राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति | 05 Feb 2020

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2020-21 के बजट में की गई घोषणा के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (National Logistics Policy) जारी की जाएगी।

मुख्य बिंदु:

  • प्रस्तावित नई नीति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और प्रमुख नियामकों की भूमिकाओं को स्पष्ट किया जाएगा।
  • भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र 20 से अधिक सरकारी एजेंसियों, 37 निर्यात संवर्द्धन परिषदों (Export Promotion Councils), 500 प्रमाणपत्रों (Certifications), 10000 उत्पादों (Commodities) और 160 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के बाज़ार के साथ अत्यधिक जटिल एवं विभाजित है।
  • इसके अलावा इसमें 12 मिलियन रोज़गार आधार (Employment Base), 200 शिपिंग एजेंसियाँ (Shipping Agencies), 36 लॉजिस्टिक्स सेवाएँ (Logistics Services), 129 अंतर्देशीय कंटेनर डिपोट्स (Inland Container Depots-ICDs), 168 कंटेनर फ्रेट स्टेशन (Container Freight Stations- CFSs), 50 आईटी इकोसिस्टम (IT Ecosystems), बैंक और बीमा एजेंसियाँ भी शामिल हैं।
  • भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र 22 मिलियन से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान करता है, अत: इस क्षेत्र में सुधार करने से अप्रत्यक्ष लॉजिस्टिक्स लागत में 10% की कमी आएगी जिससे निर्यात में 5 से 8% की वृद्धि होगी।
  • अगले दो वर्षों में भारतीय लॉजिस्टिक्स बाजार जो कि वर्तमान में 160 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, बढ़कर 215 बिलियन अमेरीकी डॉलर होने की संभावना है।
  • वर्तमान समय में लॉजिस्टिक्स लागत जो कि मौजूदा जीडीपी की 14% है, को वर्ष 2022 तक घटाकर जीडीपी के 10% से कम करने का लक्ष्य रखा गया है।

लॉजिस्टिक्स नीति की आवश्यकता क्यों?

  • वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा बनाई गई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति से भारत की व्यापार प्रतिस्पर्द्धा में सुधार होगा साथ ही, वैश्विक रैंकिंग में भारत के प्रदर्शन में सुधार से भारत को वैश्विक स्तर पर लॉजिस्टिक्स केंद्र बनाने में यह नीति मददगार साबित होगी।
  • इस नीति को अपनाने से सिंगल विंडो इलेक्ट्रॉनिक लॉजिस्टिक्स बाजार के गठन और रोज़गार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (Micro, Small and Medium Enterprises- MSME) को और अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लिये एक नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति बनाने की आवश्यकता है ।

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के लिये बजट वर्ष 2020- 21 में की गई घोषणाएँ-

  • लॉजिस्टिक्स नीति के बेहतर क्रियान्वयन और परिवहन लागत को कम करने के लिये जीएसटी को अपनाया गया है जिसने परिवहन लागत को 20% कम किया है।
  • सभी वेयरहाउस की जियो-टैगिंग की जाएगी।
  • मछली और नाशपाती के लिये कोल्ड स्टोरेज चेन को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (Warehousing Development and Regulatory Authority- WDRA) संबंधी मानदंडों को बेहतर तरीके से अपनाने के लिये भंडारण को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • भारतीय खाद्य निगम, केंद्रीय भंडारण निगम की मदद से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership-PPP) मॉडल पर ब्लॉक/तालुक स्तर पर वेयरहाउसिंग स्थापित करने के लिये विजिबिलिटी गैप फंडिंग (Viability Gap Funding- VGF) की सुविधा प्रदान की जाएगी।
  • बीजों को ग्राम भंडारण योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी। इस उद्देश्य के लिये मुद्रा ऋण और नाबार्ड के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
  • कृषि ट्रेनों को भी PPP Model पर चलाया जाएगा।
  • जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों की शीघ्र आवाजाही के लिये रेफ्रिजरेटेड वैन को पैसेंजर ट्रेनों के साथ जोड़ा जाएगा।
  • शीघ्र खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को वायुमार्ग के माध्यम से ले जाने के लिये ‘कृषि उड़ान योजना ‘ (Krishi Udan scheme) को बढ़ावा दिया जाएगा/लॉन्च किया जाएगा, जिसके चलते विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र और आदिवासी क्षेत्र लाभान्वित होंगे। यह निश्चित रूप से उत्पादन से उपभोग तक खाद्य पदार्थों की आवाजाही में मददगार साबित होगा।
  • जैविक उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिये राष्ट्रीय जैविक ई-बाज़ार विकसित किया जाएगा।
  • बागवानी को बढ़ावा देने के लिये क्लस्टर दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। इसके लिये ‘एक उत्पाद एक जिले ‘ को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • वेयरहाउसिंग के वित्तपोषण को बढ़ावा दिया जाएगा और ई-राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (National Agriculture Market) के साथ इसके एकीकरण को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • उदय योजना के तहत 100 और हवाई अड्डे स्थापित किये जाएंगे।
  • वर्तमान के 600 हवाई जहाज़ो में और 1200 हवाई जहाज़ो को शामिल किया जाएगा।
  • वर्ष 2020-21 के संघीय बजट में परिवहन क्षेत्र के लिये 7 लाख करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
  • अंतर्देशीय जलमार्ग, विशेष रूप से जल विकास मार्ग-1 (NW1) को शुरू किया जाएगा।
  • वर्ष 2022 तक असम में धुबरी से सदिया तक अंतर्देशीय जलमार्ग का विस्तार किया जाएगा।
  • अंतर्देशीय जलमार्ग को अर्थ-गंगा (Arth-Ganga) नामक कार्यक्रम के तहत बढ़ावा दिया जाएगा अर्थात, जिसमें नदी तट के क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना शामिल हैं।
  • दिल्ली-मुंबई और चेन्नई-बंगलूरु एक्सप्रेस हाई वे वर्ष 2023 तक चालू किये जाएंगे।
  • 6000 किलोमीटर से अधिक के 12 राजमार्गों के निर्माण के लिये वर्ष 2024 तक फंड की पेशकश की जाएगी।
  • एक और प्रमुख बंदरगाह के निगमीकरण के लिये शासकीय संरचना प्रस्तुत की जाएगी।
  • 100 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन शुरू की गई है जिसमें 6500 से अधिक बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन में सड़कों के लिये 19.6 लाख करोड़ रुपए, रेलवे के लिये 13.69 लाख करोड़ रुपये, हवाई अड्डों के लिये 14.3 लाख करोड़ रुपए और बंदरगाहों के लिये रुपए 1.01 लाख रुपए की परियोजनाएँ शामिल हैं।

स्रोत : पीआईबी