राष्ट्रीय प्रवासन सर्वेक्षण (2026–27) | 15 Nov 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) जुलाई 2026 से जून 2027 तक एक वर्ष का राष्ट्रीय प्रवासन सर्वेक्षण आयोजित करेगा, जो लगभग दो दशकों में प्रवासन का सबसे व्यापक अध्ययन होगा।

राष्ट्रीय प्रवासन सर्वेक्षण (2026-27) क्या है?

  • परिचय: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण ढाँचे के अंतर्गत आयोजित राष्ट्रीय प्रवासन सर्वेक्षण, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के दुर्गम गाँवों को छोड़कर लगभग सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करेगा।
    • सर्वेक्षण का उद्देश्य प्रमुख प्रवासन संकेतकों पर विश्वसनीय अनुमान प्रस्तुत करना है, जिसमें समग्र प्रवासन दर, बाह्य प्रवासन स्तर, अल्पकालिक प्रवासन पैटर्न, लोगों के स्थानांतरण के कारण तथा विभिन्न क्षेत्रों में शुद्ध प्रवासन संतुलन शामिल हैं।
  • प्रवासन सर्वेक्षण की आवश्यकता: भारत को एक नए प्रवासन सर्वेक्षण की आवश्यकता है, क्योंकि पिछला NSS विस्तृत प्रवासन सर्वेक्षण (वर्ष 2007-08 में NSS का 64वाँ दौर) पुराना हो चुका है।
    • गतिशीलता में बड़े बदलावों के साथ, विशेष रूप से कोविड-19 के बाद आवास, रोज़गार, कल्याण पोर्टेबिलिटी और क्षेत्रीय विकास की योजना बनाने के लिये नए डेटा की आवश्यकता है।
  • वर्ष 2026 सर्वेक्षण की नई विशेषताएँ: अल्पकालिक प्रवास में अब 15 दिन से छह महीने तक का प्रवास शामिल होगा, जो पहले एक से छह महीने की परिभाषा के स्थान पर होगा।
    • सर्वेक्षण में पूरे परिवारों के बजाय व्यक्तिगत प्रवासियों पर नज़र रखी जाएगी तथा इसमें गतिशीलता के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने के लिये आय में परिवर्तन, सेवाओं तक पहुँच, जीवनयापन की स्थिति और भविष्य की प्रवासन योजनाओं पर नए प्रश्न जोड़े गए हैं।
  • भारत में पिछले प्रवासन सर्वेक्षण: NSS द्वारा 9वें दौर (1955) से प्रवासन सर्वेक्षण किये जा रहे हैं, जिसमें 18वें (1963-64) और 64वें (2007-08) जैसे समर्पित दौरों में प्रवासन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी एकत्र की गई।

राष्ट्रीय प्रवासन सर्वेक्षण का महत्त्व (2026-27)

  • प्रवासन हॉटस्पॉट और रोज़गार-संबंधी गतिशीलता गलियारों की पहचान करने में मदद करता है।
  • आवास, परिवहन और कौशल विकास के लिये लक्षित नीतियों को सक्षम बनाता है।
  • शहरी विस्तार और श्रम बाज़ार की ज़रूरतों के लिये योजना बनाने में सहायता करता है।
  • प्रवासियों के लिये सामाजिक सुरक्षा योजनाओं हेतु अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
  • प्रवासन-विशिष्ट सर्वेक्षणों में लंबे अंतराल के बाद भारत के सामाजिक-आर्थिक डेटा ढाँचे को मज़बूत करता है।

प्रवासन क्या है?

  • प्रवासन: अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) की परिभाषा के अनुसार, प्रवासी (migrant) वह व्यक्ति है जो अपने सामान्य निवास स्थान को छोड़कर अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पार या किसी देश के भीतर स्थानांतरित हो रहा है या स्थानांतरित हो चुका है।
    • राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) की परिभाषा के अनुसार, प्रवासन वह स्थानांतरण है जिसमें व्यक्ति अपना सामान्य निवास स्थान (UPR) बदल देता है। यदि किसी व्यक्ति का पूर्व UPR उसके मौजूदा सर्वेक्षण/गणना स्थान से अलग हो तो उसे प्रवासी की श्रेणी में रखा जाता है।
  • भारत में प्रवासन: ‘भारत में प्रवासन (2020–2021)’ रिपोर्ट में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) 2020–21 से एकत्रित आँकड़ों पर आधारित विभिन्न प्रवासन-संबंधी संकेतकों के अनुमान प्रस्तुत किये गए हैं।
    • रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल प्रवास दर 28.9% रही, जिसमें ग्रामीण और शहरी—दोनों क्षेत्रों में महिलाओं का प्रवासन पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक पाया गया।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में 48% महिलाएँ और 5.9% पुरुष प्रवासी थे, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह दर क्रमशः 47.8% और 22.5% रही।
    • प्रवास के कारणों में भी स्पष्ट अंतर दिखा: 67% पुरुष रोज़गार या काम की तलाश में प्रवास करते हैं, जबकि 87% महिलाएँ मुख्यतः विवाह के कारण स्थानांतरित होती हैं।
  • राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) के अंतर्गत प्रवासन की प्रमुख अवधारणाएँ
    • सामान्य निवास स्थान (UPR): वह स्थान (गाँव या शहर) जहाँ कोई व्यक्ति लगातार छह महीने या उससे अधिक समय तक रहता है।
    • प्रवास दर: एक विशिष्ट जनसंख्या श्रेणी (ग्रामीण, शहरी, पुरुष, महिला, आदि) के भीतर प्रवासियों का प्रतिशत
    • शुद्ध प्रवासन: किसी भी क्षेत्र के लिये अंतर्प्रवासन और बहिर्प्रवासन के बीच का अंतर
    • अल्पकालिक प्रवासी: ऐसा व्यक्ति जिसने अपना UPR नहीं बदला है, लेकिन रोज़गार या नौकरी की तलाश में पिछले 365 दिनों में 15 दिनों से लेकर 6 महीने से कम समय के लिये घर से दूर रहा हो।
    • बाह्य-प्रवासी: परिवार का कोई पूर्व सदस्य जो अतीत में किसी भी समय किसी अन्य गाँव या शहर में चला गया हो और सर्वेक्षण के समय अभी भी जीवित हो।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत की शहरी नियोजन और श्रम नीति के लिये नए राष्ट्रीय प्रवासन सर्वेक्षण के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. राष्ट्रीय प्रवासन सर्वेक्षण (2026-27) क्या है?
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण ढाँचे के अंतर्गत आयोजित इस सर्वेक्षण का उद्देश्य प्रमुख प्रवासन संकेतकों पर विश्वसनीय अनुमान प्रस्तुत करना है, जिनमें समग्र प्रवासन दर, बाहरी प्रवासन स्तर और अल्पकालिक प्रवासन पैटर्न शामिल हैं।

2. पूरे परिवारों के बजाय व्यक्तिगत प्रवासियों पर नज़र क्यों रखी जाना चाहिये?
व्यक्तिगत स्तर पर ट्रैकिंग करने से परिवार-स्तर के डेटा में होने वाले एकत्रीकरण पूर्वाग्रह में कमी आती है, चक्रीय और मौसमी बदलाव बेहतर दिखाई देते हैं और आय, सेवाओं की पहुँच तथा भविष्य की प्रवासन योजनाओं पर व्यक्ति-आधारित सटीक जानकारी मिलती है, जो लक्षित नीतियाँ बनाने में सहायक होती हैं।

3. यह सर्वेक्षण कल्याण योजनाओं की पहुँच और शहरी नियोजन से जुड़ी नीतियों को किस प्रकार दिशा प्रदान करेगा?
प्रवासन के प्रमुख बिंदुओं, अवधि और प्रवास के कारणों की पहचान करके यह सर्वेक्षण प्रवासी प्रवाह के अनुरूप लक्षित आवास, परिवहन, कौशल उपायों (PDS, स्वास्थ्य, शिक्षा) को सक्षम बनाता है।



UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

 निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

1. हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र के सभी देशों ने अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के लिये अभी तक की पहली संविदा, 'सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवास के लिये वैश्विक संविदा [ग्लोबल कॉम्पैक्ट पर सेफ, ऑर्डरली एंड रेगुलर माइग्रेशन (जी.सी.एम.)]' अपनाई है।

2. जी.सी.एम. में अधिकथित उद्देश्य और प्रतिबद्धताएँ यू.एन. सदस्य देशों पर बाध्यकारी हैं।

3. जी.सी.एम. अपने उद्देश्यों और प्रतिबद्धताओं के अंतर्गत आंतरिक प्रवास या आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिये भी कार्य करती हैं।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

(a) केवल एक

(c) सभी तीन

(b) केवल दो

(d) कोई भी नहीं

मेन्स;

प्रश्न. पिछले चार दशकों में भारत के अंदर और बाहर श्रम प्रवास के रुझानों में बदलाव पर चर्चा कीजिये। (2015)