राष्ट्रीय शिक्षा नीति | 08 Nov 2019

प्रीलिम्स के लिये:

शिक्षा का अधिकार अधिनियम, NTP, RIAP

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुख्य प्रावधान और संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy- NEP) के मसौदे में 12वीं कक्षा तक शिक्षा का अधिकार (Right to Education- RTE) अधिनियम को बढ़ाने के प्रावधान में संशोधन और तीन वर्ष की प्रारंभिक शिक्षा को भी शामिल किया गया है।

  • अंतिम नीति दस्तावेज़ में कहा गया है कि RTE अधिनियम के विस्तार पर विचार करने का आश्वासन दिया गया। नई शिक्षा नीति RTE अधिनियम के कवरेज को कक्षा 12 तक बढ़ाने के प्रावधान में संशोधन किया गया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति मसौदा:

  • NEP का मसौदा विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा तैयार किया गया जिसका नेतृत्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन द्वारा किया गया।
  • इस मसौदे को सार्वजनिक फीडबैक के लिये ऑनलाइन अपलोड किया गया था। इससे सरकार को लगभग 2 लाख सुझाव प्राप्त हुए थे, अंत में इसे कैबिनेट की मंज़ूरी के लिये रखा गया है।
  • इस मसौदे में पढ़ने (Reading) और गणितीय कौशल (Mathematics Skill) को मज़बूत करने के लिये नेशनल ट्यूटर प्रोग्राम (National Tutors Programme- NTP) एवं रेमेडियल इंस्ट्रक्शनल एड प्रोग्राम (Remedial Instructional Aid Programme- RIAP) जैसे सुझावों को भी अंतिम मसौदा नीति में संशोधित कर दिया गया है।

NTP और RIAP:

  • NTP के तहत प्रत्येक स्कूल में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों द्वारा कमज़ोर छात्रों को सप्ताह में पाँच घंटे ट्यूशन दिया जाता।
  • RIAP प्रशिक्षकों (विशेष रूप से महिलाओं) को आकर्षित करने का एक 10 वर्षीय प्रोजेक्ट था जिसमें पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों पर विशेष ध्यान देने का प्रयास किया जाता।

अंतिम मसौदा:

  • मसौदे में उच्च शिक्षा के लिये एक नई त्रि-स्तरीय संस्थागत प्रणाली का प्रस्ताव किया गया है, जिसके तहत वर्ष 2030 तक सभी संस्थान या तो अनुसंधान विश्वविद्यालय (Research University) या शिक्षण विश्वविद्यालय (Teaching University) या स्नातक कार्यक्रम चलाने वाले कॉलेज (Colleges Running Undergraduate Programmes) बन जाएंगे।
  • अंतिम मसौदे में एक पदानुक्रमित संरचना के तहत संस्थानों का वर्गीकरण अनुसंधान और शिक्षण के आधार किया गया है।

संबद्ध कॉलेज:

  • सरकार ने संबद्ध कॉलेजों की प्रणाली को समाप्त करने की कस्तूरीरंगन समिति द्वारा निर्धारित सख्त सीमा को भी हटा दिया है।
  • मसौदे में सुझाव दिया गया है कि वर्ष 2032 तक वर्तमान में संबद्ध सभी कॉलेजों को स्वायत्त डिग्री देने वाले कॉलेजों के रूप में विकसित किया जाना चाहिये या संबंधित विश्वविद्यालय के साथ उनका विलय कर देना चाहिये या एक स्वायत्त विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करना चाहिये।
  • अंतिम मसौदे में केवल संबद्ध कॉलेजों की प्रणाली को धीरे-धीरे समाप्त करने की बात कही गई है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस