भारत का पहला आनुवंशिक संसाधन बैंक | 17 Aug 2018

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय वन्यजीव आनुवंशिक संसाधन बैंक का उद्घाटन हैदराबाद, तेलंगाना में सेलुलर और मोलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) प्रयोगशाला के केंद्र में किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • यह भारत का पहला आनुवंशिक संसाधन बैंक है जहाँ आनुवंशिक सामग्री को भावी पीढ़ी के लिये संग्रहीत किया जाएगा।
  • इसका मुख्य उद्देश्य लुप्तप्राय और संरक्षित किये जाने योग्य जानवरों को संरक्षण प्रदान करना है।
  • यह ऊतक, शुक्राणु, अंडे और भ्रूण, आनुवंशिक सामग्री (DNA/RNA) का व्यवस्थित संग्रह और संरक्षण करेगा।
  • यह बैंक आनुवंशिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिये अत्याधुनिक उपकरणों से लैस है जिसका प्रयोग पशु प्रजातियों के विलुप्ति के मामले उनके पुनरुत्थान हेतु किया जा सकता है।
  • यह भारत में लुप्तप्राय जंगली पशु प्रजातियों के जीवित सेल, गैमेट्स और भ्रूण को क्रायोप्रिजर्व करेगा।
  • इस सुविधा को विकसित करने में सीसीएमबी शोधकर्त्ताओं का प्रमुख योगदान है।

लाकोनस (LaCONES) क्या है?

  • यह सीसीएमबी के अंतर्गत कार्य करने वाला अनुसंधान विभाग है। 
  • CCMB-LaCONES भारत की एकमात्र प्रयोगशाला है जिसने जंगली जानवरों के वीर्य और ओसाइट्स के संग्रह और क्रायोजेनिक प्रिजर्वेशन के तरीकों का विकास किया है तथा सफलतापूर्वक ब्लैकबक, स्पॉट हिरण और कबूतरों का पुनरुत्पादन किया है।

सीसीएमबी (CCMB)

  • यह आधुनिक जीवविज्ञान के अग्रगामी क्षेत्रों में शोध करने वाला एक प्रमुख अनुसंधान संगठन है।
  • इसकी स्थापना 01 अप्रैल, 1979 को हुई। 
  • अपनी स्थापना के समय सीसीएमबी क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला के रूप में की गई, किंतु बाद में CSIR द्वारा वर्ष 1978 में आधुनिक जीवविज्ञान के क्षेत्र में अग्रगामी एवं बहु-आयामी शोधकार्य के लिये इस केंद्र की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
  • वर्ष 1981-82 के दौरान सीसीएमबी को एक पूर्ण विकसित राष्ट्रीय प्रयोगशाला का दर्जा दिया गया। 

उदेश्य

  • इस अनुसंधान संगठन का उद्देश्य आधुनिक जीवविज्ञान के क्षेत्र में अग्रगामी एवं बहुआयामी शोधकार्य एवं उनके संभावित अनुप्रयोगों की खोज करना है।
  • आधुनिक जीवविज्ञान के अग्रणी क्षेत्र में लोगों को प्रशिक्षण प्रदान करना जिससे इस क्षेत्रों में विकास की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। 
  • इसके अंतर्गत ऐसी तकनीकों के बारे में अन्य संस्थानों के शोधकर्त्ताओं को अल्पकालिक प्रशिक्षण प्रदान करना शामिल है जो अन्यत्र कहीं भी उपलब्ध नहीं है।
  • जीवविज्ञान क्षेत्र के अंतर्गत अंतर्विषयी शोधकार्यों के लिये नई एवं आधुनिक तकनीकों हेतु देश में केंद्रीकृत सुविधा प्रदान करना।
  • इस बात को सुनिश्चित करना कि ये सुविधाएँ सुनियोजित, सुव्यवस्थित एवं प्रभावी हों, जिससे देश के अन्य संस्थानों एवं प्रयोगशालाओं के शोधकर्त्ताओं द्वारा इन्हें भरपूर उपयोग में लाया जा सके।