतुलन को नियंत्रित करती हैं जैसे- वन, जो कि वायु की गुणवत्ता को शुद्ध और विनियमित करते हैं, मिट्टी के कटाव को रोकते हैं ग्रीनहाउस गैसों आदि को नियंत्रित करते हैं।
  • सहायक सेवाएँ: ये विभिन्न जीवों हेतु निवास स्थान प्रदान करते हैं और जैव विविधता, पोषण चक्र तथा अन्य सेवाओं को बनाए रखते हैं।
  • सांस्कृतिक सेवाएँ: इसमें मनोरंजन, सौंदर्य, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक सेवाएँ आदि शामिल हैं। अधिकांश प्राकृतिक तत्त्व जैसे कि परिदृश्य, पहाड़, गुफाएँ आदि का उपयोग सांस्कृतिक और कलात्मक उद्देश्यों के लिये किया जाता है।

लाभ:

  • इस परियोजना में भागीदारी से सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय को UN-SEEA फ्रेमवर्क के अनुरूप पर्यावरणीय खातों के संकलन और वर्ष 2018 से वार्षिक आधार पर अपने प्रकाशन "एनवीस्टैट्स इंडिया" (EnviStats India) में पर्यावरणीय खातों को जारी करने में मदद मिली है।
  • इनमें से कई खाते सामाजिक और आर्थिक विशेषताओं से निकटता से जुड़े हैं, जो कि उन्हें इस नीति का एक उपयोगी उपकरण बनाते हैं।
  • NCAVES परियोजना के तहत एक अन्य उपलब्धि भारत–EVL उपकरण का विकास है, जो कि अनिवार्य रूप से देश भर में किये गए लगभग 80 अध्ययनों पर आधारित देश के विभिन्न राज्यों में अनेक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के मूल्यों की तस्वीर पेश करने वाला एक उपकरण है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र लेखांकन पारिस्थितिकी तंत्रों की सीमा, चयनित संकेतकों के आधार पर उनकी स्थिति और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के प्रवाह के विषय में जानकारी प्रदान करता है।

स्रोत: पी.आई.बी.