राष्ट्रीय लघु बचत कोष से भारतीय राज्यों के अलग होने को मंज़ूरी दी | 21 Jan 2017

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 1 अप्रैल, 2016 से अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, केरल और मध्य प्रदेश को छोडकर शेष सभी राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों (जिन संघ राज्यक्षेत्रों में विधानमंडल है) को “राष्ट्रीय लघु बचत कोष” (National Small Savings Fund - NSSF) से अलग होने की स्वीकृति प्रदान कर दी है| इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने भारतीय खाद्य निगम की खाद्य सब्सिडी संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये एनएसएसएफ द्वारा 45,000 करोड़ रुपए के ऋण को भी स्वीकृति प्रदान कर दी है|

इनका विवरण इस प्रकार है:

  • अरुणाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश और दिल्ली को छोड़कर शेष सभी राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों (जिन संघ राज्यक्षेत्रों में विधानमंडल है) को एनएसएसएफ के निवेश से बाहर कर दिया जाएगा| अरुणाचल प्रदेश को उसके राज्य क्षेत्र के अंतर्गत एनएसएसएफ द्वारा संगृहीत 100% ऋण दिया जाएगा, तथापि दिल्ली और मध्य प्रदेश को इसके संग्रहण का 50% ऋण उपलब्ध होगा|  
  • भविष्य में, वित्त मंत्री की स्वीकृति से एनएसएसएफ उन वस्तुओं पर निवेश करेगा जिन पर होने वाले व्यय को अंततः भारत सरकार द्वारा वहन किया जाता है और मूलधन व ब्याज का पुनर्भुगतान केन्द्रीय बजट से किया जाता है |

प्रमुख बिंदु 

  • एफसीआई, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और वित्त मंत्रालय एनएसएसएफ की ओर से ब्याज दर के पुनर्भुगतान व मूलधन एवं एफसीआई के ऋण के तौर-तरीकों को दो से पाँच वर्षों के अंतर्गत संभव बनाने के लिए क़ानूनी रूप से बाध्यकारी एक समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे| 
  • गौरतलब है कि एक बार अगर राज्यों को एनएसएसएफ के निवेश से बाहर कर दिया जाता है तो भारत सरकार के साथ एनएसएसएफ के निवेश योग्य धन में वृद्धि हो जाएगी|
  • वस्तुतः भारत सरकार के साथ एनएसएसएफ के ऋणों की बढ़ती उपलब्धता से भारत सरकार की बाज़ार उधारियों में कमी होने की सम्भावना है|
  • हालाँकि, इससे राज्यों की बाज़ार उधारियों में वृद्धि देखी जाएगी|
  • एनएसएसएफ के निवेश से राज्यों को बाहर करने तथा ऋण का विस्तार करने के निर्णय को कार्यान्वित करने से वहाँ कोई अतिरिक्त लागत नहीं करनी पड़ेगी| हालाँकि, इससे भारत सरकार के खाद्य बिल में कमी आने की अपेक्षा की जा रही है|
  • यद्यपि अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, केरल और मध्य प्रदेश एनएनएसएफ ऋणों का लाभ उठाना जारी रखेंगे तथापि 26 अन्य राज्य और पुदुच्चेरी (जो बाज़ार से उधारी लेने के योग्य है) ने एनएसएस से ऋण प्राप्ति को समाप्त करने को प्राथमिकता दी है| 


पृष्ठभूमि 

  • चौदहवे वित्त आयोग ने अनुशंसा की थी कि राज्य सरकारों को एनएसएसएफ के निवेश से बाहर रखा जाए| एनएनएसएफ के ऋणों से राज्य सरकारों पर अतिरिक्त भार पड़ता है क्योंकि इससे  बाज़ार के मूल्य अपेक्षाकृत कम हो जाते हैं |
  • 22 फरवरी, 2015 को हुई इसकी बैठक में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने यह स्वीकार किया कि इस प्रस्ताव की जाँच विभिन्न हितधारकों के परामर्श पर की जाएगी|
  • दरअसल, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, केरल और मध्य प्रदेश को छोड़कर अन्य राज्य सरकारों ने एनएसएसएफ के निवेश से बाहर रहने की इच्छा ज़ाहिर की है|

एनएसएसएफ,  भारतीय खाद्य निगम की खाद्य सब्सिडी संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अपने संग्रहणों के एक भाग का विस्तार भारतीय खाद्य संगठन तक करेगा| इस प्रकार, इससे एफसीआई को अपने ब्याज के मूल्य को कम करने में सहायता मिलेगी| वर्तमान में एफसीआई कैश क्रेडिट सीमा के माध्यम से 10.01% की ब्याज दर पर कार्यशील पूंजी ऋण तथा 9.40% की ब्याज दर पर अल्पकालिक ऋण लेता है, जबकि वर्तमान में एनएसएसएफ अपने ऋणों पर 8.8% की वार्षिक ब्याज दर आरोपित करता है |