राष्ट्रीय जल नीति समिति | 13 Nov 2019

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय जल नीति

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय जल नीति से संबंधित विभिन्न मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने नई राष्ट्रीय जल नीति का मसौदा तैयार करने के लिये एक समिति का गठन किया है।

मुख्य बिंदु:

  • केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय जल नीति का मसौदा तैयार करने के लिये मिहिर शाह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है।
  • मिहिर शाह योजना आयोग के पूर्व सदस्य तथा जल संरक्षण क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं।
  • इस समिति में 10 मुख्य सदस्य होंगे तथा यह समिति अनुमानतः 6 महीनों में अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।
  • नई राष्ट्रीय जल नीति के माध्यम से जल शासन संरचना तथा उसके नियामक ढाँचे में महत्त्वपूर्ण बदलाव होंगे।
  • विशेष रूप से घरेलू और औद्योगिक क्षेत्रों में पानी की उपयोग क्षमता बढ़ाने के लिये ‘राष्ट्रीय जल उपयोग दक्षता ब्यूरो’ का गठन प्रस्तावित है।

राष्ट्रीय जल नीति

(National Water Policy):

  • स्वतंत्रता के बाद देश में तीन राष्ट्रीय जल नीतियों का निर्माण हुआ है।
  • पहली, दूसरी तथा तीसरी राष्ट्रीय जल नीति का निर्माण क्रमशः वर्ष 1987, 2002 और 2012 में हुआ था।
  • राष्ट्रीय जल नीति में जल को एक प्राकृतिक संसाधन मानते हुए जीवन, आजीविका, खाद्य सुरक्षा और निरंतर विकास का आधार माना गया है।

राष्ट्रीय जल नीति-2012 के प्रमुख बिंदु:

  • वर्ष 2012 की राष्ट्रीय जल नीति के प्रमुख नीतिगत नवाचारों में से एक एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन दृष्टिकोण की अवधारणा थी, जिसके अंतर्गत जल संसाधनों के नियोजन, विकास और प्रबंधन की इकाई के रूप में नदी बेसिन/उप-बेसिन को लिया गया था।
  • वर्ष 2012 की राष्ट्रीय जल नीति में नदी के एक भाग को पारिस्थितिकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये संरक्षित किये जाने का प्रावधान है तथा एक और प्रावधान के अनुसार गंगा नदी में वर्ष भर जल-स्तर को बनाए रखने के लिये एक स्थान पर पानी जमा करने से बचना चाहिये, जिससे नागरिकों को स्वच्छता और स्वास्थ्य की देखभाल के लिये पीने योग्य पानी की आपूर्ति हो सके।
  • वर्ष 2012 की राष्ट्रीय जल नीति में जल के अंतर्बेसिन स्थानांतरण का प्रयोग केवल उत्पादन बढ़ाने के लिये ही नहीं बल्कि मानवीय ज़रूरतों को पूरा करने तथा सामाजिक न्याय की प्राप्ति के लिये भी आवश्यक है।

स्रोत-द हिंदू