राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन | 25 Aug 2021

प्रिलिम्स के लिये

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन

मेन्स के लिये

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन: अवसर और चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ (NMP) की शुरुआत की है। NMP के अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की मुख्य संपत्ति में 6 लाख करोड़ रुपए की कुल मुद्रीकरण क्षमता मौजूद है।

  • यह योजना प्रधानमंत्री की रणनीतिक विनिवेश नीति के अनुरूप है, जिसके तहत सरकार केवल कुछ ही विशिष्ट क्षेत्रों में उपस्थिति बनाए रखेगी और शेष को निजी क्षेत्र के लिये खोल दिया जाएगा।

National-Monetisation-Pipeline

प्रमुख बिंदु

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन

  • इसका उद्देश्य ब्राउनफील्ड परियोजनाओं में निजी क्षेत्र को शामिल करना और उन्हें राजस्व अधिकार हस्तांतरित करना है, हालाँकि इसके तहत परियोजनाओं के स्वामित्व का हस्तांतरण नहीं किया जाएगा, साथ ही इसके माध्यम से उत्पन्न पूंजी का उपयोग देश भर में बुनियादी अवसंरचनाओं के निर्माण के लिये किया जाएगा।
  • NMP का प्राथमिक कार्य मुद्रीकरण के लिये एक स्पष्ट ढाँचा प्रदान करना और संभावित निवेशकों के लिये मुद्रीकरण हेतु उपलब्ध संपत्ति की एक सूची तैयार करना है।
  • केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत स्थायी बुनियादी अवसंरचना के वित्तपोषण हेतु मौजूदा सार्वजनिक बुनियादी अवसंरचना परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण को एक प्रमुख साधन के रूप में मान्यता दी गई थी।
  • वर्तमान में इसके तहत केवल केंद्र सरकार के मंत्रालयों और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) की संपत्ति को ही शामिल किया गया है।
  • सरकार ने स्पष्ट किया है कि ब्राउनफील्ड संपत्तियाँ वे संपत्तियाँ हैं, जिन्हें सरकार द्वारा ‘जोखिम रहित’ माना गया है और इसलिये निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • सड़क, रेलवे और बिजली क्षेत्र की संपत्ति में मुद्रीकृत होने वाली संपत्ति के कुल अनुमानित मूल्य का 66% से अधिक शामिल होगा, इसके अलावा इसमें दूरसंचार, खनन, विमानन, बंदरगाह, प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइन, गोदाम और स्टेडियम भी शामिल हैं।
    • मूल्य के अनुसार वार्षिक चरणबद्धता के संदर्भ में चालू वित्त वर्ष में 0.88 लाख करोड़ रुपए के सांकेतिक मूल्य के साथ 15% परिसंपत्तियों को इसी वित्तीय वर्ष में मुद्रीकृत किया जाएगा।
  • ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ दिसंबर 2019 में घोषित 100 लाख करोड़ रुपए की ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ (NIP) के साथ-साथ क्रियान्वित की जाएगी।
    • मुद्रीकरण के माध्यम से जुटाई जाने वाली अनुमानित राशि ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ के तहत केंद्र के 43 लाख करोड़ रुपए के प्रस्तावित परिव्यय का लगभग 14% है।
    • ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं पर एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करेगी, जो रोज़गार पैदा करने, जीवनयापन में सुधार और सभी के लिये बुनियादी अवसंरचना तक समान पहुँच सुनिश्चित करने में मददगार होगी, जिससे विकास अधिक समावेशी हो सकेगा। इसमें मुख्यतः आर्थिक और सामाजिक बुनियादी अवसंरचना परियोजनाएँ शामिल हैं।
    • बुनियादी अवसंरचना विकास से संबंधित अन्य पहलों में ‘राज्यों के पूंजीगत व्यय हेतु विशेष सहायता योजना’ और औद्योगिक गलियारे’ आदि शामिल हैं।

मुद्रीकरण (Monetisation):

  • एक मुद्रीकरण लेन-देन में सरकार मूल रूप से अग्रिम धन, राजस्व हिस्सेदारी और परिसंपत्तियों में निवेश की प्रतिबद्धता के बदले में एक निर्दिष्ट लेन-देन अवधि के लिये निजी पार्टियों को राजस्व अधिकार हस्तांतरित करती है।
  • उदाहरण के लिये रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (Reits) और इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (Invits) सड़कों और बिजली क्षेत्रों में संपत्ति का मुद्रीकरण करने के लिये उपयोग की जाने वाली प्रमुख संरचनाएँ हैं।
    • ये स्टॉक एक्सचेंजों में भी सूचीबद्ध हैं, निवेशकों को द्वितीयक बाज़ारों के माध्यम से भी तरलता प्रदान करते हैं।
  • जबकि ये एक संरचित वित्तपोषण वाहन हैं, सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) के आधार पर अन्य मुद्रीकरण मॉडल में शामिल हैं:
    • ऑपरेट मेंटेन ट्रांसफर (OMT),
    • टोल ऑपरेट ट्रांसफर (TOT), 
    • संचालन, रखरखाव और विकास (OMD)।

ग्रीनफील्ड बनाम ब्राउनफील्ड निवेश

  • ग्रीनफील्ड:
    • यह एक विनिर्माण, कार्यालय या अन्य भौतिक कंपनी से संबंधित संरचना या संरचनाओं के समूह में उस क्षेत्र में निवेश को संदर्भित करता है जहाँ पहले कोई सुविधाएँ मौजूद नहीं हैं।
  • ब्राउनफील्ड निवेश:
    • जिन परियोजनाओं को संशोधित या उन्नत किया जाता है उन्हें ब्राउनफील्ड परियोजना कहा जाता है।
    • एक नई उत्पादन गतिविधि शुरू करने के लिये मौजूदा उत्पादन सुविधाओं को खरीदने या पट्टे पर देने के लिये इस शब्द का उपयोग किया जाता है।

संबंधित चुनौतियाँ:

  • विभिन्न संपत्तियों में पहचान योग्य राजस्व धाराओं का अभाव।
  • एयर इंडिया और BPCL समेत सरकारी कंपनियों में निजीकरण की धीमी रफ्तार।
    • इसके अलावा ट्रेनों में हाल ही में शुरू की गई PPP पहल में कम-से-कम उत्साहजनक बोलियों से यह संकेत मिलता है कि निजी निवेशकों की रुचि को आकर्षित करना इतना आसान नहीं है।
  • संपत्ति-विशिष्ट चुनौतियाँ:
    • गैस और पेट्रोलियम पाइपलाइन नेटवर्क में क्षमता उपयोग का निम्न स्तर।
    • विद्युत क्षेत्र की परिसंपत्तियों में विनियमित टैरिफ।
    • फोर लेन से नीचे के राष्ट्रीय राजमार्गों के लिये निवेशकों में कम दिलचस्पी।
    • उदाहरण के लिये कोंकण रेलवे में राज्य सरकारों सहित कई हितधारक हैं, जिनकी कंपनी में हिस्सेदारी है।

आगे की राह

  • क्रियान्वयन ही सफलता की कुंजी है: सरकार ने NMP ढाँचे में बुनियादी ढाँचे के विकास के कारण कई चुनौतियों का समाधान करने की कोशिश की है, योजना का क्रियान्वयन इसकी सफलता के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • विवाद निवारण तंत्र: इसके अलावा एक कुशल विवाद समाधान तंत्र की आवश्यकता है।
  • बहु-हितधारक दृष्टिकोण: बुनियादी ढाँचे की विस्तार योजना की सफलता अन्य हितधारकों संबंधी उनकी उचित भूमिका निभाने पर निर्भर करेगी।
    • इनमें राज्य सरकारें और उनके सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम व निजी क्षेत्र शामिल हैं।
    • इस संदर्भ में पंद्रहवें वित्त आयोग ने केंद्र और राज्यों के वित्तीय उत्तरदायित्व कानून की फिर से जाँच करने के लिये एक उच्चाधिकार प्राप्त अंतर-सरकारी समूह की स्थापना की सिफारिश की है।

स्रोत: पीआईबी