राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022 | 06 Jan 2023

प्रिलिम्स के लिये:

भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी, सुदूर संवेदन/रिमोट सेंसिंग, SDG।

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022, इसका महत्त्व और संबंधित चिंताएँ 

चर्चा में क्यों

भारत को वैश्विक भू-स्थानिक क्षेत्र में एक वैश्विक नेतृत्त्वकर्त्ता के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (NGP) 2022 की घोषणा की है।

  • वर्ष 2025 तक 12.8% की विकास दर से भारत की भू-स्थानिक अर्थव्यवस्था के 63,000 करोड़ रुपए के आँकड़े को पार करने के साथ ही इसकी सहायता से 10 लाख से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान किये जाने की उम्मीद है। 

National-policy-2022

पृष्ठभूमि: 

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वर्ष 2021 में मानचित्र सहित भू-स्थानिक डेटा एकत्र करने और उनकी प्रस्तुति के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये गए थे।
  • जबकि दिशा-निर्देशों ने भू-स्थानिक डेटा एकत्रीकरण/उत्पादन/पहुँच को उदार बनाकर भू-स्थानिक क्षेत्र को नियंत्रण मुक्त कर दिया है, नीति 2022 भू-स्थानिक पारितंत्र के व्यापक विकास के लिये एक व्यापक रूपरेखा स्थापित करने का लक्ष्य रखती है।

राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022: 

  • परिचय: 
    • यह भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी पर आधारित एक नागरिक-केंद्रित नीति है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय विकास, आर्थिक समृद्धि और एक संपन्न सूचना अर्थव्यवस्था को संवर्द्धित करने के लिये भू-स्थानिक क्षेत्र को मज़बूत करना है।
    • इस नीति का लक्ष्य वर्ष 2030 तक उच्च सटीकता वाले डिजिटल एलिवेशन मॉडल (DEM) के साथ उच्च रिज़ॉल्यूशन स्थलाकृतिक सर्वेक्षण और मानचित्रण सुनिश्चित करना है।
  • लक्ष्य एवं उद्देश्य:
    • यह उच्च स्तरीय नवाचार पारितंत्र के साथ भारत को एक वैश्विक भू-स्थानिक नेता के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखता है।
    • एक मज़बूत राष्ट्रीय ढाँचे का निर्माण करना, जिसका उपयोग देश डिजिटल अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ने और सार्वजनिक सेवाओं के बेहतर वितरण के लिये कर सकता है।
    • भू-स्थानिक अवसंरचना, भू-स्थानिक कौशल और ज्ञान, मानक, भू-स्थानिक व्यवसाय विकसित करना।
    • भू-स्थानिक सूचना के सृजन और प्रबंधन हेतु नवाचार को बढ़ावा देना तथा राष्ट्रीय एवं उप-राष्ट्रीय व्यवस्था को मज़बूत करना।
  • संस्थागत ढाँचा: 
    • राष्ट्रीय स्तर पर भू-स्थानिक डेटा संवर्द्धन और विकास समिति (Geospatial Data Promotion and Development Committee- GDPDC) भू-स्थानिक क्षेत्र को बढ़ावा देने से संबंधित रणनीतियों को तैयार करने एवं लागू करने हेतु शीर्ष निकाय होगी।
    • वर्ष 2021 में गठित GDPDC वर्ष 2006 में गठित राष्ट्रीय स्थानिक डेटा समिति (National Spatial Data Committee- NSDC) को प्रतिस्थापित और इसके कार्यों एवं  शक्तियों को समाहित करेगा।
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग सरकार का नोडल विभाग बना रहेगा तथा GDPDC भू-स्थानिक प्रशासन से संबंधित अपने कार्यों के निर्वहन में DST को उपयुक्त सिफारिशें करेगा।
  • विज़न को साकार करने हेतु नीतिगत निर्णय: 
    • वर्ष 2025:
      • भू-स्थानिक क्षेत्रों के उदारीकरण और मूल्यवर्द्धित सेवाओं के साथ संवर्द्धित व्यावसायीकरण के लिये डेटा के लोकतंत्रीकरण का समर्थन करने वाली एक सक्षम नीति एवं कानूनी ढाँचा तैयार किया जाए।
    • वर्ष 2030:
      • उच्च विभेदन स्थलाकृतिक सर्वेक्षण और मानचित्रण (शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिये 5-10 सेमी. एवं जंगलों व बंजर भूमि हेतु 50-100 सेमी.)।
    • वर्ष 2035:
      • ब्लू इकॉनमी का समर्थन करने के लिये उच्च विभेदन/सटीकता युक्त अंतर्देशीय जल और उथले/गहरे समुद्र की सतह स्थलाकृति का बाथिमेट्रिक भू-स्थानिक डेटा।
      • प्रमुख शहरों और कस्बों का नेशनल डिजिटल ट्विन (Twin)। डिजिटल ट्विन एक भौतिक संपत्ति, प्रक्रिया या सेवा की एक आभासी प्रतिकृति है जो नई डिजिटल क्रांति के केंद्र में है।
        • नेशनल डिजिटल ट्विन (Twin) स्मार्ट, डायनेमिक, कनेक्टेड डिजिटल ट्विन्स का एक इकोसिस्टम होगा, जो बेहतर निर्णय लेने की सुविधा के लिये सुरक्षित और इंटरऑपरेबल (Interoperable) डेटा शेयरिंग द्वारा सक्षम होगा।
  • महत्त्व:
    • भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और डेटा सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिये परिवर्तन एजेंटों के रूप में कार्य कर सकते हैं।
    • यह स्टार्टअप को बढ़ावा देने और बाह्य देशों पर निर्भरता को कम करने के लिये एक जीवंत पहल है।
    • सैन्य संचालन, आपदा और आपातकालीन प्रबंधन, पर्यावरण निगरानी, ​​​​भूमि एवं शहर के लिये योजना जैसे महत्त्वपूर्ण डेटा प्रबंधन अनुप्रयोगों हेतु भू-स्थानिक डेटा आवृत्तियों के व्यापक स्पेक्ट्रम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

संबंधित चिंताएँ:

  • जटिल डेटा:
    • भू-स्थानिक डेटा को जटिल संबंधों वाले डेटा विषय के रूप में उनके मध्य वर्णित किया जा सकता है। 
    • ऐसा डेटा जिसे अभी पूरी तरह से समझा और संबोधित किया जाना बाकी है, को सुरक्षित रखने में बड़ी चुनौतियाँ और अड़चनें आती हैं।
  • सुरक्षा चिंताएँ:
    • हालाँकि भू-स्थानिक डेटा तक पहुँच को प्रबंधित करने और साझा करने के लिये कई प्रकार के मॉडल एवं तकनीकें उपलब्ध हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को दूर करने पर बहुत कम ध्यान दिया गया है, जैसे- पहुँच नियंत्रण (Access Control), प्रतिभूतियाँ तथा गोपनीय नीतियाँ एवं विशेष रूप से रक्षा क्षेत्र की त्रि-सेवाओं (Tri-Services) में सुरक्षित अंतर्संचालनीयता (Interoperable) GIS अनुप्रयोगों का विकास।
  • डेटा का दुरुपयोग और गोपनीयता का उल्लंघन:
    • यदि विभिन्न रिपॉजिटरी से डेटा को एकीकृत करके भू-स्थानिक डेटा को पूरे निकाय को उपलब्ध कराया जाएगा, तो संभावित डेटा के दुरुपयोग और गोपनीयता के उल्लंघन की गंभीर संभावनाएँ हैं।
    • रक्षा अनुप्रयोगों के संदर्भ में एक प्रमुख चिंता का विषय यह है कि "स्वामित्त्व निर्माण जैसी संवेदनशील जानकारी भी प्रकट हो सकती है या महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के बारे में जानकारी सार्वजनिक रूप से सुलभ हो सकती है।

भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी:

  • भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी में भौगोलिक मानचित्रण और विश्लेषण हेतु भौगोलिक सूचना प्रणाली (Geographic Information System- GIS), ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (Global Positioning System- GPS) और रिमोट सेंसिंग जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
  • ये उपकरण वस्तुओं, घटनाओं और परिघटनाओं (पृथ्वी पर उनकी भौगोलिक स्थिति के अनुसार अनुक्रमित जियोटैग) के बारे में स्थानिक जानकारी प्रदान करते हैं। किसी स्थान का डेटा स्थिर (Static) या गतिशील (Dynamic) हो सकता है।
  • किसी स्थान के स्थिर डेटा/स्टेटिक लोकेशन डेटा (Static Location Data) में सड़क की स्थिति, भूकंप की घटना या किसी विशेष क्षेत्र में बच्चों में कुपोषण की स्थिति के बारे में जानकारी शामिल होती है, जबकि किसी स्थान के गतिशील डेटा /डायनेमिक लोकेशन डेटा (Dynamic Location Data) में संचालित वाहन या पैदल यात्री, संक्रामक बीमारी के प्रसार आदि से संबंधित डेटा शामिल होता है।
  • बड़ी मात्रा में डेटा में स्थानिक प्रतिरूप की पहचान के लिये इंटेलिजेंस मैप्स  (Intelligent Maps) निर्मित करने हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है।
  • यह प्रौद्योगिकी दुर्लभ संसाधनों के महत्त्व और उनकी प्राथमिकता के आधार पर निर्णय लेने में मददगार हो सकती है। 

आगे की राह 

  • आपदा नियोजन परिदृश्य में भाग लेने वाले व्यक्तियों और संगठनों की संख्या को देखते हुए सुरक्षा उपायों को यह सुनिश्चित करने के लिये लागू किया जाना चाहिये कि उपयोगकर्त्ताओं एवं एप्स के पास केवल उसी डेटा तक पहुँच हो जिसकी उन्हें आवश्यकता है।
  • राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022 में देश के राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों हेतु सुरक्षित एक स्पष्ट रोडमैप और SOP तैयार किया जाना चाहिये, चाहे वह तीनों सैन्य सेवा, अर्द्धसैनिक या महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा क्षेत्र हों।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ योजना का/के उद्देश्य है/हैं?  (2018)

  1. भारत की अपनी इंटरनेट कंपनियों का गठन, जैसा कि चीन ने किया। 
  2. एक नीतिगत ढाँचे की स्थापना जिससे बड़े आँकड़े एकत्रित करने वाली समुद्रपारीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा सके कि वे हमारी राष्ट्रीय भौगोलिक सीमाओं के अंदर अपने बड़े डेटा केंद्रों की स्थापना करें। 
  3. हमारे अनेक गाँवों को इंटरनेट से जोड़ना तथा बहुत से विद्यालयों, सार्वजनिक स्थलों एवं प्रमुख पर्यटक केंद्रों में वाई-फाई की सुविधा प्रदान करना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b) 

स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस