राष्ट्रीय बायोमेडिकल संसाधन स्वदेशीकरण कंसोर्टियम | 14 May 2020

प्रीलिम्स के लिये

NBRIC, C-CAMP

मेन्स के लिये

COVID-19 से लड़ने हेतु किये गए विभिन्न प्रयास

चर्चा में क्यों?

जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत राष्ट्रीय बायोमेडिकल संसाधन स्वदेशीकरण कंसोर्टियम (National Biomedical Resource Indigenization Consortium-NBRIC) शुरू किया है।

प्रमुख बिंदु

  • इसका उद्देश्य COVID-19 के लिये निदान, टीके और चिकित्सा विज्ञान के लिये अभिकर्मकों (Reagents) और संसाधनों का विकास करना है। इससे स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। 
  • NBRIC का नेतृत्त्व सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर प्लेटफॉर्म (Centre for Cellular and Molecular Platform-C-CAMP) द्वारा की जा रही है।
  • NBRIC आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा देने की दिशा में बायोमेडिकल अनुसंधान और नवीन उत्पादों के लिये एक ‘मेक इन इंडिया' (Make in India) पहल है।

उद्देश्य

  • महत्त्वपूर्ण जैव-चिकित्सा संसाधनों के प्रदाताओं और विनिर्माण उद्यमों की पहचान करना।
  • प्रदाताओं और विनिर्माण उद्यमों की वर्तमान क्षमताओं, योग्यताओं और आवश्यकताओं का आकलन करना।
  • एक सक्षम वातावरण बनाने और सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रों के नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों के साथ जोड़कर ऐसे उद्यमों का समर्थन करना।
  • COVID-19 हेतु निदान और टीके के विकास के लिये जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology-DBT), जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (Biotechnology Industry Research Assistance Council-BIRAC) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology-DST) आदि से आने वाली फंडिंग के लिये प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करना।

सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर प्लेटफॉर्म (C-CAMP)

  • सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर प्लेटफॉर्म (C-CAMP) भारत सरकार के अधीन जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology-DBT) की पहल और एक गैर-लाभकारी संगठन है।
  • उल्लेखनीय है कि C-CAMP जीव विज्ञान के क्षेत्र में भारत में प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार और उद्यमिता के लिये सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण केंद्रों में से एक है।
  • C-CAMP की स्थापना अत्याधुनिक जीव विज्ञान अनुसंधान और उद्यमशीलता को सक्षम करने के उद्देश्य से की गई थी।
  • C-CAMP के कार्य
    • जीव विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक विकसित करना और उपलब्ध कराना, साथ ही इन प्रौद्योगिकियों पर लोगों को प्रशिक्षण प्रदान करना।
    • नवाचार को प्रोत्साहित करने और जैव-तकनीक उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण।

COVID-19 रिसर्च कंसोर्टियम

  • हाल ही में सार्स सीओवी- 2 (SARS-CoV-2) के विरुद्ध जल्द-से-जल्द सुरक्षित एवं प्रभावी जैव-चिकित्सा समाधान विकसित करने के लिये जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) ने COVID-19 रिसर्च कंसोर्टियम (COVID-19 Research Consortium) हेतु आवेदन आमंत्रित किये थे।
  • DBT और BIRAC रिसर्च कंसोर्टियम के तहत COVID-19 के नियंत्रण हेतु निदान, टीके विकसित करने, दवाओं के नए उपयोग या अन्य हस्तक्षेप आदि के लिये उद्योग व शिक्षा जगत को समर्थन प्रदान करने के प्रस्तावों का निरंतर मूल्यांकन कर रहे हैं।
  • बहुस्तरीय समीक्षा व्यवस्था के माध्यम से उपकरण, निदान, टीके विकसित करने, रोग-चिकित्सा तथा अन्य हस्तक्षेप से संबंधित 70 प्रस्तावों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की सिफारिश की गई है।
  • चुने गए प्रस्तावों में टीके के 10 , रोग-निदान उत्पाद के 34, चिकित्सीय विकल्प के 10, दवाओं के नए उपयोग के 02 प्रस्ताव और निवारक हस्तक्षेप के रूप में वर्गीकृत 14 परियोजनाएँ शामिल हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.